जयपुर: हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव प्रचार का जोर पकड़ रहा है. राजस्थान के पड़ोसी राज्य होने के नाते हरियाणा चुनाव में प्रदेश के नेताओं का जमावड़ा ज्यादा देखा जा सकता है. प्रदेश के कई जिले हरियाणा की सीमाओं से लगे हुए हैं और जातीय संपर्क होने के चलते आपसी रिश्तेदारी भी बहुत है. यही वजह है इस बार चुनाव में भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाया है. प्रदेश से भाजपा के बड़े नेता तो प्रचार के लिए लगातार पहुंच ही रहे हैं, लेकिन शेखावाटी से भी पार्टी ने बड़ी नेताओं की फौज को हरियाणा चुनाव के लिए लगा दिया है. पार्टी की और से प्रवास पर गए नेताओं की सूची देखें तो ज्यादातर संख्या शेखावाटी की है.
सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला: हरियाणा चुनाव में प्रचार के लिए पार्टी ने प्रदेश के नेताओं को लगा दिया है. हरियाणा प्रभारी के तौर पर पहले ही डॉ सतीश पूनिया ने चुनावी कमान संभाल रखी है. अब केंद्रीय मंत्री से लेकर प्रदेश सरकार के मंत्री और प्रदेश भाजपा के नेताओं ने हरियाणा में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है. 50 से ज्यादा महिला और 40 के करीब पुरुष कार्यकर्ताओं को प्रवास पर हरियाणा भेजा है.
महिला नेता भी शामिल: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, एससी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, अरुण चतुर्वेदी, कैलाश चौधरी, राजेंद्र राठौड, कन्हैया लाल, दामोदर अग्रवाल, पीपी चौधरी, बाबा बालक नाथ, गुरवीर सिंह बराड़, कुलदीप धनकड़ सहित कई नेता प्रचार का मोर्चा संभाले हुए हैं. सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला अपनाते हुए प्रदेश भाजपा ने शेखावाटी से खास तौर पर किसान वर्ग को प्रचार का जिम्मा दिया है. बड़ी संख्या में शेखावाटी के भाजपा नेता और कार्यकर्ता, जिसमें महिला कार्यकर्ताओं की बात करें, तो संतोष अहलावत, चूरू जिला अध्यक्ष प्रभा धंधावत, चूरू जिला उपाध्यक्ष नीलम पूनिया, किसना नेता सुमन कुलहरी सहित कई नाम शामिल हैं.
संस्कार और संस्कृति एक है: प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि ये तो हमेशा से होता आया है कि जिस भी राज्य में चुनाव होता है, प्रदेश के नेताओं को प्रचार का जिम्मा दिया जाता है. अब हरियाणा राजस्थान का पड़ोसी राज्य है और वहां के संस्कार और संस्कृति एक है. आपसी रिश्तेदारी भी है. जब चुनाव होते हैं, एक-दूसरे के प्रचार के लिए जाते हैं. इसमें कोई नई बात नहीं है. इस बार भी पार्टी ने नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रचार का जिम्मा सौंपा है. सभी आपस में मिलकर सामूहिक रूप से चुनाव लड़ते हैं.