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जन्माष्टमी पर रायपुर के जैतूसाव मठ में लगेगा 11 क्विंटल मालपुआ का महाभोग - Jaitu Saw Math Malpua Mahabhog

रायपुर के जैतूसाव मठ में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू हो चुकी है. यहां 11 क्विंटल मालपुआ महाभोग के लिए तैयार किया जा रहा है. इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी है. 27 अगस्त को मालपुआ भक्तों में वितरित किया जाएगा.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 24, 2024, 10:50 PM IST

JAITU SAW MATH MALPUA MAHABHOG
रायपुर के जैतूसाव मठ में जन्माष्टमी की तैयारियां शुरू (ETV Bharat)
जन्माष्टमी पर महाभोग (ETV Bharat)

रायपुर: रायपुर सहित पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व 26 अगस्त सोमवार को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. हर साल की तरह इस साल भी रायपुर के जैतूसाव मठ में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मालपुआ बनाने का काम शनिवार से शुरू किया गया है. सोमवार तक मालपुआ बनाने का काम चलेगा. राजभोग आरती के बाद मंगलवार को प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण भक्तों में किया जाएगा.

जैतूसाव मठ में 11 क्विंटल का मालपुआ बनाया जा रहा है. मालपुआ प्रसाद के रूप में भक्तों और श्रद्धालुओं को 27 अगस्त को राजभोग आरती के बाद वितरित होगा. पिछले कई सालों से रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जैतूसाव मठ में मालपुआ बनाया जा रहा है.

जैतूसाव में तैयार हो रहा 11 क्विंटल मालपुआ: इस बारे में जैतुसाव मठ के सचिव महेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि, "कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म और आरती होगा. इसके बाद 27 अगस्त को दोपहर 1 बजे राजभोग आरती होगा, जिसमें मालपुआ का भोग लगाया जाएगा. राजभोग आरती के बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को भोजन कराने के बाद प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण किया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात को 8 बजे से 12 बजे तक लल्लू महाराज जी के भजन संध्या का कार्यक्रम रखा गया है.

"कृष्ण जन्माष्टमी को देखते हुए इस बार 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. इस मालपुआ को 8 कारीगर तैयार कर रहे हैं. रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 से हर साल रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने की शुरुआत की गई थी, जो आज तक चल रही है.": महेंद्र अग्रवाल, सचिव, जैतूसाव मठ, पुरानी बस्ती रायपुर

ऐसे तैयार होता है मालपुआ: यहां मालपुआ बनाने के लिए गेहूं की अलग तरह से पिसाई कराई जाती जाती है. गेहूं के आटे में सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौफ भी मिलाया जाता है. इसके साथ ही इस मालपुआ को बनाने में तेल और घी का उपयोग भी किया जाता है. मालपुआ कढ़ाई में छानने के बाद इसको पैरा में सुखाया जाता है, जिससे मालपुआ में लगा हुआ तेल और घी पूरी तरह से सुख जाए. इसके बाद राजभोग आरती में भगवान को मालपुआ का भोग चढ़ाने के बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में इसे बांटा जाता है.

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जन्माष्टमी पर महाभोग (ETV Bharat)

रायपुर: रायपुर सहित पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व 26 अगस्त सोमवार को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा. हर साल की तरह इस साल भी रायपुर के जैतूसाव मठ में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मालपुआ बनाने का काम शनिवार से शुरू किया गया है. सोमवार तक मालपुआ बनाने का काम चलेगा. राजभोग आरती के बाद मंगलवार को प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण भक्तों में किया जाएगा.

जैतूसाव मठ में 11 क्विंटल का मालपुआ बनाया जा रहा है. मालपुआ प्रसाद के रूप में भक्तों और श्रद्धालुओं को 27 अगस्त को राजभोग आरती के बाद वितरित होगा. पिछले कई सालों से रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जैतूसाव मठ में मालपुआ बनाया जा रहा है.

जैतूसाव में तैयार हो रहा 11 क्विंटल मालपुआ: इस बारे में जैतुसाव मठ के सचिव महेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि, "कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. 26 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म और आरती होगा. इसके बाद 27 अगस्त को दोपहर 1 बजे राजभोग आरती होगा, जिसमें मालपुआ का भोग लगाया जाएगा. राजभोग आरती के बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को भोजन कराने के बाद प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण किया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात को 8 बजे से 12 बजे तक लल्लू महाराज जी के भजन संध्या का कार्यक्रम रखा गया है.

"कृष्ण जन्माष्टमी को देखते हुए इस बार 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. इस मालपुआ को 8 कारीगर तैयार कर रहे हैं. रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय सन 1916 से हर साल रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने की शुरुआत की गई थी, जो आज तक चल रही है.": महेंद्र अग्रवाल, सचिव, जैतूसाव मठ, पुरानी बस्ती रायपुर

ऐसे तैयार होता है मालपुआ: यहां मालपुआ बनाने के लिए गेहूं की अलग तरह से पिसाई कराई जाती जाती है. गेहूं के आटे में सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौफ भी मिलाया जाता है. इसके साथ ही इस मालपुआ को बनाने में तेल और घी का उपयोग भी किया जाता है. मालपुआ कढ़ाई में छानने के बाद इसको पैरा में सुखाया जाता है, जिससे मालपुआ में लगा हुआ तेल और घी पूरी तरह से सुख जाए. इसके बाद राजभोग आरती में भगवान को मालपुआ का भोग चढ़ाने के बाद भक्तों और श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में इसे बांटा जाता है.

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