जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने उर्दू भाषा में जारी निकाहनामा को समझने के लिए आसान बनाने के लिए उसे द्विभाषी यानी हिंदी अथवा अंग्रेजी में जारी करने के दिशा-निर्देश के लिए राज्य सरकार को विचार करने को कहा है. जस्टिस फरजंद अली की बैंच में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता पति की ओर से अधिवक्ता एमए सिद्दकी ने पैरवी करते हुए पक्ष रखा. राजस्थान सरकार के गृह विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएल भाटी ने पक्ष रखा. उन्होने निकाहानामा का प्रमाण-पत्र उर्दू के अलावा द्विभाषी में जारी करने के संबंध में दिशा-निर्देश/परिपत्र को लेकर उच्च स्तर पर विचार-विमर्श करने के लिए आश्वस्त किया.
इसके साथ ही जिला कलेक्टर कार्यालय में निकाह की रस्म अदा करने के लिए पात्र काजी आदि के नाम दर्ज करते हुए एक रजिस्टर रखने के भी आश्वस्त किया. पति-पत्नी के बीच आपराधिक मामले को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह एक महत्वपूर्ण संस्कार है और इसे पुरुष और महिला के बीच सहवास का संकेत माना जाता है, जो नागरिक समाज में स्वीकार्य है और कानून की दृष्टि में वैध है. निकाह मुस्लिम कानून के अनुष्ठानों के अनुसार एक सामुदायिक सभा में निकाह समारोह करने का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति द्वारा किया जाता है.
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इस तरह के पवित्र संबंध को एक ऐसे दस्तावेज द्वारा मान्यता दी जानी चाहिए, जो सुस्पष्ट और पारदर्शी हो. निकाहनामा को विवाह के तथ्य की मौखिक दलील की पुष्टि में सबूत के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन जब प्रमाण-पत्र की सामग्री सरकारी संस्थान, सार्वजनिक संस्थान, निजी संस्थान और कई अन्य विभागों आदि के कर्मचारियों को समझ में नहीं आती है तो यह समस्या पैदा करता है और एक उलझन भरी स्थिति लाता है. इसलिए यह जटिलताएं भी बढ़ा सकता है. ऐसे में न्यायालय महसूस करता है कि उपरोक्त स्थिति को विनियमित करने की आवश्यकता है.
इस समय यह विचार किया जा रहा है कि निकाहनामा जारी करने वाले व्यक्तियों को ऐसी भाषा में प्रमाण-पत्र जारी नहीं करना चाहिए, जो समाज में व्यापक रूप से ज्ञात न हो, विशेषकर लोक सेवकों और न्यायालय के अधिकारियों को. न्यायालय का यह दृष्टिकोण है कि प्रत्येक शहर के जिला मजिस्ट्रेट/जिला कलेक्टर को उन व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखना चाहिए, जो निकाहनामा कर सकते हैं और उन्हें एक अलग फाइल में सूचीबद्ध किया जाना चाहिए. केवल वे ही व्यक्ति निकाह की रस्म अदा करने के पात्र होंगे, हर कोई नहीं. यदि निकाहनामा के मुद्रित प्रोफार्मा में हिंदी या अंग्रेजी भाषा है तो इससे जटिलताएं हल हो सकती है. हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को मुकरर्र की है.