अलवर : मॉनसून सीजन में इस बार हो रही अच्छी बारिश का असर अलवर जिले में होने वाली सब्जियों के उत्पादन पर भी देखने को मिला है. बारिश के चलते अलवर मंडी में इन दिनों सब्जियों की आवक में भारी कमी आ रही है, जिसकी वजह से कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. सब्जी व्यापारियों के अनुसार इस बार हरी सब्जियों को ज्यादा नुकसान हुआ है. आलम यह है कि अलवर में अच्छी तादाद में होने वाला पालक मंडी से गायब है तो वहीं, बेंगलुरु से धनिया आ रहा है.
अलवर मंडी के सब्जी व्यापारी पप्पू एमडी ने बताया कि पिछले दिनों हुई भारी बरसात के चलते अलवर में लगने वाली सब्जियां पूरी तरह से नहीं लग पाई. इसके चलते इस बार अलवर मंडी में हरी सब्जियों की आवक कम हो रही है. इसी वजह से हरी सब्जियों की कीमत में इजाफा देखा जा रहा है. पप्पू ने बताया कि संभवत अक्टूबर से सब्जियों की कीमतों में कमी देखने को मिल सकती है.
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बाहर से आ रही सब्जियां, इसी लिए चढ़ी कीमत : सब्जी व्यापारी पप्पू एमडी ने बताया कि अभी अलवर मंडी में बाहर से सब्जियों की आवक ज्यादा हो रही है, इसी के चलते सब्जियों की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि अलवर में आने वाला धनिया बेंगलुरु से जयपुर पहुंचता है और जयपुर से अलवर आता है. इस वजह से अलवर मंडी में आते-आते इसकी कीमत थोक में 300 रुपए किलो पड़ रही है, जो ग्राहकों को करीब 400 रुपए किलो तक मिल रहा है. धनिया की इतनी कीमत के चलते ग्राहकों ने भी अब धनिया से दूरी बना ली है.
उन्होंने बताया कि अलवर के ग्रामीण क्षेत्र में लगने वाला पालक, पुदीना भी मंडी से गायब है. हालांकि, जिस दिन मंडी में इनकी आवक होती है तो 5-7 रुपए ही दाम कम होते हैं. उन्होंने बताया कि अलवर मंडी में धनिए की आवक गुढ़ा बस्सी व प्रतापगढ़ से होती है.
स्थानीय सब्जियों की फसल हुई खराब, बाहरी राज्यों पर बढ़ी निर्भरता : पप्पू एमडी ने बताया कि अलवर क्षेत्र में लगने वाली लौकी, भिंडी, बेंगन, तोरु व कद्दू की फसल बारिश के चलते खराब हो गई. इसी वजह से मंडी में सब्जियों की आवक कम हुई है. ऐसे में सब्जियों की आपूर्ति बाहरी राज्यों से हो रही है और इसका सीधा असर सब्जियों की कीमत पर देखने को मिल रहा है.
व्यापारी नहीं ले रहे रिस्क : सब्जी व्यापारी पप्पू एमडी ने बताया कि सब्जियों की आवक कम होने के चलते दाम में बढ़ोतरी हुई है. यही वजह है कि अब सब्जी व्यापारी भी रिस्क लेने से बच रहे हैं. धनिया की कीमत 400 रुपए पहुंची है तो वहीं अब व्यापारी दो से तीन बंडल ही धनिए के खरीद रहे हैं, ताकि उसे आसानी से बेचा जा सके.