श्रीनगर: महाशिवरात्रि (8 मार्च) को लेकर विभिन्न मंदिरों में अभी से तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसी कड़ी में श्रीनगर के प्रसिद्ध कमलेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि के लिए विशेष तैयारी की जा रही है. पूजा का मुख्य समय शाम 6 बजे के बाद से शुरू होगा, जो अगले दिन सुबह 9 बजे तक होगा. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आठ पहर की पूजा की जाती है, लेकिन सबसे अधिक महत्व रात्रि के चार पहर की पूजा का होता है.
क्या होती शिवरात्रि और महाशिवरात्रि : मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि हिंदूओं का प्रमुख धार्मिक पर्व है. ये पावन पर्व फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस दिन शिवभक्त व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं. कई लोग शिवरात्रि को ही महाशिवरात्रि बोलते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ये दोनों ही पर्व अलग-अलग हैं. शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है, जबकि महाशिवरात्रि साल भर में एक ही बार आती है.
महाशिवरात्रि को रात्रि के चार पहर की पूजा फलदायक: कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पूरी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के चार पहर की पूजा की जाती है, जो फलकारी होती है. हिन्दू धर्म में तीन प्रकार की रात्रि का महत्व है. पहली काल रात्रि, दूसरी महाशिवरात्रि और तीसरी मोह रात्रि है. जिसमें महाशिवरात्रि में भगवान शिव, काल रात्रि में मां भगवती और मोह रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है. वहीं, पंडित जगदीश प्रसाद नैथानी ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को दूध ,जल और बेल पत्र अर्पित किए जाते हैं. इसी विधान से भगवान शिव की पूजा की जाती है. उन्होंने कहा कि महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालु 8 पहर पूजा करते हैं, लेकिन महाशिवरात्रि के दिन चार पहर की पूजा का बड़ा महत्व होता है.
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