पूर्णियाः जीते जी आप समाज के लिए बहुत कुछ तो कर ही सकते हैं, मृत्यु के बाद भी आप किसी को नया जीवन दे सकते हैं. इसका सबसे अच्छा माध्यम है नेत्रदान और अंगदान. पूर्णिया के दुग्गड़ परिवार ने इस बात को भलीभांति समझा और परिवार के सभी 12 सदस्यों ने नेत्रदान का संकल्प लेकर एक महान मिसाल कायम की है.
मां इंदिरा दुग्गर से मिली प्रेरणाः दरअसल पूर्णिया के रहनेवाले गुलाबचंद दुग्गड़ और विनोद दुग्गड़ ने अपनी मां इंदिरा दुग्गड़ से प्रेरित होकर नेत्रदान का महान संकल्प लिया. जानकारी के मुताबिक 30 जून 2024 को अशोक की मां इंदिरा देवी दुग्गड़ का निधन हुआ. इंदिरा देवी दुग्गड़ ने अपने जीवनकाल में ही नेत्रदान का संकल्प लिया था. इंदिरा के निधन के बाद परिवार ने दधीचि देह दान समिति को सूचना दी. जिसके बाद कटिहार मेडिकल कॉलेज से आई टीम ने नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी की. अब ये भी जान लीजिए कि दिवंगत इंदिरा देवी की आंखों ने दो दिव्यांगों की जिंदगी में नयी रोशनी भर दी है.
![समाज के लिए मिसाल](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/17-08-2024/22230428_purneainfo.jpg)
पूरे परिवार ने लिया नेत्रदान का संकल्पः मां इंदिरा देवी के नेत्रदान से पूरा दुग्गर परिवार इतना प्रभावित हुआ कि परिवार के सभी 12 सदस्यों ने नेत्रदान के संकल्प का फॉर्म भर दिया. जिन लोगों ने नेत्रदान का संकल्प लिया, उनमें गुलाबचंद दुग्गड़, उनकी पत्नी रेणु देवी, विनोद दुग्गड़, उनकी पत्नी संजू देवी, इंदिरा दुग्गड़ के पौत्र अशोक दुग्गड़, पौत्रवधू कनक देवी दुग्गड़, पौत्र अभय कुमार दुग्गड़, पौत्रवधू एकता दुग्गड़, पौत्र अरुण कुमार दुग्गड़, पौत्रवधू रेनु दुग्गड़, पुत्री कुसुम देवी और शिखा कुंडलिया शामिल हैं.
"95 साल की अवस्था में मौत से ठीक 10 दिन पहले उनकी इच्छा हुई कि मरने के बाद क्यों न अपनी आंखें दान कर दूं ताकि किसी और के काम आए और मैं पुण्य कमाऊं ? इसलिए उन्होंने नेत्रदान करने का निश्चय किया. मैंने दधीचि देहदान समिति से संपर्क किया और दादी ने नेत्रदान का संकल्प लिया. दादी की मौते के बाद कटिहार से मेडिकल टीम आई और पूरी प्रक्रिया संपन्न हुई."- अशोक दुग्गड़, इंदिरा देवी के पौत्र
दधीचि देहदान समिति ने किया सम्मानितः परिवार के सभी 12 सदस्यों ने नेत्रदान का संकल्प लेकर पूरे समाज के लिए एक मिसाल कायम की है. परिवार के इस पुनीत कार्य के लिए दधीचि देहदान समिति ने सम्मान पत्र और अंग वस्त्र देकर सभी लोगों को सम्मानित किया. पूर्णिया रेलवे जंक्शन पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दधीचि देह दान समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष और ग्रीन पूर्णिया के संस्थापक डॉ अनिल कुमार गुप्ता के साथ जिलाध्यक्ष हेना सईद ने परिवार के सदस्यों को सम्मानित किया.
कैसे कर सकते हैं नेत्रदान ?: अगर आप भी चाहते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद भी आपकी आंखें या कोई भी अंग दूसरों की जिंदगी में नयी खुशियां लेकर आए तो आप भी नेत्रदान या अंगदान कर सकते हैं. इसके लिए बस ये ध्यान रखना है कि आपको अपने जीवनकाल में ही पहल करनी होगी और आधिकारिक तौर पर फॉर्म भरना होगा. इसके बारे में विस्तार से जानकारी के लिए दधीचि देहदान समिति से संपर्क किया जा सकता है.
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