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बुंदेलखंड विवि में उपकरण खरीद का बड़ा खेल, MOU के नाम पर निजी यात्रा का आरोप, जांच कमेटी बनी - Private trips BU jhansi

बुंदेलखंड विश्विधालय में उपकरण खरीदने के नाम पर अधिकारियों द्वारा निजी यात्राएं की जा रही थी. शिकायत के बाद भी यह मामला ठंडे बस्ते में चल रहा था. लेकिन, अब ढाई साल बाद इस मामले को लेकर जांच कमेटी बनाई गई है.

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बुंदेलखंड विश्विधालय (Etv Bharat reporter)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 29, 2024, 10:16 AM IST

झांसी: बुंदेलखंड विवि में फंड के नाम पर अलग अलग विभागों में कागजों में खेल चल रहा है. धीरे धीरे अब मामले सामने भी आने लगे है. हाल ही में विश्विद्यालय की बीटेक छात्रा के आत्महत्या के मामले में कुलपति सहित चार लोगों पर कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है. अब ढाई साल पहले उपकरणों की खरीद मामले में की गई शिकायत पर जांच का आदेश दिया गया है. विवि प्रशासन ने इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है, जिस पर जांच की सिफारिश भी हुई लेकिन, मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब विवि प्रशासन ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच का आदेश दिया है.

बुंदेलखंड विवि में प्रायोगिक शिक्षा के लिए खरीदे गए उपकरणों को न खरीद कर सिर्फ कागज पर दिखाए जाने को लेकर आरोप लगे हैं. बता दें, कि बुंदेलखंड विवि के अभियांत्रिकी विभाग को टीईक्यूआईपी प्रोजेक्ट के तहत फंड मिलता है. इससे रिसर्च को बढ़ावा देने और छात्रों को गुणवत्तापरक प्रायोगिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न उपकरणों की खरीद की जाती है. इसी फंड से छात्रों को ट्रेनिंग कराने के कार्य भी कराए जाते हैं. टीईक्यूआईपी-3 प्रोजेक्ट के कई किस्तों में उन्हें फंड मिला है. आरोप लगा है कि कि कई उपकरणों की खरीद सिर्फ कागजों में दिखाई गई, जबकि उपकरण कम खरीदे गए है.

इसे भी पढ़े-बुंदेलखंड विवि ने शुरू की अनूठी योजना, शिक्षक और कर्मचारियों के असामयिक निधन पर मिलेगी आर्थिक मदद


उपकरण खरीदने के नाम पर की गई निजी यात्राएं: वहीं, एक प्रोफेसर पर यात्रा व्यय के नाम पर फंड का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा. इसका जवाब यह कहकर दिया गया, कि छात्रों के लिए किसी अन्य शिक्षण संस्थान से एमओयू साइन कराने के लिए यात्राएं की गई. शिकायत पर आंतरिक जांच में जांच कमेटी बनाने की सिफारिश की गई थी. लेकिन, इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब लगभग ढाई साल बाद विवि प्रशासन ने इस मामले को जिंदा कर दिया है.

कुलसचिव ने बनाई जांच कमेटी: विवि के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है. इसमें लखनऊ विवि के डॉ. पद्मकांत, बुंदेलखंड महाविद्यालय के डॉ. जितेंद्र तिवारी और विवि के सेवानिवृत्त कुलसचिव नारायण प्रसाद भी शामिल हैं.

यह भी पढ़े-यूपी बोर्ड में ई मेल से भी पढ़ाई-लिखाई, इस पोर्टल पर कराना होगा रजिस्ट्रेशन - Secondary Education Council

झांसी: बुंदेलखंड विवि में फंड के नाम पर अलग अलग विभागों में कागजों में खेल चल रहा है. धीरे धीरे अब मामले सामने भी आने लगे है. हाल ही में विश्विद्यालय की बीटेक छात्रा के आत्महत्या के मामले में कुलपति सहित चार लोगों पर कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज किया गया है. अब ढाई साल पहले उपकरणों की खरीद मामले में की गई शिकायत पर जांच का आदेश दिया गया है. विवि प्रशासन ने इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है, जिस पर जांच की सिफारिश भी हुई लेकिन, मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब विवि प्रशासन ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच का आदेश दिया है.

बुंदेलखंड विवि में प्रायोगिक शिक्षा के लिए खरीदे गए उपकरणों को न खरीद कर सिर्फ कागज पर दिखाए जाने को लेकर आरोप लगे हैं. बता दें, कि बुंदेलखंड विवि के अभियांत्रिकी विभाग को टीईक्यूआईपी प्रोजेक्ट के तहत फंड मिलता है. इससे रिसर्च को बढ़ावा देने और छात्रों को गुणवत्तापरक प्रायोगिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न उपकरणों की खरीद की जाती है. इसी फंड से छात्रों को ट्रेनिंग कराने के कार्य भी कराए जाते हैं. टीईक्यूआईपी-3 प्रोजेक्ट के कई किस्तों में उन्हें फंड मिला है. आरोप लगा है कि कि कई उपकरणों की खरीद सिर्फ कागजों में दिखाई गई, जबकि उपकरण कम खरीदे गए है.

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उपकरण खरीदने के नाम पर की गई निजी यात्राएं: वहीं, एक प्रोफेसर पर यात्रा व्यय के नाम पर फंड का दुरुपयोग करने का आरोप भी लगा. इसका जवाब यह कहकर दिया गया, कि छात्रों के लिए किसी अन्य शिक्षण संस्थान से एमओयू साइन कराने के लिए यात्राएं की गई. शिकायत पर आंतरिक जांच में जांच कमेटी बनाने की सिफारिश की गई थी. लेकिन, इसके बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. अब लगभग ढाई साल बाद विवि प्रशासन ने इस मामले को जिंदा कर दिया है.

कुलसचिव ने बनाई जांच कमेटी: विवि के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी है. इसमें लखनऊ विवि के डॉ. पद्मकांत, बुंदेलखंड महाविद्यालय के डॉ. जितेंद्र तिवारी और विवि के सेवानिवृत्त कुलसचिव नारायण प्रसाद भी शामिल हैं.

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