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CJI के साथ भी साइबर फ्रॉड हो चुका है, पुलिस इन केसों में इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है : हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

Rajasthan High Court, राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्रॉड के ढाई साल पुराने मामले में कार्रवाई नहीं होने और इन केसों में हो रही बढ़ोतरी को गंभीर माना. अदालत ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को कहा कि जब सीजेआई के साथ भी साइबर फ्रॉड हो चुका है तो फिर पुलिस ऐसे मामलों में इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है.

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 31, 2024, 8:17 PM IST

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्रॉड के ढाई साल पुराने मामले में कार्रवाई नहीं होने और इन केसों में हो रही बढ़ोतरी को गंभीर माना है. अदालत ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को कहा कि जब सीजेआई के साथ भी साइबर फ्रॉड हो चुका है तो फिर पुलिस ऐसे मामलों में इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है. अदालत ने पुलिस को कहा कि यदि 30 दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो 30 सितंबर को डीजीपी व्यक्तिगत तौर पर अदालत में हाजिर होकर इस संबंध में स्पष्टीकरण दें.

जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश 60 लाख रुपए के साइबर फ्रॉड के मामले में राकेश तोतुका की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामला वर्ष 2022 से चल रहा है, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि फरवरी 2022 में याचिकाकर्ता ने साइबर पुलिस थाने में उसकी सिम को स्वैपिंग कर 60 लाख रुपए के साइबर फ्रॉड का केस दर्ज कराया था. मामले की जांच में पता चला कि उसकी रकम पश्चिम बंगाल व ओडिशा के छोटे-छोटे खातों में जमा हुई और पूरा रुपया उसी दिन कैश करा लिया गया.

इसे भी पढ़ें - सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे में सीट आवंटन जारी रखें : हाईकोर्ट - Rajasthan High Court

पुलिस को अनुसंधान में आरोपियों के नाम भी पता चल गए हैं, लेकिन न तो उनसे रुपए की रिकवरी हुई और न ही उनकी गिरफ्तारी ही हुई. मामले में पुलिस ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी को भी नोटिस दिया, लेकिन उसने दो साल में यह नहीं बताया कि उसने किसे सिम जारी की थी. ऐसे में याचिकाकर्ता की एफआईआर पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाए.

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने साइबर फ्रॉड के ढाई साल पुराने मामले में कार्रवाई नहीं होने और इन केसों में हो रही बढ़ोतरी को गंभीर माना है. अदालत ने मौखिक रूप से राज्य सरकार को कहा कि जब सीजेआई के साथ भी साइबर फ्रॉड हो चुका है तो फिर पुलिस ऐसे मामलों में इतनी लापरवाह कैसे हो सकती है. अदालत ने पुलिस को कहा कि यदि 30 दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो 30 सितंबर को डीजीपी व्यक्तिगत तौर पर अदालत में हाजिर होकर इस संबंध में स्पष्टीकरण दें.

जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश 60 लाख रुपए के साइबर फ्रॉड के मामले में राकेश तोतुका की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. अदालत ने कहा कि मामला वर्ष 2022 से चल रहा है, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. सुनवाई के दौरान अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि फरवरी 2022 में याचिकाकर्ता ने साइबर पुलिस थाने में उसकी सिम को स्वैपिंग कर 60 लाख रुपए के साइबर फ्रॉड का केस दर्ज कराया था. मामले की जांच में पता चला कि उसकी रकम पश्चिम बंगाल व ओडिशा के छोटे-छोटे खातों में जमा हुई और पूरा रुपया उसी दिन कैश करा लिया गया.

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पुलिस को अनुसंधान में आरोपियों के नाम भी पता चल गए हैं, लेकिन न तो उनसे रुपए की रिकवरी हुई और न ही उनकी गिरफ्तारी ही हुई. मामले में पुलिस ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी को भी नोटिस दिया, लेकिन उसने दो साल में यह नहीं बताया कि उसने किसे सिम जारी की थी. ऐसे में याचिकाकर्ता की एफआईआर पर उचित कार्रवाई के निर्देश दिए जाए.

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