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200 करोड़ घाटे में चल रहा बोकारो स्टील प्लांट, 6 महीने में भरपाई पूरा करने का लक्ष्य - Bokaro Steel Plant in loss

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 4 hours ago

Bokaro Steel Plant. बोकारो स्टील प्लांट घाटे में चल रहा है. बीएसएल के निदेशक प्रभारी ने बताया कि घाटे का सबसे बड़ा कारण स्टील का आयात चीन समेत अन्य देशों से काफी मात्रा में होना. हमसे कम मूल्य के स्टील बाजार में उपलब्ध है.

press conference was held regarding loss-making Bokaro Steel Plant
बोकारो स्टील प्लांट (ETV BHARAT)

बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट घाटे में चल रहा है. वर्तमान की अगर बात की जाए तो कंपनी लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान झेल रहा है, जिसकी भरपाई अगले 6 महीने में पूरा कर लेने की कोशिश में जुटी हुई है. कम लागत में अधिक उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बजार में मुकाबले के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) का बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अब विस्तार करेगा. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) अब कम लागत पर उत्पादन बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए विस्तार करेगा.

बीएसएल के निदेशक का बयान (ETV BHARAT)

बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कंपनी के भविष्य की रणनीति को लेकर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जो स्टील बोकारो स्टील प्लांट उत्पादित करता है, उसका आयात चीन समेत अन्य देशों से काफी मात्रा में हो रहा है. हमसे कम मूल्य के स्टील बाजार में उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि ब्राउन फील्ड परियोजना के विकास बाद दूसरे चरण में दो नए ग्रीनफील्ड स्टील यूनिट (Greenfield Steel Plants) स्थापित किए जाएंगे. जिसकी क्षमता प्रत्येक 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) होगी. फिलहाल अभी बीएसएल 4.66 मिलियन टन है. इस योजना के तहत स्टील प्लांट के अंदर ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि वर्ष 2030 तक इसे बढ़ाकर 7.61 MTPA किया जा सके. उन्होंने बताया कि उनका फोकस विस्तार के पहला चरण में मौजूदा संयंत्र के भीतर कम लागत पर उत्पादन बढ़ाने पर है.

बोकारो स्टील प्लांट का बढ़ेगा क्षमता

बीएसएल के निदेशक ने कहा कि बीएसएल के भविष्य के विकास के लिए हमने एक रोड मैप तैयार किया है. बोकारो स्टील के पास 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की क्षमता वाले दो ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट स्थापित करने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में हमारा ध्यान ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट पर है. कंपनी ग्रीनफील्ड यूनिट्स में तभी निवेश कर पाएगी, जब हम ब्राउनफील्ड विस्तार (Brownfield Expansion) से राजस्व प्राप्त करने लगेंगे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बीएसएल के लिए एक साथ ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में निवेश करना समझदारी नहीं होगी. इस लाभ का उपयोग ग्रीनफील्ड विस्तार के लिए करेगी.

तरसा कॉल प्रोजेक्ट में जल्द होगा काम शुरू

प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि धनबाद में स्थित तसरा कोयला ब्लॉक में विकास कार्य शुरू हो गया है. इसके अलावा बीएसएल ने 4 MTPA कोयला वॉशरी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसके लिए अक्टूबर तक पर्यावरण मंजूरी मिलने की उम्मीद है. डीआई ने कहा कि इस कोल ब्लॉक में वाशरी की स्थापना दो वर्षों के भीतर पूरी होने का लक्ष्य है. नई टेक्नोलॉजी के उपकरणों के कारण स्वदेशी कोयले का उपयोग बढ़ेगा.

बता दें कि वर्तमान में बीएसएल ऑस्ट्रेलिया से कोयले आयात पर निर्भर है. इस निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक कोयला स्रोतों की तलाश किया जा रहा है. इस बीच निदेशक ने खुलासा किया कि बीएसएल ने पहले से ही अमेरिका, इंडोनेशिया और रूस से कोयला आयात करना शुरू कर दिया है.

ये भी पढ़ें: कोयला राज्य मंत्री और बीसीसीएल जीएम पर कांग्रेस के आरोपों का बीसीसीएल ने किया खंडन

ये भी पढ़ें: बीएसएल प्लांट में गैस रिसाव से प्रभावित मजदूरों से मिलने अस्पताल पहुंचे पूर्व सांसद ददई दुबे और विधायक बिरंची, मजदूरों का जाना हाल

बोकारो: बोकारो स्टील प्लांट घाटे में चल रहा है. वर्तमान की अगर बात की जाए तो कंपनी लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान झेल रहा है, जिसकी भरपाई अगले 6 महीने में पूरा कर लेने की कोशिश में जुटी हुई है. कम लागत में अधिक उत्पादन और अंतरराष्ट्रीय बजार में मुकाबले के लिए स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) का बोकारो स्टील प्लांट (BSL) अब विस्तार करेगा. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) का बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) अब कम लागत पर उत्पादन बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने के लिए विस्तार करेगा.

बीएसएल के निदेशक का बयान (ETV BHARAT)

बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कंपनी के भविष्य की रणनीति को लेकर जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि जो स्टील बोकारो स्टील प्लांट उत्पादित करता है, उसका आयात चीन समेत अन्य देशों से काफी मात्रा में हो रहा है. हमसे कम मूल्य के स्टील बाजार में उपलब्ध है.

उन्होंने कहा कि ब्राउन फील्ड परियोजना के विकास बाद दूसरे चरण में दो नए ग्रीनफील्ड स्टील यूनिट (Greenfield Steel Plants) स्थापित किए जाएंगे. जिसकी क्षमता प्रत्येक 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) होगी. फिलहाल अभी बीएसएल 4.66 मिलियन टन है. इस योजना के तहत स्टील प्लांट के अंदर ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि वर्ष 2030 तक इसे बढ़ाकर 7.61 MTPA किया जा सके. उन्होंने बताया कि उनका फोकस विस्तार के पहला चरण में मौजूदा संयंत्र के भीतर कम लागत पर उत्पादन बढ़ाने पर है.

बोकारो स्टील प्लांट का बढ़ेगा क्षमता

बीएसएल के निदेशक ने कहा कि बीएसएल के भविष्य के विकास के लिए हमने एक रोड मैप तैयार किया है. बोकारो स्टील के पास 5 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) की क्षमता वाले दो ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट स्थापित करने की क्षमता है, लेकिन वर्तमान में हमारा ध्यान ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट पर है. कंपनी ग्रीनफील्ड यूनिट्स में तभी निवेश कर पाएगी, जब हम ब्राउनफील्ड विस्तार (Brownfield Expansion) से राजस्व प्राप्त करने लगेंगे. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बीएसएल के लिए एक साथ ब्राउनफील्ड और ग्रीनफील्ड परियोजनाओं में निवेश करना समझदारी नहीं होगी. इस लाभ का उपयोग ग्रीनफील्ड विस्तार के लिए करेगी.

तरसा कॉल प्रोजेक्ट में जल्द होगा काम शुरू

प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि धनबाद में स्थित तसरा कोयला ब्लॉक में विकास कार्य शुरू हो गया है. इसके अलावा बीएसएल ने 4 MTPA कोयला वॉशरी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की है, जिसके लिए अक्टूबर तक पर्यावरण मंजूरी मिलने की उम्मीद है. डीआई ने कहा कि इस कोल ब्लॉक में वाशरी की स्थापना दो वर्षों के भीतर पूरी होने का लक्ष्य है. नई टेक्नोलॉजी के उपकरणों के कारण स्वदेशी कोयले का उपयोग बढ़ेगा.

बता दें कि वर्तमान में बीएसएल ऑस्ट्रेलिया से कोयले आयात पर निर्भर है. इस निर्भरता को कम करने के लिए वैकल्पिक कोयला स्रोतों की तलाश किया जा रहा है. इस बीच निदेशक ने खुलासा किया कि बीएसएल ने पहले से ही अमेरिका, इंडोनेशिया और रूस से कोयला आयात करना शुरू कर दिया है.

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