भरतपुर : राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ई-गिरदावरी प्रक्रिया को नई तकनीक और पारदर्शिता के साथ लागू किया है. इस नई प्रणाली के तहत अब किसान अपने खेतों की गिरदावरी खुद कर सकेंगे, जिससे फसल खराबे का सही आकलन संभव होगा और भविष्य में मुआवजा वितरण में कोई समस्या नहीं आएगी. लोकेशन और फोटो आधारित इस प्रक्रिया से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचेगा.
जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव ने बताया कि इस प्रणाली में खसरा नंबर के आधार पर किसान खेतों में बोई गई फसल का फोटो मोबाइल एप के माध्यम से अपलोड करेंगे. यह प्रक्रिया पूरी तरह से लोकेशन और फोटो आधारित है. डॉ. यादव ने यह भी कहा कि किसानों को ई-गिरदावरी के बारे में जागरूक करना जरूरी है, ताकि वे इस प्रक्रिया को अपने स्तर पर पूरी कर सकें. उन्होंने जिले के सभी पटवारियों को निर्देशित किया है कि वे किसानों को ई-गिरदावरी एप डाउनलोड करने और उसे उपयोग में लाने के लिए प्रेरित करें. इससे फसल खराबे का वास्तविक आंकलन होगा और मुआवजा वितरण में पारदर्शिता बनी रहेगी.
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किसानों के लिए हेल्पडेस्क : अगर किसानों को इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो वे अपने क्षेत्र के पटवारी से संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा, जिले में एक हैल्पडेस्क भी स्थापित की गई है, जो कार्य दिवसों में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक किसानों की समस्याओं का समाधान करेगी. अब तक जिले के पटवारियों ने कुल 845,268 खसरा नंबरों में से 6,391 खसरा नंबरों पर ई-गिरदावरी पूरी की है, जबकि केवल 266 किसानों ने अपनी गिरदावरी स्वयं की है.
जिला कलेक्टर डॉ. यादव ने इस प्रक्रिया की नियमित मॉनिटरिंग की बात करते हुए तहसीलदारों और पटवारियों को और अधिक किसानों को प्रेरित करने के निर्देश दिए हैं. किसी भी तकनीकी समस्या के समाधान के लिए किसान तहसीलदार (भू. अभिलेख) या कलेक्ट्रेट कार्यालय से भी संपर्क कर सकते हैं. ई-गिरदावरी एप को मोबाइल में इंस्टॉल कर किसान अपनी फसल की जानकारी दर्ज कर सकते हैं, जिससे उन्हें अपनी भूमि पर फसल की स्थिति का सटीक विवरण मिलेगा.