जोधपुर. जोधपुर आईआईटी संस्थान की कमान बुधवार से राजस्थानी हाथों में होगी. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी कानपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल ने जोधपुर आईआईटी के निदेशक के रूप में बुधवार को कार्यभार संभाल लिया है.
प्रो. अग्रवाल मूलत: करौली के रहने वाले हैं. वर्ष 2008 में आईआईटी की जोधपुर में हुई स्थापना के बाद पहली बार किसी राजस्थानी को निदेशक की नियुक्ति दी गई है. प्रोफेसर अग्रवाल का कार्यकाल 5 वर्ष तक रहेगा. वे आईआईटी जोधपुर के चौथे निदेशक हैं. आईआईटी जोधपुर के पहले निदेशक डॉ. पीके कालरा थे, उनके बाद प्रोफेसर सीवीआर मूर्ति और तीसरे निदेशक प्रोफेसर शांतनु चौधरी थे. चौथे निदेशक के रूप में डॉ अविनाश कुमार अग्रवाल ने कमान संभाली है. बुधवार को आईआईटी के निवर्तमान निदेशक प्रोफेसर शांतनु कुमार ने उनको कार्यभार सौंपा. इस मौके पर प्रोफेसर अग्रवाल ने आईआईटी के सभी कार्मिकों का आह्वान किया कि हमें इस संस्थान को और अधिक ऊंचाई पर ले जाना है. इससे राष्ट्र निर्माण में हमारा योगदान हो सके. आईआईटी कार्मिकों ने उनका स्वागत किया.
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नवाचार पर रहेगा जोर: आईआईटी जोधपुर के नए निदेशक प्रोफेसर अग्रवाल का नवाचार, सहयोग और उत्कृष्टता पर जोर रहेगा. उनका मिशन संस्थान के शैक्षणिक कार्यक्रमों को और बढ़ाना, नए अनुसंधान केंद्र स्थापित करना और एक ट्रांसडिसिप्लिनरी अनुसंधान मॉडल को बढ़ावा देना है. प्रोफेसर अग्रवाल के नेतृत्व में आईआईटी जोधपुर राजस्थान राज्य में जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण और उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. प्रो. अग्रवाल 2016 में भारत में विज्ञान के क्षेत्र में सबसे बड़ा पुरस्कार शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार जीत चुके हैं. इसके अलावा वे अक्षय ऊर्जा बायोफ्यूल हाइड्रोजन सीएनजी पर काम करते हैं. उन्होंने बायोफ्यूल का आईसी इंजन भी बनाया है. यहां तक कि अपनी खुद की बायोफ्यूल संचालित कार भी बनाई.