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उपभोक्ताओं से वसूली का बिजली विभाग ने खोजा नया तरीका, विरोध शुरू

यूपी में बिजली कंपनियां अपना राजस्व बढ़ाने के लिए रोज नए-नए (Power Corporation) जतन कर रही हैं. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बिजली कंपनियों की नीति को लेकर सवाल खड़े किए हैं.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 10:51 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां अपना राजस्व बढ़ाने के लिए रोज नए-नए जतन कर रही हैं. बिजली कंपनियों की एक नीति सामने आई है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के आदेश पर मध्यांचल के निदेशक वाणिज्य ने मुख्य अभियंता के प्रस्ताव पर पावर काॅरपोरेशन के निदेशक आईटी को एक प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव में बिलिंग मास्टर डाटा में ऐसे विद्युत उपभोक्ताओं को शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जिनके घरों में एयर कंडीशन लगे हुए हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एमवीवीएनएल) का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बडे़ पैमाने पर एसी लगे हुए हैं, लेकिन उनके मीटर रीडर काल्पनिक या टेबल रीडिंग करते हैं. जिन उपभोक्ताओं ने गर्मी में एसी का उपयोग किया है तो अब ठंडी में हीटर गीजर चला रहे होंगे. ऐसे विद्युत उपभोक्ताओं को चिन्हित कर उनका भार बढ़ाया जाए. उनकी जांच की जाए जिससे फिक्स चार्ज बढे़गा और रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. मास्टर डाटा में फ्लैग करना जरूरी है.

  • उपभोक्ता परिषद का बिजली कंपनियों पर हमला कहा जब करोड अरबो रूपया खर्च करके एमडीआई व स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं तो उपभोक्ता के घर में एसी लगा हो गीजर लगा हो या कुछ भी उसका भार अपने आप मीटर में रिकॉर्ड होगा उसको चिन्हीकृत करने से आगे क्या इंस्पेक्टर राज को लागू करना है।

    — avadhesh kumar verma (@uprvup) January 30, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">




क्या उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं होगा? : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि इन बिजली अभियंताओं को कौन सलाह देता है? करोड़ों, अरबों रुपया खर्च करके पहले मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर (एमडीआई) मीटर लगाया गया. अब स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है. किसी भी विद्युत उपभोक्ता के घर में यदि कोई भी एसी सहित हीटर गीजर चल रहा होगा तो उसका रिकॉर्ड उपभोक्ता के परिसर पर लगे मीटर में अपने आप भार के रूप में अंकित होगा. अगर भार ज्यादा होगा तो पेनाल्टी लगेगी. ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर पर लगे एयर कंडीशन चिन्हीकरण की कार्रवाई से क्या उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं होगा? इंस्पेक्टर राज की तरफ हम नहीं बढे़ेंगे?

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली अभियंताओं को ऐसा लग रह है कि अगर किसी विद्युत उपभोक्ता के घर में एयर कंडीशन लगा है तो वह वाई-फाई से बिजली खींच लेगा? ऐसे तकनीकी अभियंताओं के भरोसे अगर बिजली विभाग रहेगा तो उपभोक्ता उत्पीड़न का शिकार होते रहेंगे. वास्तव में मीटर रीडर गड़बड़ कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. बिजली चोरी पकड़ने के लिए विजिलेंस विंग सहित भारी फौज है, वह उपभोक्ताओं के परिसर पर कोई भी कार्रवाई करें किसी का कोई विरोध नहीं. लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध होना स्वाभाविक है. क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का शोषण होना तय है. बिजली कंपनियों को शायद पता नहीं होगा पहले टैरिफ में एसी का अलग चार्ज का प्रावधान था. जब उपभोक्ताओं का शोषण होने लगा तो यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई. अब मीटर में जो भी भार या यूनिट रिकॉर्ड होगी, उसके आधार पर उपभोक्ताओं से बिल चार्ज किया जाता है.


पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन को लगानी चाहिए रोक : उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों को शायद यह नहीं पता है कि आज जो मीटर रीडर टेबल रीडिंग कर रहे हैं, कल को वही एक एसी के बारे में भी गलत सूचना देंगे. फिर उसके आधार पर उपभोक्ताओं के परिसर की अनावश्यक जांच होगी, जो सही नहीं है. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन को तत्काल इस पर रोक लगाना चाहिए.

यह भी पढ़ें : बिजली विभाग उपभोक्ताओं के लिए तैयार कर रहा ऑटो जेनरेटेड मुआवजा क्लॉज का नंबर, ओटीपी की भी व्यवस्था

यह भी पढ़ें : कनेक्शन देने के लिए विभाग के पास मीटर नहीं, गैंग के पास नए मीटरों की भरमार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियां अपना राजस्व बढ़ाने के लिए रोज नए-नए जतन कर रही हैं. बिजली कंपनियों की एक नीति सामने आई है. मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के आदेश पर मध्यांचल के निदेशक वाणिज्य ने मुख्य अभियंता के प्रस्ताव पर पावर काॅरपोरेशन के निदेशक आईटी को एक प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव में बिलिंग मास्टर डाटा में ऐसे विद्युत उपभोक्ताओं को शामिल करने का निर्णय लिया गया है, जिनके घरों में एयर कंडीशन लगे हुए हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (एमवीवीएनएल) का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी बडे़ पैमाने पर एसी लगे हुए हैं, लेकिन उनके मीटर रीडर काल्पनिक या टेबल रीडिंग करते हैं. जिन उपभोक्ताओं ने गर्मी में एसी का उपयोग किया है तो अब ठंडी में हीटर गीजर चला रहे होंगे. ऐसे विद्युत उपभोक्ताओं को चिन्हित कर उनका भार बढ़ाया जाए. उनकी जांच की जाए जिससे फिक्स चार्ज बढे़गा और रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. मास्टर डाटा में फ्लैग करना जरूरी है.

  • उपभोक्ता परिषद का बिजली कंपनियों पर हमला कहा जब करोड अरबो रूपया खर्च करके एमडीआई व स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं तो उपभोक्ता के घर में एसी लगा हो गीजर लगा हो या कुछ भी उसका भार अपने आप मीटर में रिकॉर्ड होगा उसको चिन्हीकृत करने से आगे क्या इंस्पेक्टर राज को लागू करना है।

    — avadhesh kumar verma (@uprvup) January 30, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">




क्या उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं होगा? : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि इन बिजली अभियंताओं को कौन सलाह देता है? करोड़ों, अरबों रुपया खर्च करके पहले मैक्सिमम डिमांड इंडिकेटर (एमडीआई) मीटर लगाया गया. अब स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है. किसी भी विद्युत उपभोक्ता के घर में यदि कोई भी एसी सहित हीटर गीजर चल रहा होगा तो उसका रिकॉर्ड उपभोक्ता के परिसर पर लगे मीटर में अपने आप भार के रूप में अंकित होगा. अगर भार ज्यादा होगा तो पेनाल्टी लगेगी. ऐसे में विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर पर लगे एयर कंडीशन चिन्हीकरण की कार्रवाई से क्या उपभोक्ताओं का उत्पीड़न नहीं होगा? इंस्पेक्टर राज की तरफ हम नहीं बढे़ेंगे?

अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि बिजली अभियंताओं को ऐसा लग रह है कि अगर किसी विद्युत उपभोक्ता के घर में एयर कंडीशन लगा है तो वह वाई-फाई से बिजली खींच लेगा? ऐसे तकनीकी अभियंताओं के भरोसे अगर बिजली विभाग रहेगा तो उपभोक्ता उत्पीड़न का शिकार होते रहेंगे. वास्तव में मीटर रीडर गड़बड़ कर रहे हैं तो उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. बिजली चोरी पकड़ने के लिए विजिलेंस विंग सहित भारी फौज है, वह उपभोक्ताओं के परिसर पर कोई भी कार्रवाई करें किसी का कोई विरोध नहीं. लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई का विरोध होना स्वाभाविक है. क्योंकि इस प्रकार की कार्रवाई से प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का शोषण होना तय है. बिजली कंपनियों को शायद पता नहीं होगा पहले टैरिफ में एसी का अलग चार्ज का प्रावधान था. जब उपभोक्ताओं का शोषण होने लगा तो यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई. अब मीटर में जो भी भार या यूनिट रिकॉर्ड होगी, उसके आधार पर उपभोक्ताओं से बिल चार्ज किया जाता है.


पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन को लगानी चाहिए रोक : उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों को शायद यह नहीं पता है कि आज जो मीटर रीडर टेबल रीडिंग कर रहे हैं, कल को वही एक एसी के बारे में भी गलत सूचना देंगे. फिर उसके आधार पर उपभोक्ताओं के परिसर की अनावश्यक जांच होगी, जो सही नहीं है. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन को तत्काल इस पर रोक लगाना चाहिए.

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