लखनऊ : क्या जिम में शरीर बनाने की चाह रखने वाले नाबालिगों के शरीर को बर्बाद किया जा रहा है? क्या जिम में नाबालिगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है? क्या जिम में युवाओं को नपुंसक बनाया जा रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि यूपी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिख इस गंभीर मसले को उठाया है और तत्काल जिम में नाबालिगों को दिए जाने वाले प्रोटीन पाउडर समेत अन्य स्टेरॉयड पर रोक लगाने की मांग की है.
बच्चों को जबरन दिया जा रहा प्रोटीन पाउडर व स्टेरॉयड : राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि, बीते माह वाराणसी के एक नाबालिग बच्चे के शरीर में अजीब से बदलाव देखने को मिले थे. वह बच्चा जिम जाता था. उसके परिजनों ने आयोग को शिकायत की और बताया कि उस बच्चे को जिम में बॉलीवुड हीरो जैसी बॉडी बनाने का भरोसा दिलाया गया और फिर उसे अलग-अलग तरह के प्रोटीन पाउडर और स्टेरॉयड दिए जाने लगे. कुछ ही माह में उसके शरीर में दर्द रहने लगा और फिर अजीब से बदलाव हुए थे. इसके बाद आयोग ने वाराणसी पुलिस से इस मामले में कार्रवाई करने को लेकर पत्राचार किया तो पता चला कि जिम के लिए कोई सरकारी मानक ही नहीं है ऐसे में कार्रवाई किस आधार पर की जाए.
जिम में बच्चों को बहला कर कराया जा रहा है एडमिशन : आयोग सदस्य के मुताबिक, न सिर्फ उत्तर प्रदेश में बल्कि पूरे देश में आज के युवाओं को खासकर 15 से लेकर 20 वर्ष के बच्चों में दिखावे और फैशन के लिए अपने शरीर को बॉलीवुड हीरो जैसे बनाने का क्रेज जोरों पर है. ऐसे में वो कम उम्र में ही जिम में दाखिला ले लेते हैं. इतना ही नहीं जिम में ट्रेनर द्वारा उनकी बॉडी को हीरो जैसी बनाने का भरोसा भी दिया जाता है, जबकि हल्की-फुल्की एक्सरसाइज के लिए तो ठीक, लेकिन नाबालिग बच्चों को जिम में हैवी एक्सरसाइज करवाना ही गलत है, लेकिन जिम में नाबालिग बच्चों को हैवी एक्सरसाइज करवाने के साथ-साथ उन्हें प्रोटीन पाउडर और एस्टेरॉयड भी दिए जा रहे हैं, जो एक बच्चे के लिए घातक है. इसी वजह से यूपी के मुख्य सचिव मनोज सिंह को आयोग ने पत्र लिखा है, जिसमें जिम के लिए मानकों का निर्धारण करने और उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई करवाने की मांग की है.
नपुंसक बन सकते हैं युवा : पीजीआई लखनऊ में तैनात डायटीशियन डॉक्टर मोनिका ने बताया कि, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का यह कदम सराहनीय है. उन्होंने बताया कि वैसे तो बिना जांचे-परखे प्रोटीन पाउडर खासकर नाबालिगों को देना घातक होता है, लेकिन जिम में दिए जाने वाला स्टेरॉयड चाहे बालिग हो या नाबालिग दोनों के लिए खतरनाक है. नाबालिगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकता है. डायटिशियन के मुताबिक, निसंदेह मांसपेशियों के निर्माण में मदद करते हैं, लेकिन स्टेरॉयड के बहुत गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल प्रजनन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है. जिम में सुडौल शरीर दिखने के लिए दिए जाने वाला स्टेरॉयड नपुंसकता, अंडकोष में शुक्राणु उत्पादन में कमी और यहां तक कि अंडकोष के आकार को छोटा करने का कारण बन सकता है.
जिम में होने वाली मौतों का कारण है स्टेरॉयड : डायटीशियन डॉ. मोनिका के मुताबिक, स्टेरॉयड लाल रक्त कोशिका उत्पादन और शरीर के वजन को बढ़ाता है, जिससे रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जिससे हृदय विफलता और हृदय रोग हो सकता है. वे किडनी के कार्य के लिए भी जोखिम पैदा करते हैं और नेफ्रोटॉक्सिसिटी का कारण बन सकते हैं, जिससे किडनी की बीमारी और विफलता हो सकती है. यही कारण है कि रोजाना देश के किसी न किसे हिस्से से जिम में वर्कआउट करते हुए हार्ट अटैक के कारण युवाओं की मौत हो रही है, इसमें नाबालिगों या फिर 15 से 22 वर्ष के उम्र के युवाओं की संख्या अधिक है. जिसे कोराना का आफ्टर इफेक्ट बताया जा रहा है.
नाबालिगों के शरीर में होते रहते हैं बदलाव, जिम जाना घातक : जिम ट्रेनर मुमताज कहते हैं कि, उनकी जिम में 14 से 16 वर्ष के बच्चे एडमिशन लेने के लिए रोजाना आते हैं, लेकिन वह उन्हें मना करते हुए घर में ही कुछ एक्सरसाइज करने के लिए कह देते हैं. बीते कुछ वर्षों में देखा गया है कि इस उम्र के बच्चों में जिम जाने को लेकर क्रेज बढ़ा है और वह जा भी रहे हैं, लेकिन यह बहुत खतरनाक है. क्योंकि इस उम्र में बच्चों के शरीर में पहले ही कई बदलाव हो रहे होते हैं. जिसके चलते उनका शरीर पूरी तरह जिम के लिए परिपक्व नहीं होता है. इतना ही नहीं इन बच्चों की मसल्स भी इतनी मजबूत नहीं होती कि कम उम्र में जिम की हैवी एक्सरसाइज और उसके इक्विपमेंट्स को झेल सके. ऐसे में बच्चों को जिम भेजने की सही उम्र 17-18 साल के करीब होनी चाहिए.
'शारीरिक ही नहीं मानसिक समस्या भी हो सकती है' : जिम ट्रेनर विकास कहते हैं कि, नाबालिगों के जिम में जाने से सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक समस्या भी हो सकती है. रोजाना जिम जाना और फिर यह महसूस करना कि वो फिट नहीं हो रहे, बच्चों को प्रभावित कर सकता है. इससे उन्हें एंजाइटी, डिप्रेशन या फिर निराशा महसूस हो सकती है. इतना ही नहीं इसके लिए वो अपने जिम ट्रेनर से कहते हैं और अधिकांश ट्रेनर बच्चों को प्रोटीन पाउडर और स्टेरॉयड लेने की सलाह दे देते हैं. इस पर रोक लगनी ही चाहिए.