लखनऊ: प्रदेश के राजकीय इंटर कॉलेजो में शिक्षको की कमी को दूर करने के लिए विभाग की ओर से सेवानिवृत शिक्षकों की तैनाती की प्रक्रिया आचार संहिता समाप्त होने के बाद शुरू होगी. इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से तैयारी कर ली गई है. विभाग का कहना है, कि 4 जून के बाद जैसे ही आचार संहिता समाप्त होगी, वैसे ही इच्छुक सेवानिवृत शिक्षकों को शिक्षण कार्य के लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दिया जाएगा. ज्ञात हो कि माध्यमिक शिक्षा परिषद में राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए विभाग से ही सेवानिवृत हुए शिक्षकों को एक तय मानदेय पर दोबारा से इन्हीं विद्यालयों में पढ़ना की जिम्मेदारी देने जा रहा है.
जहां शिक्षक कम वहां पहले होगी सेवानिवृत शिक्षकों की तैनाती: प्रदेश में मौजूदा समय में राजकीय इंटर कॉलेज और हाई स्कूलों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए सेवानिवृत शिक्षकों का विकल्प निकल गया है. अधिकारियों के मुताबिक इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद राजकीय इंटर कॉलेज में काफी हद तक शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाएगा. माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉक्टर महेंद्र देव के मुताबिक जल्द ही विभाग प्रक्रिया शुरू करेगा. ताकि इसी सत्र से इंटर कॉलेज को समय से शिक्षक मिल जाए. इसके साथ ही उन कॉलेजों में सबसे पहले शिक्षकों की कमी को पूरा किया जाएगा. जहां पर शिक्षकों की ज्यादा कमी है, इसके साथ ही चयन बोर्ड की ओर से भी नई भर्ती को लेकर शासन स्तर पर विचार किया जा रहा है. डॉ महेंद्र देव ने बताया, कि शिक्षक जिस अनुपात में सेवा निवृत हुए हैं उसके बाद भर्ती प्रक्रिया में समय लग गया है. जिस कारण से राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है. वहीं नए आयोग के गठन की प्रक्रिया अभी पूरी हो गई. अब नया आयोग गठित हुआ है तो नई भर्ती प्रक्रिया शुरू होने और पूरी होने में समय लगेगा. तब तक सेवानिवृत शिक्षकों के सहारे ही राजकीय विद्यालयों में पढ़ाई पूरी कराई जाएगी.
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सत्र शुरू हुए डेढ़ महीने हो चुके हैं, दूसरे शिक्षकों के भरोसे हो रही है पढ़ाई: माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ. आर पी मिश्रा ने बताया, कि राजकीय इंटर कॉलेज में शैक्षिक सत्र 1 अप्रैल से शुरू हो चुका है. प्रदेश के कई राजकीय इंटर कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर साइंस गणित इंग्लिश जैसे महत्वपूर्ण विषय के शिक्षकों की कमी है. प्रदेश के कई राजकीय इंटर कॉलेज में स्थिति यह है कि हिंदी के टीचर से गणित पढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही भर्ती प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जाता है, तो राजकीय इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी में दिक्कत आ सकती है. डॉ मिश्रा ने बताया कि यह तो राजकीय विद्यालयों का हाल है. जबकि सहायता प्राप्त विद्यालयों में तो 50000 शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं.
सीतापुर में 60% से अधिक पद खाली है: लखनऊ मंडल के सीतापुर जिले में 26 राजकीय इंटर कॉलेज और 36 राजकीय हाईस्कूल स्तर के विद्यालय है. राजकीय इंटर कॉलेज में 230 अलग-अलग विषयों के प्रवक्ताओं की जरूरत है. लेकिन, सिर्फ 100 प्रवक्ता ही यहां तैनात है. राजकीय इंटर कॉलेज और राजकीय हाई स्कूल में 60% से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हुए हैं. जिसके कारण शिक्षक कार्य सुगमता से नहीं हो पा रहा है. पूरे प्रदेश में अगर राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की बात करें, तो 50% पद खाली है. प्रदेश में बालकों के 464 राजकीय इंटर कॉलेज और 434 राजकीय बालिका इंटर कॉलेज है. इनमें शिक्षकों के अलावा अलग-अलग जनपदों में राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ताओं के पद भी खाली है. कहीं एलटी ग्रेड के शिक्षकों के सहारे कॉलेज की व्यवस्था चल रही है. लखनऊ के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज में करीब 65 शिक्षक हुआ करते थे. अब इनकी संख्या घटकर 38 हो गई है. प्रयागराज में जहां माध्यमिक शिक्षा विभाग का निदेशालय है. वहां भी राजकीय इंटर कॉलेज में कई वर्षों से शिक्षकों की कमी है.
कुछ जिलों के आंकड़े
- लखनऊ में 14 राजकीय कॉलेज में लगभग 40% शिक्षकों की कमी है
- शामली में 19 राजकीय इंटर कॉलेज में लगभग 50% शिक्षक काम है
- हमीरपुर में 13 राजकीय इंटर कॉलेज में 50% शिक्षकों के पद खाली हैं
- रामपुर में 28 राजकीय इंटर कॉलेज में लगभग 30% पद खाली हैं
- सीतापुर में 230 अलग-अलग विषयों के प्रवक्ताओं की जरूरत है.
- मुजफ्फरनगर में 22 इंटर कॉलेज और 20 राजकीय हाईस्कूलों में 350 शिक्षकों के पद खाली हैं.
महाराजगंज में चार राजकीय व 22 उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों में 30% शिक्षक काम है.
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