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जल संरक्षण के लिए रेलवे की नई पहल, दिल्ली मंडल में जल रहित यूरिनल की शुरुआत - RAILWAY DELHI DIVISION INITIATIVE

दिल्ली मंडल के तुगलकाबाद लोको शेड के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में जल रहित यूरिनल प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण.लोको पायलटों की सुरक्षा और सुविधा के मद्देनजर शुरूआत

इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में जल रहित यूरिनल प्रणाली की शुरूआत
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में जल रहित यूरिनल प्रणाली की शुरूआत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 17, 2024, 3:47 PM IST

नई दिल्ली : उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल के तुगलकाबाद स्थित लोको शेड के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में हाल ही में एक नई पहल के तहत जल रहित यूरिनल प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह तकनीकी प्रगति न केवल लोको पायलटों की सुविधा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय रेलवे के संचालन में भी सुरक्षा और दक्षता को बढ़ावा देती है. इस तरह की प्रणाली से टॉयलेट में पानी खत्म नहीं होगा. साथ ही जल संरक्षण भी होगा. इस तरह के टॉयलेट आने वाले समय मे जल संरक्षण के लिए ट्रेनों के कोच में भी लगाए जाने की योजना है.

तुगलकाबाद डीजल लोको शेड पर शुरूआत: दिल्ली मंडल का तुगलकाबाद डीजल लोको शेड भारतीय रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक रूप से अहम शेड में से एक है. यहां पर 300 से अधिक लोकोमोटिव स्थित हैं, जिनमें एएलसीओ , एचएचपी, इलेक्ट्रिक और शंटिंग प्रकार के इंजन शामिल हैं. इन लोकोमोटिव्स का उपयोग मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन में किया जाता है. साथ ही वीआईपी सेवाओं के लिए भी इन्हें तैनात किया जाता है. यह शेड रेलवे संचालन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है.

समस्या को ध्यान में रखकर बनायी गई व्यवस्था : तुगलकाबाद शेड में वर्तमान में कुल 139 इलेक्ट्रिक इंजन हैं, जिनमें 92 माल ढुलाई डबल्यूएजी- 9 और 47 यात्री डबल्यूएपी- 4 इंजन शामिल हैं. इन मालगाड़ियों का संचालन लंबी दूरी पर किया जाता है. जिनमें कम स्टॉपेज के कारण लोको पायलटों के लिए शौचालय या वॉशरूम सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बन जाती थी. लोको पायलट को परेशानी का सामना करना पड़ता था. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने तुगलकाबाद शेड में दो इलेक्ट्रिक क्लास माल ढुलाई लोकोमोटिव्स में जल रहित यूरिनल तकनीक को स्थापित किया है.

स्वच्छता और आराम दोनों का रखा गया है ध्यान : इस नई प्रणाली में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त डबल्यूसी प्रकार के चैम्बर के साथ एक जल रहित यूरिनल का समावेश किया गया है. गंध नियंत्रण के लिए मेंबरेन ट्रेप और लिकवेड सीलेंट कार्ट्रिज का उपयोग किया जाता है. जबकि स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक यूवी-एलईडी आधारित स्वच्छता प्रणाली का भी प्रबंध किया गया है.

स्टैण्डर्ड शौचालय की सफाई भी काफी आसान : दिल्ली मंडल रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी अजय माइकल का कहना है कि इस यूरिनल प्रणाली की खास बात यह है कि इसे स्टैण्डर्ड शौचालय सफाई एजेंटों से साफ करना भी आसान है. इसके अलावा, एक ऑनबोर्ड कम्प्यूटरीकृत प्रोसेसिंग यूनिट लोकोमोटिव के माइक्रोप्रोसेसर से जुड़ी होती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि यूरिनल का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है. जब ट्रेन एक पूर्व-निर्धारित गति पर चल रही हो.

रेलवे के पर्यावरणीय मानकों को पूरा करता है ये टॉयलेट :यह कदम भारतीय रेलवे की ओर से लोको पायलटों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है. तुगलकाबाद शेड में जल रहित यूरिनल प्रणाली की स्थापना से न केवल ट्रेन संचालन को बेहतर बनाने में मदद की है. बल्कि यह रेलवे के पर्यावरणीय मानकों को भी पूरा करता है.

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नई दिल्ली : उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल के तुगलकाबाद स्थित लोको शेड के इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में हाल ही में एक नई पहल के तहत जल रहित यूरिनल प्रणाली का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया. यह तकनीकी प्रगति न केवल लोको पायलटों की सुविधा बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय रेलवे के संचालन में भी सुरक्षा और दक्षता को बढ़ावा देती है. इस तरह की प्रणाली से टॉयलेट में पानी खत्म नहीं होगा. साथ ही जल संरक्षण भी होगा. इस तरह के टॉयलेट आने वाले समय मे जल संरक्षण के लिए ट्रेनों के कोच में भी लगाए जाने की योजना है.

तुगलकाबाद डीजल लोको शेड पर शुरूआत: दिल्ली मंडल का तुगलकाबाद डीजल लोको शेड भारतीय रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक रूप से अहम शेड में से एक है. यहां पर 300 से अधिक लोकोमोटिव स्थित हैं, जिनमें एएलसीओ , एचएचपी, इलेक्ट्रिक और शंटिंग प्रकार के इंजन शामिल हैं. इन लोकोमोटिव्स का उपयोग मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के संचालन में किया जाता है. साथ ही वीआईपी सेवाओं के लिए भी इन्हें तैनात किया जाता है. यह शेड रेलवे संचालन में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है.

समस्या को ध्यान में रखकर बनायी गई व्यवस्था : तुगलकाबाद शेड में वर्तमान में कुल 139 इलेक्ट्रिक इंजन हैं, जिनमें 92 माल ढुलाई डबल्यूएजी- 9 और 47 यात्री डबल्यूएपी- 4 इंजन शामिल हैं. इन मालगाड़ियों का संचालन लंबी दूरी पर किया जाता है. जिनमें कम स्टॉपेज के कारण लोको पायलटों के लिए शौचालय या वॉशरूम सुविधाओं की कमी एक बड़ी चुनौती बन जाती थी. लोको पायलट को परेशानी का सामना करना पड़ता था. इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे ने तुगलकाबाद शेड में दो इलेक्ट्रिक क्लास माल ढुलाई लोकोमोटिव्स में जल रहित यूरिनल तकनीक को स्थापित किया है.

स्वच्छता और आराम दोनों का रखा गया है ध्यान : इस नई प्रणाली में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए उपयुक्त डबल्यूसी प्रकार के चैम्बर के साथ एक जल रहित यूरिनल का समावेश किया गया है. गंध नियंत्रण के लिए मेंबरेन ट्रेप और लिकवेड सीलेंट कार्ट्रिज का उपयोग किया जाता है. जबकि स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए एक यूवी-एलईडी आधारित स्वच्छता प्रणाली का भी प्रबंध किया गया है.

स्टैण्डर्ड शौचालय की सफाई भी काफी आसान : दिल्ली मंडल रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी अजय माइकल का कहना है कि इस यूरिनल प्रणाली की खास बात यह है कि इसे स्टैण्डर्ड शौचालय सफाई एजेंटों से साफ करना भी आसान है. इसके अलावा, एक ऑनबोर्ड कम्प्यूटरीकृत प्रोसेसिंग यूनिट लोकोमोटिव के माइक्रोप्रोसेसर से जुड़ी होती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि यूरिनल का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है. जब ट्रेन एक पूर्व-निर्धारित गति पर चल रही हो.

रेलवे के पर्यावरणीय मानकों को पूरा करता है ये टॉयलेट :यह कदम भारतीय रेलवे की ओर से लोको पायलटों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है. तुगलकाबाद शेड में जल रहित यूरिनल प्रणाली की स्थापना से न केवल ट्रेन संचालन को बेहतर बनाने में मदद की है. बल्कि यह रेलवे के पर्यावरणीय मानकों को भी पूरा करता है.

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