जयपुर. कांग्रेस की अपने राजनीतिक फायदे के लिए गलत एवं भ्रामक बयान देने की पुरानी आदत है. प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड लगाने का काम किया. छात्रों और अभिभावकों के साथ छलावा किया गया. ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का. राज्य में इंग्लिश मीडियम स्कूलों की समीक्षा करने के लिए बनाई गई मंत्रिमंडलीय कमेटी के बाद छिड़ी बहस के बीच समिति के सदस्य और शिक्षा मंत्री के तौर पर उन्होंने ये बयान दिया. इसके बाद राजनीति और गर्मा गई है.
राजस्थान में संचालित 3 हजार 737 अंग्रेजी स्कूल का रिव्यू किया जाएगा. दरअसल, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौर में 14 जून 2019 और 8 अगस्त 2022 को शासन स्तर पर जारी दिशा निर्देशों के आधार पर हिंदी मीडियम स्कूलों को इंग्लिश मीडियम स्कूलों में कन्वर्ट कर दिया गया था. इनमें से कई स्कूल ऐसे थे जो मानदंडों की पूर्ति नहीं कर पाए हैं. बीते दिनों ऐसे स्कूलों को दोबारा हिंदी मीडियम स्कूल में कन्वर्ट करने का प्रस्ताव जिला शिक्षा अधिकारियों से मांगा भी गया था. जबकि शिक्षा विभाग का दायित्व संभालने के साथ ही प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि 'केवल भवन पर नाम लिख देने से वो विद्यालय नहीं हो जाता. जब तक उसमें पढ़ाने वाले अच्छे शिक्षक ना हो.' और अब इन स्कूलों की समीक्षा के लिए राज्य स्तर पर मंत्रिमंडलीय समिति का भी गठन कर दिया गया है जिस पर विपक्ष हमलावर है.
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस की अपने राजनीतिक फायदे के लिए गलत एवं भ्रामक बयान देने की पुरानी आदत है. प्रदेश के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाली कांग्रेस ने अपनी सरकार के दौरान अंग्रेजी शिक्षा के नाम पर सिर्फ बोर्ड लगाने का काम किया. छात्रों और अभिभावकों के साथ छलावा किया गया. कांग्रेस सरकार ने इन स्कूलों के लिए न तो अंग्रेजी शिक्षकों की भर्ती की और न ही इसके लिए बजट दिया. सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदलकर कांग्रेस ने इन स्कूलों को बंद करने का षड्यंत्र किया.
दिलावर ने कहा कि भ्रष्टाचार की नई इबारत लिखने वाली कांग्रेस ने ट्रांसफर उद्योग और पेपर चोरी से शिक्षा के मंदिर को नाथी का बाड़ा बना दिया. जबकि बीजेपी सरकार मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में शिक्षा के बुनियादी स्तर में सुधार लाने के लिए तत्पर होकर कार्य कर रही है. सरकार की प्राथमिकता प्रदेश के बच्चों को सर्वोत्तम शिक्षा देना है. मंत्रीमंडलीय कमेटी स्कूलों को मजबूत बनाने पर काम करेगी. उन पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस और गहलोत पहले ये बताए कि उन्होंने अपने कार्यकाल में शिक्षा के लिए क्या किया? अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की भर्ती क्यों नहीं की? अंग्रेजी स्कूलों के लिए संसाधन क्यों नहीं दिए?
दिलावर यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार के समय 2013 से 2018 की बीच राजस्थान देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर था. लेकिन कांग्रेस के भ्रष्टाचार और कुशासन ने इसे गर्त में धकेलने का काम किया. उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के शिक्षा मंत्री केवल अपने बच्चों और चहेतों को फर्जी तरीके से नौकरियां दिलाने में व्यस्त रहे.
इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा था कि 'स्टाफ, भवन या अन्य सुविधाओं का हवाला देकर इन स्कूलों को बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि ये सुविधाएं उपलब्ध कराना तो सरकार की जिम्मेदारी है. सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए गरीब बच्चों के अंग्रेजी पढ़ने का हक नहीं छीन सकती. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने शिक्षा में क्रांतिकारी निर्णय करते हुए हर वर्ग के बच्चों के लिए महात्मा गांधी अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोले. आज प्रदेश में 3700 से ज्यादा सरकारी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में हर वर्ग के लाखों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि भाजपा सरकार ने समीक्षा के नाम अगर अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को लेकर कोई भी जनविरोधी निर्णय किया तो ईंट से ईंट बजा देंगे, कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में जन आंदोलन करेगी.
बता दें कि बीते दिनों जिला और उपखंड स्तर पर संचालित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की उपयोगिता, भवन और स्टाफ की स्थिति, हिंदी माध्यम स्कूल से दूरी और हिंदी या अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई जैसी कई जानकारियां मांगी गई थी. इनके आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी ये रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं कि किस स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में जारी रखा जाए और किसे फिर से हिंदी माध्यम में तब्दील कर दिया जाए.