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राजिम कुंभ कल्प की तैयारियां शुरु, छत्तीसगढ़ के प्रयाग नाम से विख्यात है स्थल - RAJIM KUMBH KALPA 2025

छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में कुंभ कल्प का आयोजन किया जाता है.जिसके लिए तैयारियां शुरु हो चुकी हैं.

Preparations for Rajim Kumbh Kalpa
छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में कुंभ कल्प (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 3, 2025, 7:53 PM IST

रायपुर: राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है. प्रयागराज में हर 12 साल बाद महाकुंभ का आयोजन होता है. ठीक इसी तरह से छत्तीसगढ़ के प्रयाग में कुंभ कल्प का आयोजन किया जाता है. जिसमें पूरे देश के साधु संत इकट्ठा होते हैं.इस साल भी राजिम में 12 फरवरी से 26 फरवरी 2025 तक कुंभ कल्प का भव्य आयोजन किया जाएगा. इस साल अद्भुत धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन 52 एकड़ के नए प्रस्तावित मेला स्थल में होगा. जिसके लिए सीएम विष्णुदेव साय ने मंत्रालय महानदी भवन में राजिम कुंभ कल्प के तैयारियों के संबंध में बैठक ली. जिसमें उन्होंने शाही स्नान, गंगा आरती, संत समागम समेत कुंभ कल्प के प्रमुख आयोजनों और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

राजिम में धर्म, आस्था और संस्कृति का संगम : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प 2025 धर्म, आस्था और संस्कृति का अद्भुत समागम होगा. ये छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का भी सुंदर माध्यम है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं को यहां अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त हो और यह आयोजन हमारी गौरवशाली विरासत को देश-दुनिया तक पहुंचाएं.

सीएम ने राजिम कुंभ कल्प के आयोजन में शामिल समस्त विभागों और प्रशासनिक अमले को आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए.साथ ही श्रद्धालुओं के आवागमन की व्यवस्था, सुरक्षा संबंधी उपाय और स्वच्छता के लिए विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं.

हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आयोजन को सफल बनाएं और छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में इसे स्थापित करें.12 फरवरी को आयोजित माघी पुन्नी स्नान, 21 फरवरी जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम और 26 फरवरी को होने वाले शाही स्नान की तैयारी को सही तरीके से किया जाए- विष्णुदेव साय, सीएम छग शासन

कब से कब तक होगा कुंभ ?: आपको बता दें कि 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजिम कुंभ कल्प का शुभारंभ होगा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को इसका समापन किया जाएगा. राजिम कुंभ कल्प पैरी, महानदी और सोंढूर नदी के संगम पर आयोजित होगा. श्रद्धालु इन पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे. राजिम कुंभ कल्प के संपूर्ण आयोजन के लिए पर्यटन विभाग को नोडल बनाया गया है. 15 दिनों तक चलने वाले इस कुंभ कल्प में पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी साधु संतों का विराट समागम होगा. माघी पुन्नी स्नान, शाही स्नान, जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम विशेष रूप से आयोजित होगा. प्रतिदिन सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, मेला, मड़ई, मीना बाजार और विभागीय प्रदर्शनी भी कुंभ कल्प का विशेष आकर्षण के रूप में शामिल हैं.

क्या है राजिम कुंभ : राजिम अपने कुंभ मेले के लिए भी जाना जाता है.जिसमें संतों समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं.इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है.साथ ही साथ त्रिवेणी संगम की ही तरह यहां तीन नदियों का भी संगम है.यही वजह है कि कई लोग परिजनों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार राजिम में ही करते हैं.

राजिम कुंभ मेले का महत्व : यह मेला भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण है और इसे पुन्नी यानी पवित्र और शुद्ध स्थान के रूप में माना जाता है. मेला का आयोजन विशेष धार्मिक आधार पर होता है. इसमें भगवान शिव, पार्वती, और गणेश की पूजा की जाती है. मेला के दौरान, लोग स्नान करने के लिए नदी में जाते हैं. फिर पवित्र स्थानों पर पूजा-अर्चना करते हैं. यहां भगवान शिव के मंदिरों में भी भक्ति आराधना की जाती है.मेला के दौरान स्थानीय सांस्कृतिक कला और विरासत का प्रदर्शन भी किया जाता है.

पुरी की यात्रा राजिम के बिना अधूरी : ऐसी भी मान्यता है कि जब तक पुरी की यात्रा के बाद राजिम नहीं आया जाता तब पुरी की यात्रा अधूरी मानी जाती है.इसके लिए राजिम के साक्षी गोपाल मंदिर में भगवान विष्णु के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है.

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राजिम में धर्म, आस्था और संस्कृति का संगम : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि राजिम कुंभ कल्प 2025 धर्म, आस्था और संस्कृति का अद्भुत समागम होगा. ये छत्तीसगढ़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति को प्रदर्शित करने का भी सुंदर माध्यम है. हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि श्रद्धालुओं को यहां अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त हो और यह आयोजन हमारी गौरवशाली विरासत को देश-दुनिया तक पहुंचाएं.

सीएम ने राजिम कुंभ कल्प के आयोजन में शामिल समस्त विभागों और प्रशासनिक अमले को आपस में समन्वय स्थापित कर कार्य करने के निर्देश दिए.साथ ही श्रद्धालुओं के आवागमन की व्यवस्था, सुरक्षा संबंधी उपाय और स्वच्छता के लिए विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं.

हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस आयोजन को सफल बनाएं और छत्तीसगढ़ की पहचान के रूप में इसे स्थापित करें.12 फरवरी को आयोजित माघी पुन्नी स्नान, 21 फरवरी जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम और 26 फरवरी को होने वाले शाही स्नान की तैयारी को सही तरीके से किया जाए- विष्णुदेव साय, सीएम छग शासन

कब से कब तक होगा कुंभ ?: आपको बता दें कि 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा के पावन अवसर पर राजिम कुंभ कल्प का शुभारंभ होगा और 26 फरवरी महाशिवरात्रि को इसका समापन किया जाएगा. राजिम कुंभ कल्प पैरी, महानदी और सोंढूर नदी के संगम पर आयोजित होगा. श्रद्धालु इन पवित्र नदियों में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त करेंगे. राजिम कुंभ कल्प के संपूर्ण आयोजन के लिए पर्यटन विभाग को नोडल बनाया गया है. 15 दिनों तक चलने वाले इस कुंभ कल्प में पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी साधु संतों का विराट समागम होगा. माघी पुन्नी स्नान, शाही स्नान, जानकी जयंती के अवसर पर संत समागम विशेष रूप से आयोजित होगा. प्रतिदिन सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन, मेला, मड़ई, मीना बाजार और विभागीय प्रदर्शनी भी कुंभ कल्प का विशेष आकर्षण के रूप में शामिल हैं.

क्या है राजिम कुंभ : राजिम अपने कुंभ मेले के लिए भी जाना जाता है.जिसमें संतों समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं.इसलिए इसे छत्तीसगढ़ का प्रयाग भी कहा जाता है.साथ ही साथ त्रिवेणी संगम की ही तरह यहां तीन नदियों का भी संगम है.यही वजह है कि कई लोग परिजनों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार राजिम में ही करते हैं.

राजिम कुंभ मेले का महत्व : यह मेला भारतीय सांस्कृतिक परंपरा में महत्वपूर्ण है और इसे पुन्नी यानी पवित्र और शुद्ध स्थान के रूप में माना जाता है. मेला का आयोजन विशेष धार्मिक आधार पर होता है. इसमें भगवान शिव, पार्वती, और गणेश की पूजा की जाती है. मेला के दौरान, लोग स्नान करने के लिए नदी में जाते हैं. फिर पवित्र स्थानों पर पूजा-अर्चना करते हैं. यहां भगवान शिव के मंदिरों में भी भक्ति आराधना की जाती है.मेला के दौरान स्थानीय सांस्कृतिक कला और विरासत का प्रदर्शन भी किया जाता है.

पुरी की यात्रा राजिम के बिना अधूरी : ऐसी भी मान्यता है कि जब तक पुरी की यात्रा के बाद राजिम नहीं आया जाता तब पुरी की यात्रा अधूरी मानी जाती है.इसके लिए राजिम के साक्षी गोपाल मंदिर में भगवान विष्णु के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है.

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