जयपुर : राजस्थान की सात सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं. यह परिणाम भाजपा के लिए शानदार रहा तो वहीं कांग्रेस को बुरी तरह से पराजय का सामना करना पड़ा. राज्य की जनता ने भजनलाल सरकार के 11 माह के कामकाज पर भरोसा जताया. यही वजह है कि सात सीटों में से 5 सीटों पर भाजपा को जीत मिली. वहीं, दौसा सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली, जबकि चौरासी सीट को बीएपी जीतने में कामयाब रही. इस बीच सबसे खास बात यह रही कि इस उपचुनाव में कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा धूमिल भी हुई. जनता जनार्दन ने परिवारवाद को सिरे से खारिज कर दिया.
एक नजर उपचुनाव परिणाम पर : उपचुनाव परिणाम के बाद राजस्थान विधानसभा में भाजपा विधायकों की संख्या बढ़कर 119 हो गई है. इस उपचुनाव में भाजपा को 5 सीटों पर जीत मिली है. इनमें सलूंबर, खींवसर, झुंझुनू, देवली-उनियारा और रामगढ़ सीट शामिल है. झुंझुनू में भाजपा की जीत इस मायने में भी अहम है, क्योंकि यहां भाजपा दशकों से चुनाव नहीं जीती थी. अखिरी बार 2003 में यहां पार्टी को जीत नसीब हुई थी. उसके बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस के बृजेंद्र ओला जीतते आ रहे थे. यह सीट कांग्रेस और ओला परिवार का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन अब भाजपा के राजेंद्र भांबू ने बृजेंद्र ओला के बेटे व कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला को बड़े अंतर से हरा दिया है.
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इसी तरह खींवसर के नतीजे भी चौंकाने वाले रहे. हनुमान बेनीवाल की पत्नी कनिका बेनीवाल यहां भाजपा के रेवंतराम डांगा से चुनाव हार गईं. देवली-उनियारा सीट भी भाजपा ने कांग्रेस से छीन ली है. यहां भाजपा के राजेंद्र गुर्जर 41,121 वोटों के अंतर से जीते हैं. दूसरे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा रहे, जिन्हें कुल 59,478 मत प्राप्त हुए. सबसे रोचक मुकाबला सलूंबर सीट पर देखने को मिला. यहां 21 राउंड तक बीएपी आगे चल रही थी, लेकिन आखिरी राउंड में बाजी पलट गई और भाजपा की शांता मीणा 1,285 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गईं. सलूंबर एक मात्र सीट थी, जो उपचुनाव से पहले भाजपा के पास थी.
दौसा में कांग्रेस को सफलता मिली. यहां पार्टी प्रत्याशी डीसी बैरवा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को करीबी मुकाबले में शिकस्त दी. हारने के साथ ही जगमोहन ने बयान दिया, जब अपने ही बेवफा हो जाएं तो कोई क्या करे?. बैरवा ने 2,300 वोटों के अंतर से जगमोहन को चुनाव हराया. रामगढ़ सीट पर भी बार-बार समीकरण बदलते रहे. शुरुआत में कांग्रेस के आर्यन जुबेर 10 हजार वोटों की लीड के साथ आगे रहे. उसके बाद भाजपा के सुखवंत सिंह ने वापसी की और राउंड पूरे होते-होते चुनाव जीत गए. चौरासी सीट को बीएपी बचाने में कामयाब रही. यहां भारतीय आदीवासी पार्टी के प्रत्याशी अनिल कटारा ने भाजपा उम्मीदवार कारीलाल ननोमा को चुनाव हरा दिया.
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पहली बार उपचुनाव में सत्तासीन पार्टी को मिली बड़ी सफलता : सीएम भजनलाल शर्मा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ की जुगलबंदी ने राजस्थान के उपचुनाव में रिकॉर्ड बनाया है. पहली बार सत्तासीन पार्टी उपचुनाव में इस तरह विजय पताका फहराने में सफल हुई है. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की कुशल रणनीति और ग्राउंड जीरो की समझ के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की सादगी ने भाजपा को इस उपचुनाव में सफलता दिलाने का काम किया. वहीं, कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की होनी चाहिए, क्योंकि सियायी मंचों से उनके भाषण और फटकार जनता को रास नहीं आई. यहां तक कि उनका डांस भी वोटरों को नहीं लुभा सका. इसके साथ ही इस चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से बंटी नजर आई, जिसकी परिणाम अब सार्वजनिक है.
नतीजे पर बोले डोटासरा : उपचुनाव परिणाम को लेकर पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि इस उपचुनाव में भजनलाल सरकार ने साम, दाम, दंड, भेद का इस्तेमाल किया. भले ही उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली हो, लेकिन सरकार की बड़ी हार हुई है. उन्होंने कहा कि भजनलाल सरकार ने किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को चुनाव जीताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन उसके बाद भी वो चुनाव हार गए.
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साथ ही डोटासरा ने आरोप लगाया कि दौसा में सरकार ने चुनाव जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी थी. यहां तक कि बूथ कैप्चर भी करवाए. इसके बावजूद मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई का चुनाव हारना बड़ी बात है और यह सरकार की हार है. डोटासरा ने कहा कि भाजपा के नेता बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, लेकिन इतना कुछ करने के बाद भी वो दौसा सीट को हार गए.
आगे करेंगे मंथन : डोटासरा ने कहा कि उपचुनाव में मिली पराजय पर पार्टी मंथन करेगी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत दर्द की थी. हम सब ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन उपचुनाव में हम अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. ऐसे में जिन सीटों पर हमें हार का सामना करना पड़ा है, वहां के पार्टी पदाधिकारियों से फीडबैक लिया जाएगा.
जनता ने परिवारवाद और दिगज्जों को नकारा : राज्य की सात सीटों पर हुए उपचुनाव में इस बार जनता ने पूरी तरह से परिवारवाद और सियासी दिग्गजों को नकार दिया. दौसा सीट पर जगमोहन मीणा की हार ने कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके किरोड़ीलाल मीणा को तो खींवसर सीट पर कनिका बेनीवाल की हार ने हनुमान बेनीवाल और झुंझुनू से अमित ओला की हार ने बृजेंद्र ओला के कद को कम किया है. इन तीनों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों ने परिवारवाद को बढ़ावा देते हुए टिकट दिए थे, लेकिन जनता जनार्दन ने परिवारवाद को सिरे से खारिज कर दिया.
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वहीं, रामगढ़ से जुबेर खान के बेटे आर्यन खान को हराकर यह संदेश दिया कि मतदाता जागरूक हो चुके हैं. अब एक ही परिवार की राजनीति में बपौती नहीं चलेगी. हालांकि, परिवारवाद को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि पार्टी ने परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया है. धरातल पर जाकर जो जिताऊ उम्मीदवार लगे उन्हें मैदान में उतारा गया और उसका परिणाम सबके सामने है.
नहीं चाहिए बाहुबली राजनेता : प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जनता सब समझती है वो किसी बाहुबली नेता को अपना जनप्रतिनिधि नहीं बनना चाहती. इस दौरान राठौड़ ने देवली-उनियारा में एसडीएम थप्पड़कांड का भी जिक्र किया. साथ ही सांसद हनुमान बेनीवाल के चुनाव प्रचार के दौरान दिए एक बयान पर उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें सबक सिखाया है. उन्होंने कहा कि अब प्रदेश की जनता विकास पर वोट करती है.
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यही वजह है कि जनता ने इस बार भजनलाल सरकार के 11 माह के कामकाज पर भरोसा जताया है. बड़ी बात यह रही कि भाजपा इस बार अपनी जीती हुई सीट को उपचुनाव में फिर से जीतने में कामयाब रही. भले ही जीत का मार्जिन कम हुआ हो, लेकिन कब्जा बरकरार रहा. वहीं, चौरासी सीट पर बीएपी का दबदबा कायम रहा. यहां बीएपी को बड़ी जीत मिली.
राजनेता को नहीं करनी चाहिए प्रतिज्ञा : उधर, खींवसर विधानसभा सीट पर प्रचार के दौरान कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने जिस तरह का बयान दिया था, उस पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि किसी भी राजनेता को भीष्म पितामह की तरह प्रतिज्ञा नहीं करनी चाहिए.