रायबरेली : प्रसव के दौरान लापरवाही की वजह से महिला की मौत के मामले में ओम गंगोत्री हॉस्पिटल के संचालक व डॉक्टर को दोषी पाया गया है. स्वास्थ्य विभाग की तरफ से कार्रवाई करते हुए अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है. पुलिस इस मामले में पहले ही पति की तहरीर पर अस्पताल संचालक, डॉक्टर व आशा बहू पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर चुकी है.
शासन के निर्देश पर सीएमओ डॉक्टर वीरेंद्र सिंह ने जांच टीम गठित की थी. एसीएमओ डॉक्टर अरविंद कुमार की टीम ने जांच कर सीएमओ को जांच सौंपी थी. रिपोर्ट के आधार पर ओम गंगोत्री हॉस्पिटल का लाइसेंस निलंबित किया गया है. वहीं अभी तक अस्पताल संचालक, डॉक्टर व आशा बहू पुलिस की पकड़ से दूर हैं. मामला डीह थाना क्षेत्र के मटियारी चौराहे पर स्थित ओम गंगोत्री हॉस्पिटल का है.
अनिल कुमार पुत्र रामलखन निवासी ग्राम बीरपुर मजरे बरावां पोस्ट परशदेपुर ने बताया कि वह अपनी गर्भवती पत्नी संजू देवी की सुरक्षित डिलीवरी को लेकर परेशान थे. उन्होंने गांव की आशा बहु को दिखवाया तो उसने गंगोत्री हॉस्पिटल ले चलने की बात कही. इसके बाद वह पत्नी को लेकर गंगोत्री हॉस्पिटल (परशदेपुर) पहुंचे. डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि डिलीवरी नार्मल हो जाएगी. कुछ समय बीतने के बाद डॉक्टर ने दबाव बनाते हुए कहा कि ऑपरेशन करने से जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहेंगे. इसके लिए 25 हजार रुपये जमा करने होंगे. उस दौरान मौजूद 15 हजार रुपये जमा करा दिए गए.
बाकी पैसे अगले दिन सुबह देने की बात कही गई. इसके बाद ऑपरेशन किया गया. पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया. ऑपरेशन के बाद संजू देवी की हालत गंभीर होती चली गई. डॉक्टर ने उसे लखनऊ ले जाने के लिए बोला. उन्होंने अपने माध्यम से उसे लखनऊ भिजवाया. लखनऊ में डॉक्टर ने बताया कि ऑपरेशन करते समय प्रसूता की पेशाब की नली को ब्लॉक कर दिया गया था. इससे शरीर में तेजी से इंफेक्शन फैल गया. महिला को बचाना मुश्किल है. लखनऊ में कुछ दिन इलाज के बाद महिला की मौत हो गई थी.
इसके बाद परिजनों ने ओम गंगोत्री हॉस्पिटल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था. परिजनों का कहना था कि चिकित्सक की लापरवाही के कारण ही संजू की जान गई. परिजनों ने पुलिस को भी तहरीर दी थी. सीएमओ के अनुसार जांच में लापरवाही मिलने पर अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है.