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अनाज पर निर्भर जंगली जानवरों को घास खिलाना होगी चुनौती! पीटीआर प्रबंधन ने तैयार की खास योजना - Food in Palamu Tiger Reserve - FOOD IN PALAMU TIGER RESERVE

Food in Palamu Tiger Reserve. पलामू टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को घास खिलाना चुनौती भरा काम होने जा रहा है. रांची के बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से लाए जा रहे जानवर अनाज पर निर्भर हैं. ऐसे में पीटीआर प्रबंधन ने उनके लिए खास योजना तैयार की है.

Food in Palamu Tiger Reserve
पीटीआर में लगा बोर्ड (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 17, 2024, 10:15 AM IST

पलामू: पीटीआर में अनाज पर निर्भर जंगली जानवरों को घास खिलाना बड़ी चुनौती बन गई है. इसे लेकर तैयारी की जा रही है. पलामू टाइगर रिजर्व में काला हिरण, स्पॉटेड हिरण, सांभर और बार्किंग डियर के साथ गौर बाइसन को लाया जा रहा है. सभी जंगली जानवरों को रांची स्थित बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से पलामू टाइगर रिजर्व के सॉफ्ट रिलीज सेंटर में लाया जाना है. सेंट्रल जू अथॉरिटी से मंजूरी मिलने के बाद सभी को लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

पीटीआर प्रबंधन की खास योजना (ईटीवी भारत)

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में सभी जंगली जानवरों को भोजन के रूप में अनाज दिया जाता है. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व में आने वाले जंगली जानवरों को सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा जाएगा, जहां विशेष घास का मैदान तैयार किया गया है. पहले चरण में पलामू टाइगर रिजर्व में चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए गए हैं. बाद में इसकी संख्या बढ़ाकर छह की जानी है.

पीटीआर प्रबंधन ने तैयार की विशेष योजना

अनाज पर निर्भर जंगली जानवरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने विशेष योजना तैयार की है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंजूरी मिलने के बाद वन्यजीवों को पीटीआर में लाने की प्रक्रिया पर नजर रखी जा रही है.

"भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान, रांची से 44 काले हिरण, 269 स्पॉटेड हिरण, 13 नीलगाय, 18 सांभर, 14 बार्किंग डियर और दो गौर बाइसन को पलामू टाइगर रिजर्व लाया जा रहा है. यह सही है कि भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से लाए गए वन्यजीव भोजन के रूप में अनाज खाते हैं. इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने विशेष योजना तैयार की है. वन्यजीवों के व्यवहार का आकलन किया जाएगा. साथ ही अनाज पर उनकी निर्भरता कम की जाएगी. उन्हें जंगलों में तभी छोड़ा जाएगा जब अनाज पर उनकी निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाएगी" - कुमार आशुतोष, निदेशक, पलामू टाइगर रिजर्व

बाघों के लिए तैयार किया जा रहा प्रीबेस

पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है. पीटीआर में बाघों के लिए प्रीबेस तैयार किया जा रहा है. इसी कड़ी में सॉफ्ट रिलीज सेंटर तैयार किया जा रहा है. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में ही हिरण मौजूद हैं. पूरे पीटीआर में हिरण और चीतल फैलाए जा रहे हैं, ताकि बाघों को सभी इलाकों में भोजन मिल सके.

यह भी पढ़ें:

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पीटीआर प्रबंधन की खास योजना (ईटीवी भारत)

बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में सभी जंगली जानवरों को भोजन के रूप में अनाज दिया जाता है. लेकिन पलामू टाइगर रिजर्व में आने वाले जंगली जानवरों को सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा जाएगा, जहां विशेष घास का मैदान तैयार किया गया है. पहले चरण में पलामू टाइगर रिजर्व में चार सॉफ्ट रिलीज सेंटर बनाए गए हैं. बाद में इसकी संख्या बढ़ाकर छह की जानी है.

पीटीआर प्रबंधन ने तैयार की विशेष योजना

अनाज पर निर्भर जंगली जानवरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने विशेष योजना तैयार की है. पलामू टाइगर रिजर्व के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मंजूरी मिलने के बाद वन्यजीवों को पीटीआर में लाने की प्रक्रिया पर नजर रखी जा रही है.

"भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान, रांची से 44 काले हिरण, 269 स्पॉटेड हिरण, 13 नीलगाय, 18 सांभर, 14 बार्किंग डियर और दो गौर बाइसन को पलामू टाइगर रिजर्व लाया जा रहा है. यह सही है कि भगवान बिरसा मुंडा जैविक उद्यान से लाए गए वन्यजीव भोजन के रूप में अनाज खाते हैं. इसके लिए पलामू टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने विशेष योजना तैयार की है. वन्यजीवों के व्यवहार का आकलन किया जाएगा. साथ ही अनाज पर उनकी निर्भरता कम की जाएगी. उन्हें जंगलों में तभी छोड़ा जाएगा जब अनाज पर उनकी निर्भरता पूरी तरह खत्म हो जाएगी" - कुमार आशुतोष, निदेशक, पलामू टाइगर रिजर्व

बाघों के लिए तैयार किया जा रहा प्रीबेस

पलामू टाइगर रिजर्व करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है. पीटीआर में बाघों के लिए प्रीबेस तैयार किया जा रहा है. इसी कड़ी में सॉफ्ट रिलीज सेंटर तैयार किया जा रहा है. दरअसल, पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क में ही हिरण मौजूद हैं. पूरे पीटीआर में हिरण और चीतल फैलाए जा रहे हैं, ताकि बाघों को सभी इलाकों में भोजन मिल सके.

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