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बाल संरक्षण इकाई की त्रैमासिक बैठक: बाल देख रेख गृहों में रह रहे बच्चों को लेकर बड़ा फैसला - Child Protection Unit in udaipur

उदयपुर में बाल देख रेख गृह चल रहे हैं. इनमें कई बच्चे ऐसे हैं जो फिर से अपने घर जा सकते हैं, लेकिन उनकी समय पर काउंसलिंग नहीं हो रही. इस संबंध में जिला स्तरीय बाल संरक्षण इकाई की बैठक कलेक्ट्रर की अध्यक्षता में हुई. इसमें संस्थागत देख रेख गृहों में आश्रित बच्चों के पुनर्वास के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए गए.

Child Protection Unit in udaipur
बाल संरक्षण इकाई की त्रैमासिक बैठक (photo etv bharat udaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 13, 2024, 10:46 AM IST

उदयपुर.जिला बाल संरक्षण इकाई की त्रैमासिक बैठक जिला कलक्टर एवं बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्ष अरविन्द पोसवाल की अध्यक्षता तथा विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे कुलदीप शर्मा के सान्निध्य में कलक्ट्रेट के मिनी सभागार में हुई. बैठक में जिला कलक्टर ने जिले में संस्थागत देख रेख गृहों में आश्रयरत बच्चों के पुनर्वास के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बाल देख रेख संस्थानों में रह रहे बालकों की अच्छी तरह से काउंसलिंग की जाए. उनके संबंध में एक प्लान तैयार किया जाए, जिससे कि बच्चों को कम से कम समय में उनके घर फिर से भेजा जा सके.

जिला कलक्टर ने बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक अरूषि जैन को शिक्षा विभाग, टीएडी व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से समन्वय कर इन बालक-बालिकाओं तथा किशोरी गृहों में आश्रयरत किशोरियों को अध्ययन के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, आश्रम छात्रावासों आदि में प्रवेश दिलाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन तथा बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए साझा प्रयासों पर बल दिया. बैठक के प्रारंभ में सहायक निदेशक अरूषि जैन ने बाल संरक्षण इकाई से जुड़ी विभागीय योजनाओं व गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बच्चों को पुनर्वासित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं. इसके लिए बाल देखरेख संस्थान का निरंतर विजिट करके बालकों के घरों का पता लगाए जाने की कोशिश की जा रही है.

पढ़ें: बाल दिवस विशेष : श्रीगंगानगर में बाल दिवस पर निकाली जागरूकता रैली

ये दिए विशेष निर्देश: एडीजे एवं सचिव जिला विधिक प्राधिकरण कुलदीप शर्मा ने सभी विभागीय अधिकारियों को बच्चों के पुनर्वास पर और उनके द्वारा काउंसलिंग कर समुचित सूचना प्राप्त करने के लिए भी निर्देश दिए. उन्होंने पंचायती राज विभाग के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर एवं गांव स्तर पर बाल संरक्षण समितियां के गठन एवं उनके कार्यों को लेकर निर्देश जारी करने का सुझाव दिया.

यह भी पढ़ें: जयपुर: भिक्षावृत्ति और बाल श्रम की रोकथाम के लिए विशेष जागरूकता अभियान का संचालन

तीन माह में 87 प्रकरण दर्ज: चाइल्ड हेल्पलाइन जिला परियोजना अधिकारी नवनीत औदिच्य ने बताया कि विगत तीन माह में चाइल्ड हेल्पलाइन में लगभग 87 प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें से सर्वाधिक 26 बाल विवाह एवं 17 प्रकरण बाल श्रम से संबंधित थे. विभाग के साथ कार्रवाई करते हुए सभी प्रकरणों में परिवार जनों को पाबंद करवा कर विभाग की ओर से कार्रवाई सुनिश्चित की गई. बाल कल्याण समिति अध्यक्ष यशोदा पनिया ने फील्ड में कार्यों में दौरान आ रही व्यावहारिक समस्याओं पर चर्चा की. इस पर विभाग स्तर से समाधान का आश्वासन दिया गया. राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य धुव्र कुमार कविया ने बच्चों जैसे संवेदनशील मुद्दे पर समन्वित रूप से कार्य करने का आह्वान किया. बैठक में बाल श्रम मुक्त स्थल के लिए जागरूकता पम्पलेट का भी विमोचन किया गया.

उदयपुर.जिला बाल संरक्षण इकाई की त्रैमासिक बैठक जिला कलक्टर एवं बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्ष अरविन्द पोसवाल की अध्यक्षता तथा विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एडीजे कुलदीप शर्मा के सान्निध्य में कलक्ट्रेट के मिनी सभागार में हुई. बैठक में जिला कलक्टर ने जिले में संस्थागत देख रेख गृहों में आश्रयरत बच्चों के पुनर्वास के लिए अभियान चलाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि बाल देख रेख संस्थानों में रह रहे बालकों की अच्छी तरह से काउंसलिंग की जाए. उनके संबंध में एक प्लान तैयार किया जाए, जिससे कि बच्चों को कम से कम समय में उनके घर फिर से भेजा जा सके.

जिला कलक्टर ने बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक अरूषि जैन को शिक्षा विभाग, टीएडी व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग से समन्वय कर इन बालक-बालिकाओं तथा किशोरी गृहों में आश्रयरत किशोरियों को अध्ययन के लिए कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, आश्रम छात्रावासों आदि में प्रवेश दिलाने के भी निर्देश दिए. उन्होंने बाल श्रम उन्मूलन तथा बाल भिक्षावृत्ति की रोकथाम के लिए साझा प्रयासों पर बल दिया. बैठक के प्रारंभ में सहायक निदेशक अरूषि जैन ने बाल संरक्षण इकाई से जुड़ी विभागीय योजनाओं व गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा बच्चों को पुनर्वासित करने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहे हैं. इसके लिए बाल देखरेख संस्थान का निरंतर विजिट करके बालकों के घरों का पता लगाए जाने की कोशिश की जा रही है.

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ये दिए विशेष निर्देश: एडीजे एवं सचिव जिला विधिक प्राधिकरण कुलदीप शर्मा ने सभी विभागीय अधिकारियों को बच्चों के पुनर्वास पर और उनके द्वारा काउंसलिंग कर समुचित सूचना प्राप्त करने के लिए भी निर्देश दिए. उन्होंने पंचायती राज विभाग के माध्यम से ब्लॉक स्तर पर एवं गांव स्तर पर बाल संरक्षण समितियां के गठन एवं उनके कार्यों को लेकर निर्देश जारी करने का सुझाव दिया.

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तीन माह में 87 प्रकरण दर्ज: चाइल्ड हेल्पलाइन जिला परियोजना अधिकारी नवनीत औदिच्य ने बताया कि विगत तीन माह में चाइल्ड हेल्पलाइन में लगभग 87 प्रकरण दर्ज हुए, जिसमें से सर्वाधिक 26 बाल विवाह एवं 17 प्रकरण बाल श्रम से संबंधित थे. विभाग के साथ कार्रवाई करते हुए सभी प्रकरणों में परिवार जनों को पाबंद करवा कर विभाग की ओर से कार्रवाई सुनिश्चित की गई. बाल कल्याण समिति अध्यक्ष यशोदा पनिया ने फील्ड में कार्यों में दौरान आ रही व्यावहारिक समस्याओं पर चर्चा की. इस पर विभाग स्तर से समाधान का आश्वासन दिया गया. राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग सदस्य धुव्र कुमार कविया ने बच्चों जैसे संवेदनशील मुद्दे पर समन्वित रूप से कार्य करने का आह्वान किया. बैठक में बाल श्रम मुक्त स्थल के लिए जागरूकता पम्पलेट का भी विमोचन किया गया.

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