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छत्तीसगढ़ में वेतन विसंगति का दंश, जानिए शिक्षक क्यों कर रहे हैं मांग ?

छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक वेतन विसंगति दूर करने की मांग वर्षों से कर रहे हैं.आईए जानते हैं आखिर ये स्थिति क्यों पैदा हुई.

Protest for pay discrepancy in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में वेतन विसंगति का दंश (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 4, 2024, 7:47 PM IST

Updated : Nov 4, 2024, 10:31 PM IST

सरगुजा : छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला हमेशा से ही गर्माया हुआ रहता है.हर बार कर्मचारी सरकार से वेतन विसंगति को दूर करने की मांग करते हैं. लेकिन यदि इस वेतन विसंगति को दूर किया जाए, तो सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ेगा. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने शिक्षक संघ के नेता सर्वजीत पाठक से बात की और पूरी प्रक्रिया को समझा.



किन कर्मचारियों में वेतन विसंगति ज्यादा : सर्वजीत पाठक के मुताबिक प्रदेश में वेतन विसंगति को लेकर लगातार कर्मचारी और शिक्षक अपने अधिकार की मांग करता रहा है. इसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को छोड़ दें तो लगभग सभी कर्मचारियों का वेतन विसंगति का मामला है. शिक्षकों की वेतन विसंगति में हम शिक्षक एलबी संवर्ग को देखें और रेगुलर शिक्षक का वेतन देखें तो उनमे वेतन में अंतर विसंगति के रूप में दिखाई देता है.

कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला (ETV BHARAT)

10 से 30 हजार का अंतर : सर्वजीत पाठक के मुताबिक उदाहरण के रूप में हम देखें तो जो सहायक शिक्षक एलबी और शिक्षक एलबी हैं इनके वेतन में करीब 10 हजार रुपये का अंतर है. इनकी तुलना हम रेगुलर शिक्षक से करें तो वो 80 - 85 हजार रुपये वेतन पा रहा है. जबकी एलबी संवर्ग का सहायक शिक्षक मात्र 50 हजार रुपये पा रहा है. ये तीस हजार रुपये का अंतर है. तो वेतन में एक लंबा गैप हो जाता है. अपने ही संवर्ग और अपने ही साथ काम करने वाले व्यक्ति के साथ तो इसको हम वेतन विसंगति के रूप में देखते हैं.



पंचायत संवर्ग से वेतन विसंगति : सर्वजीत पाठक के मुताबिक वेतन में विसंगति तब पैदा हुई ये जब हम पंचायत संवर्ग में थे. तब हमको मानदेय दिया जाता जाता था. बाद में 2002-03 के आस पास तत्कालीन सरकार ने एक वेतन मान दिया. 3800 रुपये का वेतन मान दिया. उसमें वेतन पर महंगाई भत्ता दिया गया. ये तय किया गया कि इनको पदोन्नति दी जाएगी. यदि 7 साल में पदोन्नति नहीं की गई तो 10 साल में क्रमोन्नति दी जाएगी. पर्याप्त पदोन्नति नही की गई. समय मान वेतन मान कुछ लोगों को दिया गया. इसी बीच एक नया वेतन मान पुनरीक्षित वेतन मान 2012 में जब आया तो सहायक शिक्षकों का वेतन 5 हजार और ढाई हजार अध्यापन भत्ते के नाम पर किया गया.

पुनरक्षित वेतनमान में भी आई गड़बड़ी सामने : जब पुनरीक्षित वेतन मान आया तो 1.86 से गुणा करने जो न्यूनतम वेतन फिक्स करना था वो नहीं किया गया. और न्यूनतम वेतन मान पर ही पुनरीक्षित वेतन मान दिया गया. जिस कारण एक अंतर और बढ़ गया. इसके बाद इनके ग्रेड पे को 2400 रखा गया, व्याख्याता के ग्रेड पे को 4600 रखा गया और शिक्षक के ग्रेड पे को 4300 रखा गया.अगर व्याख्याता और शिक्षक के ग्रेड पे में सौ रुपये का अंतर रखा गया और सौ या दो सौ का ही अंतर सहायक शिक्षकों के वेतन में भी रखना था. लेकिन इनका ग्रेड पे 2400 रखा गया जिस कारण इनका वेतन तुलनात्मक कम हो गया.

आज अपने ही संवर्ग में हमारा सहायक शिक्षक 10 हजार रुपये कम वेतन पाता है. नियमित सहायक शिक्षकों से हम तुलना करते हैं तो 30 से 40 हजार रुपये का अंतर वेतन में पाते हैं.ऐसी असंतोष जनक स्थिति बनती है. पूरे प्रदेश में सहायक शिक्षक एलबी की संख्या करीब 77 हजार है. एक के वेतन पर आठ से दस हजार का अंतर है. तो ये बोझ सरकार पर आएगा. क्योंकि ये गलती भी सरकार की ही है.सरकार को इसे दूर करना चाहिए- सर्वजीत पाठक, शिक्षक नेता

कितना आएगा सरकार पर बोझ : सहायक शिक्षकों की मांग यदि सरकार ने मान ले तो सरकारी खजाने पर बड़ा असर पड़ेगा. छत्तीसगढ़ में 77 हजार 70 सहायक शिक्षक कार्यरत हैं. इनमे ज्यादातर संख्या सहायक शिक्षक एलबी संवर्ग की ही है. क्योंकि रेगुलर सहायक शिक्षक रिटायर होते गए तो उनकी संख्या अब बहुत ही कम बची है. ऐसे में अगर प्रदेश में सहायक शिक्षक एलबी की संख्या को 60 हजार भी माना जाए तो हर शिक्षक को हर महीने 8 हजार भी देने पड़े तो ये राशि करीब 48 करोड़ होती है. जाहिर है कि स्थापना व्यय में अचानक से करीब 48 करोड़ का खर्चा हर महीने बढ़ाना आसान नही है. लेकिन फिर भी इस विसंगति का कारण सरकार की नीतियां ही रही हैं. तो लगातार शिक्षक संघ वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं.

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सरगुजा : छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला हमेशा से ही गर्माया हुआ रहता है.हर बार कर्मचारी सरकार से वेतन विसंगति को दूर करने की मांग करते हैं. लेकिन यदि इस वेतन विसंगति को दूर किया जाए, तो सरकार के खजाने पर बोझ बढ़ेगा. इस पूरे मामले में ईटीवी भारत ने शिक्षक संघ के नेता सर्वजीत पाठक से बात की और पूरी प्रक्रिया को समझा.



किन कर्मचारियों में वेतन विसंगति ज्यादा : सर्वजीत पाठक के मुताबिक प्रदेश में वेतन विसंगति को लेकर लगातार कर्मचारी और शिक्षक अपने अधिकार की मांग करता रहा है. इसमें आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को छोड़ दें तो लगभग सभी कर्मचारियों का वेतन विसंगति का मामला है. शिक्षकों की वेतन विसंगति में हम शिक्षक एलबी संवर्ग को देखें और रेगुलर शिक्षक का वेतन देखें तो उनमे वेतन में अंतर विसंगति के रूप में दिखाई देता है.

कर्मचारियों की वेतन विसंगति का मामला (ETV BHARAT)

10 से 30 हजार का अंतर : सर्वजीत पाठक के मुताबिक उदाहरण के रूप में हम देखें तो जो सहायक शिक्षक एलबी और शिक्षक एलबी हैं इनके वेतन में करीब 10 हजार रुपये का अंतर है. इनकी तुलना हम रेगुलर शिक्षक से करें तो वो 80 - 85 हजार रुपये वेतन पा रहा है. जबकी एलबी संवर्ग का सहायक शिक्षक मात्र 50 हजार रुपये पा रहा है. ये तीस हजार रुपये का अंतर है. तो वेतन में एक लंबा गैप हो जाता है. अपने ही संवर्ग और अपने ही साथ काम करने वाले व्यक्ति के साथ तो इसको हम वेतन विसंगति के रूप में देखते हैं.



पंचायत संवर्ग से वेतन विसंगति : सर्वजीत पाठक के मुताबिक वेतन में विसंगति तब पैदा हुई ये जब हम पंचायत संवर्ग में थे. तब हमको मानदेय दिया जाता जाता था. बाद में 2002-03 के आस पास तत्कालीन सरकार ने एक वेतन मान दिया. 3800 रुपये का वेतन मान दिया. उसमें वेतन पर महंगाई भत्ता दिया गया. ये तय किया गया कि इनको पदोन्नति दी जाएगी. यदि 7 साल में पदोन्नति नहीं की गई तो 10 साल में क्रमोन्नति दी जाएगी. पर्याप्त पदोन्नति नही की गई. समय मान वेतन मान कुछ लोगों को दिया गया. इसी बीच एक नया वेतन मान पुनरीक्षित वेतन मान 2012 में जब आया तो सहायक शिक्षकों का वेतन 5 हजार और ढाई हजार अध्यापन भत्ते के नाम पर किया गया.

पुनरक्षित वेतनमान में भी आई गड़बड़ी सामने : जब पुनरीक्षित वेतन मान आया तो 1.86 से गुणा करने जो न्यूनतम वेतन फिक्स करना था वो नहीं किया गया. और न्यूनतम वेतन मान पर ही पुनरीक्षित वेतन मान दिया गया. जिस कारण एक अंतर और बढ़ गया. इसके बाद इनके ग्रेड पे को 2400 रखा गया, व्याख्याता के ग्रेड पे को 4600 रखा गया और शिक्षक के ग्रेड पे को 4300 रखा गया.अगर व्याख्याता और शिक्षक के ग्रेड पे में सौ रुपये का अंतर रखा गया और सौ या दो सौ का ही अंतर सहायक शिक्षकों के वेतन में भी रखना था. लेकिन इनका ग्रेड पे 2400 रखा गया जिस कारण इनका वेतन तुलनात्मक कम हो गया.

आज अपने ही संवर्ग में हमारा सहायक शिक्षक 10 हजार रुपये कम वेतन पाता है. नियमित सहायक शिक्षकों से हम तुलना करते हैं तो 30 से 40 हजार रुपये का अंतर वेतन में पाते हैं.ऐसी असंतोष जनक स्थिति बनती है. पूरे प्रदेश में सहायक शिक्षक एलबी की संख्या करीब 77 हजार है. एक के वेतन पर आठ से दस हजार का अंतर है. तो ये बोझ सरकार पर आएगा. क्योंकि ये गलती भी सरकार की ही है.सरकार को इसे दूर करना चाहिए- सर्वजीत पाठक, शिक्षक नेता

कितना आएगा सरकार पर बोझ : सहायक शिक्षकों की मांग यदि सरकार ने मान ले तो सरकारी खजाने पर बड़ा असर पड़ेगा. छत्तीसगढ़ में 77 हजार 70 सहायक शिक्षक कार्यरत हैं. इनमे ज्यादातर संख्या सहायक शिक्षक एलबी संवर्ग की ही है. क्योंकि रेगुलर सहायक शिक्षक रिटायर होते गए तो उनकी संख्या अब बहुत ही कम बची है. ऐसे में अगर प्रदेश में सहायक शिक्षक एलबी की संख्या को 60 हजार भी माना जाए तो हर शिक्षक को हर महीने 8 हजार भी देने पड़े तो ये राशि करीब 48 करोड़ होती है. जाहिर है कि स्थापना व्यय में अचानक से करीब 48 करोड़ का खर्चा हर महीने बढ़ाना आसान नही है. लेकिन फिर भी इस विसंगति का कारण सरकार की नीतियां ही रही हैं. तो लगातार शिक्षक संघ वेतन विसंगति दूर करने की मांग कर रहे हैं.

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Last Updated : Nov 4, 2024, 10:31 PM IST
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