रांचीः हर साल झारखंड में सड़क दुर्घटना के दौरान हजारों लोगों की मौत होती है. ऐसे में इस तरह की दुर्घटना की रोकथाम रोड सेफ्टी के नियमों को लोगों तक जानकारी पहुंचा कर किया जा सकता है. यह बातें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम के दौरान परिवहन सचिव कृपानंद झा ने कहीं.
रांची में स्टेशन रोड स्थित एक होटल में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान परिवहन सचिव ने कहा कि कभी-कभी सड़क दुर्घटना का कारण उसके डिजाइन भी होती है. ऐसे में डीपीआर बनाते वक्त रोड सेफ्टी का ध्यान रखते हुए इसे तैयार किया जाए और डीपीआर के अनुसार ही सड़क का निर्माण भी किया जाए. गाड़ियों की सभी जांच के बाद ही फिटनेस सर्टिफिकेट देनी चाहिए. ड्राइविंग लाइसेंस देने से पहले सभी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद ही इसे जारी करना चाहिए. सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए रोड सेफ्टी की जानकारी होना आवश्यक है और इस दिशा में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. इस मौके पर एडीजी संजय आनंद लाटकर ने कहा कि रोड सेफ्टी में इंजीनियरिंग एजुकेशन और एनफोर्समेंट महत्वपूर्ण होता है, जिसका ध्यान रखना चाहिए.
झारखंड में हर साल सड़क दुर्घटना से होती हैं हजारों मौतेंः
झारखंड में हर साल सड़क दुर्घटना से हजारों लोगों की मौत होती है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2020 में राज्य में 4405 सड़क दुर्घटना हुए थे, जिसमें 3044 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 2021 में 4728 सड़क हादसा हुआ था, जिसमें 3513 लोगों की जान चली गई. साल 2022 की बात करें तो इसमें इजाफा होता हुआ दिखा. इस साल 5175 सड़क हादसे हुए, जिसमें 3898 लोगों की मौत हो गई. भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में हर दिन सड़क हादसों में 10 लोगों की मौत हो जाती है. स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देश में होने वाली प्रति 100 दुर्घटनाओं में झारखंड में सर्वाधिक मौत होती हैं. इस तरह से झारखंड देश में चौथा स्थान सड़क दुर्घटना में रखता है.
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