बारां : जिले के शाहबाद उपखंड इलाके में सघन जंगल की पहाड़ी पर पंप स्टोरेज (पीएसपी) आधारित 1800 मेगावाट का हाइड्रो पावर प्लांट स्थापित किया जा रहा है. जिससे कि टर्बाइन लगाकर विद्युत उत्पादन किया जाएगा. इस प्लांट को स्वीकृति मिल गई है. वन वन प्रेमी और स्थानीय लोग इसके विरोध में उतर गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में विकास के लिए पेड़ों की बलि नहीं दी जा सकती है. ये लोग स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं. शाहबाद के लोगों ने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाया है. इस पूरे मामले पर कोटा के सीसीएफ आरके खैरवा का कहना है कि प्लांट स्थापित करने के लिए अनुमति मेरे पहले मांगी गई थी. यह राज्य सरकार के जरिए जाकर सेंट्रल गवर्नमेंट से जारी होती है. इसमें सैद्धांतिक अनुमति सेंट्रल गवर्नमेंट ने दी है. वन्य प्रेमियों की आपत्ति भी उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है.
वन और वन्य जीव के खिलाफ है ये पीएसपी प्लांट, कूनो भी करीब : कोटा के वन प्रेमी तपेश्वर भाटी का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में हर स्तर पर शिकायत की है और सभी वन प्रेमी एकजुट भी हो गए हैं. कई संस्थाएं इस मामले में इस पीएसपी प्लांट के खिलाफ उतर गई हैं. हम नहीं चाहते हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ों को काटा जाए. यह पेड़ सालों पहले से इस एरिया में हैं. सघन जंगल है और यहां भारी संख्या में वन्यजीव हैं. यह प्रकृति के साथ पूरा विनाश जैसा है. एक पौधे को पेड़ बनने में 25 साल लग जाते हैं और इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ काटने से यह जंगल काफी पीछे चल जाएगा.
तपेश्वर भाटी का कहना है कि अभी हाल ही में कूनो नेशनल पार्क से बाहर निकलकर एक चीता यहां आ गया था, जिसे वन कर्मचारियों ने कड़ी मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज कर वापस कूनो ले गए थे. वहीं, वन विभाग जिसकी जिम्मेदारी वनों को बचाने की है, वह इस प्रकार की परियोजनाओं को राजनीतिक दबाव में स्वीकृति प्रदान कर रही है. हम मामले को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में ले जाने की तैयारी भी कर रहे हैं.
प्लांट से ज्यादा जरूरी है जंगल : चंबल संसद के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि पीएसपी प्लांट के लिए 407 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड के प्रत्यावर्तन की सैद्धांतिक सहमति मिल गई है. जबकि इसके नजदीक की 216 हेक्टेयर दूसरी जमीन भी उपयोग में ली जानी है. यह प्लांट ग्रीनको एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड करीब 10000 करोड़ से स्थापित करेगी, लेकिन पेड़ों की कटाई कर बिजली उत्पादन उचित नहीं है. बिजली और विकास जरूरी है, लेकिन पेड़ हमें बचाने ही होंगे. यह जंगल खत्म हो जाएंगे तो हमारी आबोहवा पूरी तरह से प्रदूषित हो जाएगी. इस एरिया में पैंथर, भालू, गिद्ध और लोमड़ी से लेकर नीलगाय और हिरण भी बड़ी संख्या में हैं. अलग-अलग प्रजाति के हजारों वन्य जीव यहां पर है. हम सभी संस्थाओं से बात कर रहे हैं और हर स्तर पर इसका विरोध किया जाएगा. हमारी शिकायत पर बारां के डीएफओ से जानकारी मिली गई है.
2019 से चल रही थी प्रक्रिया, 2024 में मिली सहमति : ये किशनगंज विधानसभा के शाहबाद एरिया में बनेगा. यहां से गुजर रही कूनो नदी के नजदीक पीएसपी प्लांट को बनाया जा रहा है. इसके लिए 2019 में प्रक्रिया शुरू की गई थी और सरकार ने एमओयू कंपनी से किया था. इसके बाद मुंडियर इलाके में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने सुनवाई भी की थी. इस प्रक्रिया में पहले 550 सेक्टर वन भूमि का डायवर्जेन करवाना था. हालांकि, बाद में इसे संशोधित प्रस्ताव में काम करके 407 हेक्टेयर किया गया है. इसे 2024 के अगस्त माह में सैद्धांतिक सहमति मिल गई है और कुछ प्रक्रियाएं केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित है.
पीक व लीक ऑवर के अंतर के लिए होगा बिजली उत्पादन : पंप स्टोरेज प्लांट के लिए दो बड़ी वाटर बॉडी बनाई जानी हैं. जिसके तहत पहले स्टोरेज प्लांट पहाड़ी के ऊपर होगा. वही दूसरा स्टोरेज प्लांट पहाड़ी के नीचे होगा. यहां पर सोलर सिस्टम भी लगाया जाएगा. जिसके तहत पीक ऑवर के समय उत्पादन करेगा और लीक ऑवर में सस्ती बिजली व सोलर से पहाड़ी पर पानी चढ़ाया जा सकेगा. क्योंकि पीक और लीक ऑवर में बिजली के दरों में काफी अंतर होता है. पीक ऑवर में बिजली मिलना भी मुश्किल हो जाता है. पीक ऑवर सुबह 6 से 11 बजे और शाम को 6:00 से रात 11:00 के बीच होता है. इस समय बिजली काफी महंगी होती है, जब किसी दिन में सोलर और अन्य कई तरीके से बिजली मिल जाती है.