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सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में होगी एक जैसी यूनिफॉर्म, शिक्षा मंत्री ने कही ये बड़ी बात - Dress Code - DRESS CODE

School Uniforms in Rajasthan, प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में एक जैसी यूनिफॉर्म लागू की जा सकती है. इसे लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने प्राइवेट स्कूल संचालकों से भी बात की है. उन्होंने बच्चों में गरीब-अमीर की हीन भावना को खत्म करने के लिए इस नियम को पहले सभी आरबीएसई स्कूल और उसके बाद सीबीएसई स्कूलों में भी लागू करने की बात कही है.

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 30, 2024, 6:56 PM IST

Updated : Apr 30, 2024, 7:39 PM IST

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. राजस्थान की पूर्वर्ती कांग्रेस सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए एक समान यूनिफॉर्म लागू करते हुए छात्रों को निशुल्क यूनिफॉर्म वितरित कराई. इससे एक कदम आगे निकलते हुए अब बीजेपी सरकार सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों के छात्रों की यूनिफॉर्म ही एक करने जा रही है. इस संबंध में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि बच्चों में हीन भावना पैदा ना हो कि वो गरीब है या अमीर. इससे बाहर निकलने के लिए सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में एक तरह की यूनिफॉर्म रखने का विचार किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी विद्यालयों को दो ऑप्शन दिए गए हैं. एक तो सारे प्राइवेट विद्यालय एक यूनिफॉर्म तय करके सभी विद्यालयों में लागू करें या फिर सरकारी विद्यालयों में जो यूनिफॉर्म लागू है. वहीं, प्राइवेट स्कूलों में हो जाए.

उन्होंने कहा कि कई बार छात्र ऐसा सोचकर डिप्रेशन में आ जाते हैं कि वो गरीब माता-पिता के बेटे हैं और यदि उनके पास पैसे होते तो वो भी प्राइवेट और अच्छे स्कूल में पढ़ते. छात्रों में ऐसा विचार ना आए इस वजह से ये फैसला लिया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी शुरुआत आरबीएसई स्कूलों से की जाएगी, लेकिन सीबीएसई और दूसरे विद्यालय भी सरकार की बात को टाल नहीं सकते, क्योंकि उन्हें एनओसी दी जाती है. वो भी राज्य सरकार से ही जमीन लेते हैं. यदि सरकार के निर्देशों की पालना नहीं करेंगे, तो दूसरे उपाय सरकार के पास है.

पढ़ें : राजस्थान में सरकारी दफ्तरों में जींस-टीशर्ट पहनने पर रोक, सीएस ने दिए गरिमापूर्ण पोशाक के निर्देश - Dress Code

वहीं, एक समान यूनिफॉर्म के इस फैसले पर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों का बहुत बड़ा कुनबा सरकार के साथ दिख रहा है. स्कूल शिक्षा परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि जिस तरह एक देश एक राशन कार्ड होता है, उसी तरह एक स्टेट एक यूनिफॉर्म की बात है. उन्होंने इसे शिक्षा विभाग स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि आमतौर पर लगता होगा कि कुछ स्कूल इसका विरोध करेंगे, लेकिन स्कूल शिक्षा परिवार ने ये फैसला लिया है कि शिक्षा मंत्री के इस कदम का स्वागत करेंगे और निश्चित रूप से जो स्कूल विरोध में भी आएंगे उनसे भी बैठकर बात करेंगे, क्योंकि स्कूलों को चलाने का एक ही मकसद है कि छात्रों को अच्छी शिक्षा देना और इससे जुड़े लोगों को रोजगार देना.

यूनिफॉर्म को यदि कमीशन का धंधा बनाया जाए या ड्रेस के कारण बच्चों में हीन भावना विकसित हो, ये भी उचित नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि एक यूनिफॉर्म करके बच्चों में समानता की बात तो की जा रही है, लेकिन यही समानता सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी लाई जाए. इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने अलग-अलग तरह की पाठ्य पुस्तकों से छात्रों को राहत देने की भी बात कही है. उन्होंने कहा कि कोशिश ये है कि जो किताबें सरकारी विद्यालयों में चल रही हैं. वहीं, किताबें निजी विद्यालयों में पढ़ाई जाए.

हालांकि, कुछ अभिभावकों की शिकायत आती है कि स्कूलों में वहीं से किताब-कॉपी ज्यादा दाम वसूल किए जाते हैं. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों से किताब कॉपी देने को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से देखा जा सकता है. जो स्कूल निजी स्तर पर ही किताबें उपलब्ध करा रहे हैं, उनकी सोच ये रहती है कि अभिभावकों को भटकना न पड़े. नकारात्मक ये है कि लोगों का मानना है कि स्कूल संचालक पैसा ज्यादा लेते हैं, लेकिन एक जैसी किताबें होने का फायदा छात्रों को ही मिलेगा.

आपको बता दें कि प्रदेश में तकरीबन 82 हजार सरकारी और 85 हजार प्राइवेट स्कूल के छात्र अध्यनरत हैं. प्राइवेट स्कूलों में सीबीएसई और आरबीएसई दोनों बोर्ड से जुड़े छात्र शामिल हैं. इनमें से पहले आरबीएसई स्कूलों पर यूनिफॉर्म में समानता लाने का नियम लागू करने की प्लानिंग की जा रही है.

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. राजस्थान की पूर्वर्ती कांग्रेस सरकार ने सभी सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए एक समान यूनिफॉर्म लागू करते हुए छात्रों को निशुल्क यूनिफॉर्म वितरित कराई. इससे एक कदम आगे निकलते हुए अब बीजेपी सरकार सरकारी और प्राइवेट विद्यालयों के छात्रों की यूनिफॉर्म ही एक करने जा रही है. इस संबंध में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि बच्चों में हीन भावना पैदा ना हो कि वो गरीब है या अमीर. इससे बाहर निकलने के लिए सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में एक तरह की यूनिफॉर्म रखने का विचार किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि निजी विद्यालयों को दो ऑप्शन दिए गए हैं. एक तो सारे प्राइवेट विद्यालय एक यूनिफॉर्म तय करके सभी विद्यालयों में लागू करें या फिर सरकारी विद्यालयों में जो यूनिफॉर्म लागू है. वहीं, प्राइवेट स्कूलों में हो जाए.

उन्होंने कहा कि कई बार छात्र ऐसा सोचकर डिप्रेशन में आ जाते हैं कि वो गरीब माता-पिता के बेटे हैं और यदि उनके पास पैसे होते तो वो भी प्राइवेट और अच्छे स्कूल में पढ़ते. छात्रों में ऐसा विचार ना आए इस वजह से ये फैसला लिया जा रहा है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इसकी शुरुआत आरबीएसई स्कूलों से की जाएगी, लेकिन सीबीएसई और दूसरे विद्यालय भी सरकार की बात को टाल नहीं सकते, क्योंकि उन्हें एनओसी दी जाती है. वो भी राज्य सरकार से ही जमीन लेते हैं. यदि सरकार के निर्देशों की पालना नहीं करेंगे, तो दूसरे उपाय सरकार के पास है.

पढ़ें : राजस्थान में सरकारी दफ्तरों में जींस-टीशर्ट पहनने पर रोक, सीएस ने दिए गरिमापूर्ण पोशाक के निर्देश - Dress Code

वहीं, एक समान यूनिफॉर्म के इस फैसले पर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों का बहुत बड़ा कुनबा सरकार के साथ दिख रहा है. स्कूल शिक्षा परिवार के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि जिस तरह एक देश एक राशन कार्ड होता है, उसी तरह एक स्टेट एक यूनिफॉर्म की बात है. उन्होंने इसे शिक्षा विभाग स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा कि आमतौर पर लगता होगा कि कुछ स्कूल इसका विरोध करेंगे, लेकिन स्कूल शिक्षा परिवार ने ये फैसला लिया है कि शिक्षा मंत्री के इस कदम का स्वागत करेंगे और निश्चित रूप से जो स्कूल विरोध में भी आएंगे उनसे भी बैठकर बात करेंगे, क्योंकि स्कूलों को चलाने का एक ही मकसद है कि छात्रों को अच्छी शिक्षा देना और इससे जुड़े लोगों को रोजगार देना.

यूनिफॉर्म को यदि कमीशन का धंधा बनाया जाए या ड्रेस के कारण बच्चों में हीन भावना विकसित हो, ये भी उचित नहीं. उन्होंने ये भी कहा कि एक यूनिफॉर्म करके बच्चों में समानता की बात तो की जा रही है, लेकिन यही समानता सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं में भी लाई जाए. इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने अलग-अलग तरह की पाठ्य पुस्तकों से छात्रों को राहत देने की भी बात कही है. उन्होंने कहा कि कोशिश ये है कि जो किताबें सरकारी विद्यालयों में चल रही हैं. वहीं, किताबें निजी विद्यालयों में पढ़ाई जाए.

हालांकि, कुछ अभिभावकों की शिकायत आती है कि स्कूलों में वहीं से किताब-कॉपी ज्यादा दाम वसूल किए जाते हैं. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि स्कूलों से किताब कॉपी देने को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से देखा जा सकता है. जो स्कूल निजी स्तर पर ही किताबें उपलब्ध करा रहे हैं, उनकी सोच ये रहती है कि अभिभावकों को भटकना न पड़े. नकारात्मक ये है कि लोगों का मानना है कि स्कूल संचालक पैसा ज्यादा लेते हैं, लेकिन एक जैसी किताबें होने का फायदा छात्रों को ही मिलेगा.

आपको बता दें कि प्रदेश में तकरीबन 82 हजार सरकारी और 85 हजार प्राइवेट स्कूल के छात्र अध्यनरत हैं. प्राइवेट स्कूलों में सीबीएसई और आरबीएसई दोनों बोर्ड से जुड़े छात्र शामिल हैं. इनमें से पहले आरबीएसई स्कूलों पर यूनिफॉर्म में समानता लाने का नियम लागू करने की प्लानिंग की जा रही है.

Last Updated : Apr 30, 2024, 7:39 PM IST
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