रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा बनाये गये चार लेबर कोड को वापस लेने, किसानों द्वारा उगाये गये फसलों का एमएसपी तय करने समेत 21 मुद्दों पर देश भर के 200 से अधिक किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर आज देशभर में ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक हड़ताल है. झारखंड में ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक हड़ताल को सफल बनाने के लिए किसान और मजदूर संगठन कोलियरियों को बंद करा रहे हैं, वहीं संयुक्त वाम मोर्चा और ट्रेड यूनियन नेताओं ने राजधानी रांची की सड़कों पर विरोध मार्च निकाला.
एटक, सीटू, इंटक आदि समेत कई संगठनों के आह्वान पर होने वाले राष्ट्रव्यापी ग्रामीण भारत बंद को सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई एमएलए, राष्ट्रीय जनता दल ने समर्थन दिया है. इस एक दिवसीय हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों ने समर्थन दिया है. इससे राज्य की कोयला और लौह अयस्क खदानों पर व्यापक असर पड़ने की खबर है.
रांची में निकाला गया विरोध मार्च
आज रांची में भी सैनिक मार्केट से शहीद चौक तक विरोध मार्च निकाला गया. इस दौरान मोदी सरकार को किसान और मजदूर विरोधी बताते हुए सीपीएम के राज्य सचिव और मजदूर नेता प्रकाश विप्लव ने कहा कि आज पूरे झारखंड के किसान और मजदूर केंद्र के खिलाफ मुखर हैं. यहां आज के ग्रामीण भारत बंद और औद्योगिक हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. प्रकाश विप्लव ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गये चार काले लेबर कोड को खत्म नहीं किया जाता, किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं दिया जाता, बिजली कानून में संशोधन नहीं किया जाता और बढ़ती महंगाई पर रोक नहीं लगायी जाती, तब तक वाम मोर्चा चुप नहीं बैठेगा.
इस दौरान सीपीआई के राज्य सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि मोदी सरकार की तानाशाही, बढ़ती महंगाई और विपक्षी सांसदों को संसद से बाहर कर काले कानून पारित करने के खिलाफ आज पूरा देश एकजुट है. मासस नेता सुशांतो मुखर्जी ने कहा कि आज की मूल लड़ाई धान और रोटी की है. इसी के लिए देश के किसान संघर्ष कर रहे हैं. एमएसपी लागू होने तक मासस यह लड़ाई जारी रखेगा.
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