उत्तरकाशी: प्राथमिक विद्यालय सेवरी ऐसा इकलौता विद्यालय है, जहां पढ़ाई करने वाले बच्चे भारतीय नहीं बल्कि विदेशी हैं. साल 2006 में स्कूल को स्थापित किया गया. सभी बच्चों के माता पिता 2200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित स्योरी फल पट्टी में सेब के बगीचों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. विद्यालय में पढ़ने वाले सभी बच्चों की पैदाइश भी यहीं की है. एक ओर जहां घटती छात्र संख्या से कई विद्यालय बंद हो चुके हैं. वहीं नेपाली मूल के बच्चों के लिए खुले विद्यालय की कभी बंद होने की स्थिति नहीं आया. वर्तमान में विद्यालय के 24 छात्रों पर दो अध्यापक तैनात है. जबकि विद्यालय स्थापना के बाद से 200 छात्र कक्षा पांच पास कर चुके हैं.
सम्पर्क संस्था के सहयोग से विद्यालय को स्मार्ट बनाने की तैयारी चल रही है. संस्था द्वारा विद्यालय को एलईडी, कम्प्यूटर,और प्रोग्राम सेटअप बॉक्स उपलब्ध करवाया गया है. विद्यालय में जल्द स्मार्ट कक्षा की सेवाएं शुरू होने की उम्मीद है. प्रधानाध्यापक नरेश धीमान का कहना है कि स्कूल में पढ़ाई करने वाले सभी बच्चे नेपाली मूल के हैं. विद्यालय की स्थापना के बाद से करीब दो सौ बच्चे कक्षा पांच पास कर चके हैं जो सभी नेपाली हैं, बच्चों की शारीरिक क्षमता अन्य विद्यालय के बच्चों की अपेक्षा मजबूत हैं. जिससे खेल स्पर्धाओं में बच्चों का प्रदर्शन हमेशा उम्दा रहता है.
रंवाईघाटी में सेब की खेती सिखाने वाले स्वर्गीय किशनदेव शारदा ने बगीचों में काम करने वाले नेपाली मजदूरों के बच्चों को शिक्षित करने की मुहिम शुरू की थी. उन्होंने सेब के बगीचों में ही अपना एक कमरा निशुल्क देकर स्थानीय व्यक्ति को निजी खर्चे पर बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी. पढाई के प्रति बच्चों की रुचि को देखते हुए उन्होंने शिक्षा विभाग से स्कूल की मांग की, उनकी पैरवी पर विभाग ने साल 2006 में सेवरी में नेपाली बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय खोल दिया गया.
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