रुद्रप्रयाग: संस्कृति एवं धार्मिक भावनाओं से जुड़ा जाख मेले को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं. आगामी 14 अप्रैल को जाखधार गुप्तकाशी में लगने वाले मेले के लिए अग्निकुंड तैयार करने के लिए स्थानीय ग्रामीण लकड़ी एकत्रित करने में जुट हैं, जिसमें जाखराजा दहकते अंगारों के बीच नृत्य कर भक्तों का अपना आशीर्वाद देंगे.
केदारघाटी के अंतर्गत जाखधार में स्थित जाख मंदिर विशेष रूप से वैशाखी पर्व पर लोगों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. क्षेत्र के 14 गांवों के साथ ही ऊखीमठ क्षेत्र के हजारों लोगों की आस्था इस मेले से जुड़ी हुई है. यह मेला प्रतिवर्ष बैशाखी पर्व के दूसरे दिन लगता है. जाखराजा मंदिर में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी लगने वाले मेले को लेकर नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीण तैयारियों में जुट गए हैं. ग्रामीण पौराणिक परम्परा के अनुसार एक सप्ताह पहले से नंगे पांव, सिर में टोपी और कमर में कपड़ा बांधकर लकडियां एवं पूजा व खाद्य सामग्री एकत्रित करने में जुट जाते हैं. जाखधार में मेले के लिए लगभग 50 कुंतल लकड़ियों से भव्य अग्निकुंड तैयार किया जाएगा.
बैशाखी पर्व यानी 13 अप्रैल को रात्रि को अग्नि कुंड व पारंपरिक पूजा-अर्चना के बाद अग्निकुंड में रखी लकडियों पर अग्नि प्रज्वलित कर जो रात भर जलती रहती है. जिसकी रक्षा में नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीण यहां पर रात्रि जागरण करके जाख देवता के नृत्य के लिए अंगारें तैयार करेंगे. 14 अप्रैल को मेले के दिन जाखराजा कोठेडा गांव से ढोल नगाडों के साथ जाखधार पहुंचेंगे और दहकते अंगारों के बीच नृत्य कर भक्तों को आशीर्वाद देंगे. भगवान जाखराजा एवं भक्त के बीच का यह नजारा देखने लायक होता है. वहीं जाख राजा के पश्वा को दो सप्ताह पहले से अपने परिवार व गांव से अलग रहना पड़ता है, जो धार्मिक मान्यताओं से जुडा हुआ है.
जाख मेला समिति के अध्यक्ष सच्चिदानंद पुजारी, सचिव भोपाल सिंह बिष्ट एवं कोषाध्यक्ष आत्माराम बहुगुणा ने बताया कि नारायणकोटी, कोठेडा, नाला, देवशाल, सेमी, भैंसारी, सांकरी, देवर, रुद्रपुर, गरतरा, क्यूडी, बणसू, खुमेरा समेत 14 गांवों के सहयोग से प्रतिवर्ष जाख मेले का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष 14 अप्रैल को यह भव्य मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले को लेकर खासकर नारायणकोटी व कोठेडा के ग्रामीण तैयारियों में जुट गए हैं.
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