ऋषिकेश: एससी एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर को आरक्षण देने के विरोध में दलित और आदिवासी संगठनों ने आज 'भारत बंद' का आह्वान किया है, जिसके तहत पूरे देश में दलित समाज सड़कों पर उतर गया है. इसी क्रम में उत्तराखंड में भी दलित समाज ने एससी एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर को आरक्षण देने का विरोध किया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग उठाई जा रही है.
ऋषिकेश में दलित समाज ने निकाला जुलूस: ऋषिकेश में दलित समाज ने अंबेडकर चौक से तहसील तक प्रदर्शन करते हुए जुलूस निकाला और एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन भेजा. ज्ञापन में एससी एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर को आरक्षण देने को लेकर जो सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है, उसे निरस्त करने की मांग की गई है. वहीं, अगर ऐसा नहीं होता तो दलित समाज सड़कों पर उतरकर उग्र आंदोलन और प्रदर्शन करेगा, जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
लक्सर में सड़कों पर उतरी भीम आर्मी: लक्सर में भी एससी एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर को आरक्षण देने के विरोध में भीम आर्मी और बसपा कार्यकर्ता शिव चौक में एकत्रित हुए और जुलूस निकाला. साथ ही तहसील पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को उपजिलाधिकारी के जरिए ज्ञापन भेजा.
ये था सुप्रीम कोर्ट का फैसला: बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सात जजों की बेंच ने कैबिनेट बहुमत वाले फैसले में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के आरक्षण में आरक्षण देने की मंजूरी दी थी. यानी SC-ST कैटेगरी के भीतर नई सब कैटेगरी बना सकते हैं और इसके तहत अति पिछड़े वर्ग को अलग से आरक्षण दे सकते हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में क्रीमी लेयर पर हुई थी चर्चा: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में संविधान में दिए गए एससी और एसटी के लिए आरक्षण के उप वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बातचीत हुई. इसी बीच साफ हुआ कि डॉ. बीआर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान में एससी और एसटी के लिए आरक्षण प्रणाली में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे बाबा अंबेडकर के संविधान के मुताबिक की आरक्षण होना चाहिए.
मसूरी में आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति ने किया विरोध: मसूरी में आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े कार्यकर्ता मसूरी अंबेडकर चौक पर एकत्रित हुए और एससी एसटी श्रेणी में क्रीमी लेयर को आरक्षण देने का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले को वापस लेने की मांग उठाई. साथ ही नायब तहसीलदार कमल राठोड के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर मामले में हस्तक्षेप करने को कहा है.
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