पटना : पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से पप्पू यादव लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी पिछले दो वर्षों से कर रहे थे. पप्पू यादव ने पूर्णिया में 'प्रणाम पूर्णिया' यात्रा निकाली थी. 2024 चुनाव से पहले उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था. उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस के सिंबल पर वह पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे, लेकिन कांग्रेस में पार्टी के विलय के अगले दिन ही राजद ने पूर्णिया लोकसभा सीट से रुपौली से जदयू की विधायक रही बीमा भारती को अपना प्रत्याशी बना दिया.
पूर्णिया में त्रिकोणीय लड़ाई : राजद ने जब बीमा भारती को टिकट दिया तो पप्पू यादव ने इसका जमकर विरोध किया था. उन्हें उम्मीद थी कि उनका गढ़ माने जाने वाले सीमांचल में पार्टी उनकी बात सुनेगी और उन्हें ही पूर्णिया से मौका मिलेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इसके बाद ही पप्पू यादव ने कहा कि जब तक जिएंगे पूर्णिया के लिए जिएंगे और पूर्णिया से ही चुनाव लड़ेंगे. आरजेडी ने बीमा भारती का नाम वापस लेने से इनकार कर दिया. पूर्णिया में त्रिकोणात्मक लड़ाई की बात होने लगी. जदयू से तत्कालीन सांसद संतोष कुशवाहा आरजेडी से बीमा भारती और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच लड़ाई की बात कही जाने लगी.
पप्पू यादव ने मारी बाजी : पूर्णिया में पप्पू यादव को हराने के लिए तेजस्वी यादव ने चुनावी मंच से यहां तक अपने कार्यकर्ताओं को कहा कि यदि वह बीमा भारती को वोट नहीं देंगे तो आप अपना वोट एनडीए प्रत्याशी को दे दीजिए. तेजस्वी यादव के इसी बयान के बाद पप्पू यादव अपने समर्थकों को यह बताने में कामयाब होते दिखे की लड़ाई में वही हैं. मतगणना में भी यही दिखा, पूर्णिया लोकसभा सीट पर जदयू के संतोष कुशवाहा और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच में सीधी लड़ाई हुई. पप्पू यादव को 567556 वोट मिले जबकि जदयू प्रत्याशी संतोष कुशवाहा को 543709 मत मिले. पप्पू यादव ने 23847 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. जबकि राजद उम्मीदवार बीमा भारती को मात्र 27120 वोट से तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा.
पप्पू की आगे की रणनीति : पूर्णिया से निर्दलीय चुनाव लड़ने के बाद पप्पू यादव के सामने 5 साल के लिए अब एक ही विकल्प है कि वह कांग्रेस को बाहर से समर्थन दे सकते हैं. ईटीवी भारत से फोन पर बातचीत में पप्पू यादव ने कहा कि उनकी विचारधारा कांग्रेस पार्टी की विचारधारा से मिलती है. यही कारण है कि उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में किया था. निर्दलीय चुनाव जीतने के कारण वह अब विपक्ष की भूमिका में सदन में बैठेंगे. कांग्रेस की नजदीकी के कारण है दिल्ली में पप्पू यादव में प्रियंका गांधी से मुलाकात की.
''केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ कांग्रेस की मुहिम में मैं पार्टी का साथ दूंगा. मेरे समर्थक और कार्यकर्ता बिहार में कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करेंगे.''- पप्पू यादव, निर्दलीय सांसद
क्या कहते हैं जानकर? : वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद भी कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा बनाकर रखे हुए हैं. राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी के प्रति वह अपनी निष्ठा की बात कर रहे हैं. इसके पीछे एक और भी कारण है कि उनकी पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद भी हैं. पप्पू यादव के सामने अभी एक मजबूरी है कि वह निर्दलीय चुनाव जीते हैं और दल बदल विरोधी कानून के कारण वह 5 साल तक किसी भी पार्टी की सदस्यता नहीं ले सकते हैं.
''जहां तक पप्पू यादव के कार्यकर्ताओं की बात है तो धीरे-धीरे जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक उनके कार्यकर्ता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो सकते हैं. शुरू से ही पप्पू यादव लगातार कांग्रेस के समर्थन की बात कर रहे थे और लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ने के बावजूद कांग्रेस ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश सिंह बार-बार उनको चुनाव में बैठने की बात कह रहे थे.''- अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
पप्पू यादव की राजनीति : पप्पू यादव ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरूआत 1990 में मधेपुरा की सिंहेश्वर विधानसभा सीट से की. इस चुनाव में वह निर्दलीय लड़कर जीते. 1991 में भी वह पूर्णिया लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरे और जीते. इसके बाद वह लालू यादव के संपर्क में आए और राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. पप्पू यादव वर्ष 1996, 1999, 2004, 2014 और 2024 में लोकसभा चुनाव जीते. पप्पू यादव कई पार्टियों में रह चुके हैं. दिलचस्प यह है कि पप्पू यादव 3 बार निर्दलीय चुनाव जीते हैं.
पत्नी हैं कांग्रेस से राज्यसभा सांसद : पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन कांग्रेस की राज्यसभा सांसद हैं. पहले कांग्रेस पार्टी से लोकसभा की सदस्य भी रह चुकी हैं. कांग्रेस पार्टी की ओर से 2014 के लोकसभा चुनावों में सुपौल सीट से उन्होंने जदयू के दिलेश्वर कामत को हराया था. बाद में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा कांग्रेस ने उन्हें छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजा था.
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