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उजड़ते आशियाने.. पानी में डूबे घर..और तबाही का मंजर, हर साल बिहार में बाढ़ की यही है कहानी - flood in Bihar - FLOOD IN BIHAR

FLOOD IN BIHAR: बिहार को एक बार फिर से बाढ़ की चिंता सताने लगी है. हालांकि सरकार का पूरी तैयारी होने का दावा है.जल संसाधन विभाग की ओर से इस साल बाढ़ पूर्व डेढ़ सौ योजनाओं पर काम किया गया है, जिसपर 350 करोड़ की राशि खर्च की गई है.

बिहार में बाढ़ की तैयारी
बिहार में बाढ़ की तैयारी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 18, 2024, 7:43 PM IST

बिहार में बाढ़ से हर साल होती है तबाही (ETV Bharat)

पटना: बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. जून से अक्टूबर के बीच बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ अपनी तबाही मचाता है. उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान होता है. ऐसे सरकार हर साल बाढ़ की तैयारी को लेकर करोड़ों खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव के नाम पर हजारों करोड़ की राशि खर्च की जाती है.

बाढ़ से निपटने की सरकार की तैयारी: जल संसाधन विभाग की ओर से इस साल बाढ़ पूर्व डेढ़ सौ योजनाओं पर काम किया गया है, जिसपर 350 करोड़ की राशि खर्च की गई है. बाढ़ के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी होती है. बिहार में इस साल भले ही मानसून अभी तक नहीं आया है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है और बाढ़ की चिंता एक बार फिर से सताने लगी है.

3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी तैनात: जल संसाधन विभाग बाढ़ को लेकर 1 जून से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. कंट्रोल रूम भी काम करने लगा है और इंजीनियर से लेकर सभी कर्मियों की छुट्टी भी रद्द है. जल संसाधन विभाग की ओर से नदियों के जलस्तर जल ग्रहण क्षेत्र की स्थिति और तटबंधों पर नजर रखी जा रही है. बिहार के 3700 किलोमीटर से अधिक लंबे तटबंध की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग कई तरह का उपाय करता है. इस साल भी 3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया है. इस पर बड़ी राशि खर्च होगी. वहीं 24 घंटा कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से विशेषज्ञ तैनात है और लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

कब कितनी राशि हुई खर्च: बिहार सरकार बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हर साल हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव मद में भी हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है. पिछले 9 सालों में बाढ़ और बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर सरकार की ओर से खर्च की गई राशि इस प्रकार से है. 2017 में 317 योजना के लिए 1231.63 करोड़ रुपये, 2018 में 429 योजना के लिए 1560.82 करोड़ रुपये, 2019 में 208 योजना के लिए 976.94 करोड़ रुपये, 2020 में 386 योजना के लिए 1061 करोड़ रुपये, 2021 में 317 योजना के लिए 1121.73 करोड़, 2023 में 296 योजना के लिए 748.54 करोड़, 2022 में 330 योजना के लिए 898.04 करोड़ और 2024 में 149 योजना के लिए 350 करोड़ रुपये.

केंद्र सरकार से राशि की मांग: बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है और उसकी भरपाई के लिए केंद्र से मांग ही की जाती है. हालांकि कभी भी केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार द्वारा मांगी पूरी राशि मिलती नहीं है. 2021 में बिहार सरकार ने करीब 3763 करोड़ के नुकसान की भरपाई की मांग केंद्र से की थी लेकिन मिला 1000 करोड़ के करीब. बिहार सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मांगी गई राशि इस प्रकार से है 2021 में 3763.85 करोड़ की मांग, 2019 में 4299 करोड़, 2017 में 7636.51 करोड़, 2016 में 4112.98 करोड़ की मांग की गई.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

बाढ़ से हर साल होती है लोगों की मौत: बिहार में बाढ़ से बड़ी संख्या में लोगों की डूबने से मौत होती है. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक जून से दिसंबर के बीच डूबने वाले लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. 2018 में 205 लोगों की मौत हुई. वहीं 2019 में 630, 2020 में 1060 , 2021 में 1206 और 2022 में 1256 लोगों की मौत हुई.

राजनीतिक विशेषज्ञ की राय: बिहार सरकार की ओर से बाहर से बचाव के लिए तैयारी तो की जाती है लेकिन पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार कहते रहे हैं कि जब तक कोसी के नेपाल में डैम नहीं बनेगा तब तक बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बिहार को बाढ़ से निजात तभी मिलेगी जब नेपाल आने वाली पानी का कंट्रोल किया जाए और इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर काम करना होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मामला है तो नेपाल से केंद्र सरकार ही बात कर सकती है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

"बिहार में बाढ़ को लेकर सही ढंग से अध्ययन होनी चाहिए क्योंकि हर साल हजारों करोड़ की राशि खर्च हो रही है. लेकिन निदान नहीं हो रहा है. लोगों की जान भी जा रही है."- डॉ. विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएनसिंह इंस्टिट्यूट

जल संसाधन मंत्री का बयान: बिहार में अभी मानसून प्रवेश नहीं किया है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. बराज का फाटक खोलना पड़ रहा है. मौसम विभाग का भी आकलन है. अगस्त और सितंबर महीने में बिहार में इस बार औसत से अधिक बारिश होगी. ऐसे में आने वाला महीना उत्तर बिहार के लिए विशेष रूप से मुश्किलों भरा होने वाला है. जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी का कहना है कि 'सरकार की सभी चीजों पर नजर है.'

अबतक 9000 से अधिक लोगों की मौत: बिहार में बाढ़ तबाही के 1979 से अब तक का इतिहास देखें तो जल प्रलय में बिहार के अब तक 9000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 30000 मवेशियों की भी जान गई है. 8 करोड़ हेक्टेयर में अधिक फसल को भी नुकसान हुआ है और कुल नुकसान देखें तो यह 9000 करोड़ से 10000 करोड़ तक का आकलन किया गया है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

जल प्रलय वाले साल: 1987 में 30 जिले के 24518 गांव प्रभावित हुए थे. 1399 लोगों की मौत हुई थी. 678 करोड़ की फसल तबाह हुई थी. वहीं साल 2000 में 33 जिले में 12000 से अधिक गांव प्रभावित हुए और 336 लोगों की जान गई. 2002 में 25 जिले में 8318 गांव प्रभावित हुए और 489 लोगों की मौत हुई 511 करोड़ से अधिक का फसल बर्बाद हुई थी. साल 2004 में 20 जिले के 9346 गांव के 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 885 लोगों की मौत हुई 522 करोड़ की फसल का नुकसान हुआ.

साल 2007 में 22 जिले में 2.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 1287 लोगों की मौत हुई थी. संयुक्त राष्ट्र ने इतिहास का सबसे खराब बाढ़ इसे कहा था.2008 में 18 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 की मौत हुई. 2011 में 25 जिले में 71 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए और 249 लोगों की मौत हुई. 2013 में 20 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 200 लोगों की मौत हुई. 2016 में 31 जिले के 46 लाख लोग प्रभावित हुए और 240 से अधिक की मौत हुई. 2019 में 16 जिले के 8 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई और 727 लोगों की मौत हुई.

'नेपाल में बिना डैम बने स्थाई निदान नहीं': बाढ़ को लेकर ऐसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बैठक करते रहते हैं. इस साल भी बैठक हो चुकी है. दिशा निर्देश दिया जा चुका है. बाढ़ से बचाव के लिए नीतीश कुमार जब बिहार में सत्ता में आए तब उसी समय एसओपी ( स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर ) बना दिया था. बाढ़ को रोकने के लिए तटबंध का भी निर्माण हुआ है और हर साल तटबंध की लंबाई चौड़ाई बढ़ रही है लेकिन बिहार के डेढ़ दर्जन जिले के लोग 4 महीने हर साल बाढ़ से संशकित रहते हैं, बाढ़ के प्रकोप को झेलते हैं. क्योंकि इसका अभी तक स्थाई निदान नहीं हो सका है. सरकार के पास स्थाई निदान को लेकर नेपाल में बिना डैम बने स्थाई निदान नहीं होगा,बयान देने के अलावा कोई जवाब नहीं है.

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बिहार में बाढ़ से हर साल होती है तबाही (ETV Bharat)

पटना: बिहार में हर साल बाढ़ से हजारों करोड़ का नुकसान होता है. जून से अक्टूबर के बीच बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ अपनी तबाही मचाता है. उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान होता है. ऐसे सरकार हर साल बाढ़ की तैयारी को लेकर करोड़ों खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव के नाम पर हजारों करोड़ की राशि खर्च की जाती है.

बाढ़ से निपटने की सरकार की तैयारी: जल संसाधन विभाग की ओर से इस साल बाढ़ पूर्व डेढ़ सौ योजनाओं पर काम किया गया है, जिसपर 350 करोड़ की राशि खर्च की गई है. बाढ़ के कारण हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी होती है. बिहार में इस साल भले ही मानसून अभी तक नहीं आया है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है और बाढ़ की चिंता एक बार फिर से सताने लगी है.

3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी तैनात: जल संसाधन विभाग बाढ़ को लेकर 1 जून से ही अपनी तैयारी शुरू कर दी है. कंट्रोल रूम भी काम करने लगा है और इंजीनियर से लेकर सभी कर्मियों की छुट्टी भी रद्द है. जल संसाधन विभाग की ओर से नदियों के जलस्तर जल ग्रहण क्षेत्र की स्थिति और तटबंधों पर नजर रखी जा रही है. बिहार के 3700 किलोमीटर से अधिक लंबे तटबंध की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग कई तरह का उपाय करता है. इस साल भी 3600 से अधिक तटबंध पर सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया है. इस पर बड़ी राशि खर्च होगी. वहीं 24 घंटा कंट्रोल रूम में शिफ्ट के हिसाब से विशेषज्ञ तैनात है और लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

कब कितनी राशि हुई खर्च: बिहार सरकार बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर हर साल हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है और बाढ़ आने पर बचाव मद में भी हजारों करोड़ों की राशि खर्च करती है. पिछले 9 सालों में बाढ़ और बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर सरकार की ओर से खर्च की गई राशि इस प्रकार से है. 2017 में 317 योजना के लिए 1231.63 करोड़ रुपये, 2018 में 429 योजना के लिए 1560.82 करोड़ रुपये, 2019 में 208 योजना के लिए 976.94 करोड़ रुपये, 2020 में 386 योजना के लिए 1061 करोड़ रुपये, 2021 में 317 योजना के लिए 1121.73 करोड़, 2023 में 296 योजना के लिए 748.54 करोड़, 2022 में 330 योजना के लिए 898.04 करोड़ और 2024 में 149 योजना के लिए 350 करोड़ रुपये.

केंद्र सरकार से राशि की मांग: बिहार में बाढ़ से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है और उसकी भरपाई के लिए केंद्र से मांग ही की जाती है. हालांकि कभी भी केंद्र सरकार की तरफ से राज्य सरकार द्वारा मांगी पूरी राशि मिलती नहीं है. 2021 में बिहार सरकार ने करीब 3763 करोड़ के नुकसान की भरपाई की मांग केंद्र से की थी लेकिन मिला 1000 करोड़ के करीब. बिहार सरकार की ओर से नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मांगी गई राशि इस प्रकार से है 2021 में 3763.85 करोड़ की मांग, 2019 में 4299 करोड़, 2017 में 7636.51 करोड़, 2016 में 4112.98 करोड़ की मांग की गई.

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बाढ़ से हर साल होती है लोगों की मौत: बिहार में बाढ़ से बड़ी संख्या में लोगों की डूबने से मौत होती है. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक जून से दिसंबर के बीच डूबने वाले लोगों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. 2018 में 205 लोगों की मौत हुई. वहीं 2019 में 630, 2020 में 1060 , 2021 में 1206 और 2022 में 1256 लोगों की मौत हुई.

राजनीतिक विशेषज्ञ की राय: बिहार सरकार की ओर से बाहर से बचाव के लिए तैयारी तो की जाती है लेकिन पूर्व जल संसाधन मंत्री संजय झा लगातार कहते रहे हैं कि जब तक कोसी के नेपाल में डैम नहीं बनेगा तब तक बिहार को बाढ़ से निजात नहीं मिलेगी. राजनीतिक विशेषज्ञ कह रहे हैं कि बिहार को बाढ़ से निजात तभी मिलेगी जब नेपाल आने वाली पानी का कंट्रोल किया जाए और इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों को मिलकर काम करना होगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मामला है तो नेपाल से केंद्र सरकार ही बात कर सकती है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

"बिहार में बाढ़ को लेकर सही ढंग से अध्ययन होनी चाहिए क्योंकि हर साल हजारों करोड़ की राशि खर्च हो रही है. लेकिन निदान नहीं हो रहा है. लोगों की जान भी जा रही है."- डॉ. विद्यार्थी विकास, प्रोफेसर, एएनसिंह इंस्टिट्यूट

जल संसाधन मंत्री का बयान: बिहार में अभी मानसून प्रवेश नहीं किया है लेकिन उत्तर बिहार की नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. बराज का फाटक खोलना पड़ रहा है. मौसम विभाग का भी आकलन है. अगस्त और सितंबर महीने में बिहार में इस बार औसत से अधिक बारिश होगी. ऐसे में आने वाला महीना उत्तर बिहार के लिए विशेष रूप से मुश्किलों भरा होने वाला है. जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी का कहना है कि 'सरकार की सभी चीजों पर नजर है.'

अबतक 9000 से अधिक लोगों की मौत: बिहार में बाढ़ तबाही के 1979 से अब तक का इतिहास देखें तो जल प्रलय में बिहार के अब तक 9000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं 30000 मवेशियों की भी जान गई है. 8 करोड़ हेक्टेयर में अधिक फसल को भी नुकसान हुआ है और कुल नुकसान देखें तो यह 9000 करोड़ से 10000 करोड़ तक का आकलन किया गया है.

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जल प्रलय वाले साल: 1987 में 30 जिले के 24518 गांव प्रभावित हुए थे. 1399 लोगों की मौत हुई थी. 678 करोड़ की फसल तबाह हुई थी. वहीं साल 2000 में 33 जिले में 12000 से अधिक गांव प्रभावित हुए और 336 लोगों की जान गई. 2002 में 25 जिले में 8318 गांव प्रभावित हुए और 489 लोगों की मौत हुई 511 करोड़ से अधिक का फसल बर्बाद हुई थी. साल 2004 में 20 जिले के 9346 गांव के 2 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 885 लोगों की मौत हुई 522 करोड़ की फसल का नुकसान हुआ.

साल 2007 में 22 जिले में 2.4 करोड़ लोग प्रभावित हुए और 1287 लोगों की मौत हुई थी. संयुक्त राष्ट्र ने इतिहास का सबसे खराब बाढ़ इसे कहा था.2008 में 18 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 258 की मौत हुई. 2011 में 25 जिले में 71 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए और 249 लोगों की मौत हुई. 2013 में 20 जिले के 50 लाख लोग प्रभावित हुए और 200 लोगों की मौत हुई. 2016 में 31 जिले के 46 लाख लोग प्रभावित हुए और 240 से अधिक की मौत हुई. 2019 में 16 जिले के 8 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई और 727 लोगों की मौत हुई.

'नेपाल में बिना डैम बने स्थाई निदान नहीं': बाढ़ को लेकर ऐसे तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बैठक करते रहते हैं. इस साल भी बैठक हो चुकी है. दिशा निर्देश दिया जा चुका है. बाढ़ से बचाव के लिए नीतीश कुमार जब बिहार में सत्ता में आए तब उसी समय एसओपी ( स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर ) बना दिया था. बाढ़ को रोकने के लिए तटबंध का भी निर्माण हुआ है और हर साल तटबंध की लंबाई चौड़ाई बढ़ रही है लेकिन बिहार के डेढ़ दर्जन जिले के लोग 4 महीने हर साल बाढ़ से संशकित रहते हैं, बाढ़ के प्रकोप को झेलते हैं. क्योंकि इसका अभी तक स्थाई निदान नहीं हो सका है. सरकार के पास स्थाई निदान को लेकर नेपाल में बिना डैम बने स्थाई निदान नहीं होगा,बयान देने के अलावा कोई जवाब नहीं है.

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