जयपुर: भजनलाल सरकार के मंत्रिमंडल ने सरकारी कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए बनी खेमराज कमेटी की सिफारिशों का अनुमोदन कर दिया, लेकिन इसे सार्वजनिक और लागू करने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है. ऐसे में सरकारी कर्मचारियों का बड़ा वर्ग इसे लागू करने से पहले इन सिफारिशों को सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है. अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत ने यह मुद्दा उठाया है, हालांकि संगठनों ने सिफारिशों को मंजूरी देने का स्वागत करते हुए सीएम भजनलाल शर्मा का आभार भी व्यक्त किया है.
राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ एकीकृत के प्रदेश अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि रिपोर्ट सार्वजनिक करने से ही कर्मचारियों में व्याप्त भ्रम की स्थिति समाप्त होगी. उन्हें पता लग सकेगा कि रिपोर्ट में क्या अनुशंसाएं की गई हैं. महासंघ की ओर से लंबे समय से वेतन और पदोन्नतियों की विसंगतियों को दूर किए जाने की मांग के लिए संघर्ष किया जाता रहा है. इसके अतिरिक्त वर्ष 2013 से चार कैडर रिव्यू हुए हैं, लेकिन अभी भी पदोन्नति के पदों में अन्य संवर्गों से अभी भी काफी पीछे है.
उन्होंने कहा कि वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वेतन विसंगतियों एवं वेतन सुधार सम्बन्धी सिफारिशों को 1 सितम्बर, 2024 से लागू करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक खेमराज समिति की रिपोर्ट भी जारी नहीं हुई. अब जबकि पिछले दिनों मंत्रिमंडल ने खेमराज कमेटी की सिफारिशों का अनुमोदन कर दिया तो सरकार को उसे सार्वजनिक और लागू करने को लेकर भी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.
क्या है खेमराज कमेटी: कर्मचारियों की वेतन विसंगति व वेतन सुधार को लेकर पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 5 अगस्त, 2021 को खेमराज चौधरी (सेवानिवृत्त आईएएस) की अध्यक्षता में कर्मचारी वेतन विसंगति परीक्षण कमेटी का गठन किया था. कमेटी की ओर से विभिन्न कर्मचारी संगठनों, विभागों से वेतन विसंगति और वेतन सुधार के संबंध में प्रस्तुत ज्ञापनों सहित अन्य मांगों का परीक्षण किया गया. उसने 30 दिसंबर, 2022 को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को प्रस्तुत कर दी. इस रिपोर्ट की सिफारिशों को भजनलाल कैबिनेट ने 30 नवंबर 2024 को अनुमोदित कर दिया. कानून के जानकारों की मानें तो कैबिनेट के अनुमोदन बाद अब राज्यपाल के अनुमोदन और फिर खेमराज कमेटी रिपोर्ट को सार्वजनिक करके लागू किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: कर्मचारी संगठनों की मांग, इस बार कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक करे सरकार, वार्ता से हो समाधान
ये हो सकती हैं कमेटी की सिफारिशें
- पशु परिचर लेवल 1 से लेवल 3 करने का प्रस्ताव
- सहायक कर्मचारी के लेवल 1 से लेवल 2 करने का प्रस्ताव
- जमादार से एल 1 से एल 3 करने का प्रस्ताव
- पीएचईडी में मीटर रीडर को लेवल 4 से लेवल 5 करने का प्रस्ताव
- चिकित्सा में एलएचवी को एक लेवल ऊपर करने का प्रस्ताव
- पैरामेडिकल में नेत्र सहायक, डेंटल टेक्नीशियन की 1 ग्रेड पे बढ़ोतरी या विसंगति दूर करने का प्रस्ताव
- सर्किट हाउस के सभी कैडरों को फायदा दिलाने की कोशिश
- आयुर्वेद के प्रवक्ता या प्रोफेसर की ग्रेड पे में बढ़ोतरी का प्रस्ताव
- आईसीडीएस में सहायक निदेशक और अतिरिक्त निदेशक के पद बढ़ाने का प्रस्ताव
कर्मचारी संगठनों की ये हैं प्रमुख मांगें
- खेमराज कमेटी की रिपोर्ट लागू होने से पहले सार्वजनिक करें.
- सामंत कमेटी की भी सिफारिशों को उजागर करके लागू करें.
- ठेका प्रथा बंद करके सरकारी कंपनी का गठन किया जाए और इन कर्मियों को इस कंपनी के कर्मी बनाकर उन्हें जरूरी सुविधाएं दी जाएं.
- संविदाकर्मियों को नियमित करने की मांग.
- आंगनबाड़ी कर्मियों,जनता जल कर्मियों को नियमित करने की मांग.
- चयनित वेतनमान (एसीपी) का लाभ 9, 18 व 27 वर्ष के स्थान पर 8, 16, 24 व 32 वर्ष पर दिया जाए.
- ग्रामीण कर्मचारियों को ग्रामीण भत्ता देने की मांग.
- राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स- 2022 की विसंगति दूर की जाए.
- विभिन्न संवर्गों के पदनाम परिवर्तन सहित उनके सेवा नियम बनाने की मांग.
- सचिवालय में AS/PA-PS कैडर अलग करने संबंधी नियमों के संशोधन को अनुमोदन की मांग
क्या हैं विसंगतियां
- वेतन विसंगति में सबसे मुख्य यह है कि एक ही भर्ती प्रक्रिया में चयनित होते हैं, लेकिन वेतन और पदोन्नति में विसंगति है.
- सचिवालय में 4200 और सचिवालय के बाहर चयनित कर्मचारियों को 3600 वेतन श्रृंखला मिलती है. इसी तरह केन्द्र और राज्य कर्मचारियों के वेतन को लेकर दोहरी प्रक्रिया बनी हुई है.
- गहलोत सरकार में एसीपी संबंधी घोषणा से मामूली राहत मिली,लेकिन इससे मूल समस्या दूर नहीं हुई.
(जैसा कर्मचारी महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने बताया)