गोरखपुर : वर्ष 2007 से सांसद रहते हुए जिस वनटांगिया गांव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दीपावली मनाने जाते रहे हैं, वहां उनके लगातार पहुंचने की परंपरा मुख्यमंत्री बनने के बाद भी कायम है. जंगल के बीच बसे लोगों के साथ दीपावली मनाने, उनके बीच मिठाई, पटाखे वितरित करते रहने की सीएम योगी की उत्साही पहल रहती है, उससे यहां बसे लोगों में एक खास ही उत्साह नजर आता है.
दीपावली आने वाली है. 31 अक्टूबर को सीएम योगी इस गांव में आने वाले हैं. ऐसे में एक बार फिर यहां के लोगों का उमंग बढ़ा दिखाई दे रहा है. यहां की महिलाएं घर और दरवाजे के लेपन, साफ-सफाई में जुटी हैं तो पुरुष भी तैयारी में हैं. सीएम के कार्यक्रम के लिए टेंट लगाने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. अयोध्या में दीपोत्सव के बाद सीएम योगी चारगांव विकासखंड और वनटांगिया गांव से जुड़ीं कुछ योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी करते हैं. इस दौरान स्कूली बच्चों व महिलाओं को भी पुरस्कार बांटे जाते हैं.
वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आगमन का उल्लास छाया हुआ है. दीपावली पर इस बस्ती में सीएम योगी के नाम पर दीपमालिकाएं सजती हैं. यहां प्रशासन के साथ-साथ गांव के लोग सीएम के स्वागत में अपने-अपने घर को साफ सुथरा बनाने, रंग रोगन करने और सजाने-संवारने में जुटे हैं. कुसम्ही जंगल स्थित वनटांगिया गांव जंगल तिकोनिया नम्बर तीन एक ऐसा गांव है, जहां दीपावली पर हर दीप "योगी बाबा" के नाम से ही जलता है.
ग्रामीण लक्ष्मीना देवी कहती हैं कि सीएम योगी के स्वागत में रंगोली सजा रहे हैं. पकवान बनाने की तैयारी है. उनसे भोग लगाएंगे क्योंकि वह हमारे लिए राम जैसे हैं. पतिराजी देवी कहती हैं कि सीएम योगी ने उनके गांव को अयोध्यापुरी बना दिया है. सब सुविधा गांव में हो गई. सड़क, नाली, स्कूल यहां तक की अब पेंशन भी मिलती है. बिजली के पोल पर बिजली जलती है, जिससे पूरे गांव में प्रकाश होता है.
गोरखपुर-महराजगंज में 23 वनटांगिया गांव : वन विभाग और जिला प्रशासन के रिकॉर्ड की मानें तो ब्रिटिश हुकूमत में जब रेल पटरियां बिछाई जा रही थीं तो स्लीपर के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों से साखू के पेड़ों की कटान हुई. इसकी भरपाई के लिए ब्रिटिश सरकार ने साखू के नए पौधों के रोपण और उनकी देखरेख के लिए गरीब भूमिहीनों, मजदूरों को जंगल मे बसाया. साखू के जंगल बसाने के लिए वर्मा देश की "टांगिया विधि" का इस्तेमाल किया गया, इसलिए वन में रहकर यह कार्य करने वाले वनटांगिया कहलाए. कुसम्ही जंगल के पांच इलाकों जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन, रजही खाले टोला, रजही नर्सरी, आमबाग नर्सरी व चिलबिलवा में इनकी पांच बस्तियां वर्ष 1918 में बसीं. इसके आस-पास महराजगंज के जंगलों में अलग-अलग स्थानों पर इनके 18 गांव बसे. 1947 में देश भले आजाद हुआ, लेकिन जंगल बसाने वाले इस समुदाय के पास देश की नागरिकता तक नहीं थी. जंगल में झोपड़ी के अलावा किसी निर्माण की इजाजत नहीं थी. पेड़ के पत्तों को तोड़कर बेचने और मजदूरी के अलावा जीवनयापन का कोई अन्य साधन भी नहीं था. समय समय पर वन विभाग की तरफ से वनों से बेदखली की कार्रवाई का भय अलग से रहता था.
दो वनटांगियों की जान : साखू के पेड़ों से जंगल संतृप्त हो गया तो वन विभाग ने अस्सी के दशक में वनटांगियों को जंगल से बेदखल करने की कार्रवाई शुरू कर दी. तिकोनिया नम्बर तीन के बुजुर्ग चंद्रजीत बताते हैं कि इसी सिलसिले में वन विभाग की टीम 6 जुलाई 1985 को जंगल तिनकोनिया नम्बर तीन में पहुंची. न कहीं घर, न जमीन, आखिर वनटांगिया लोग जाते कहां. उन्होंने जंगल से निकलने को मना कर दिया. जिसके बाद वन विभाग की तरफ से फायरिंग कर दी गई. इस घटना में परदेशी और पांचू नाम के वनटांगियों को जान गंवानी पड़ी, जबकि 28 लोग घायल हो गए. इसके बाद भी वन विभाग सख्ती करता रहा. यह सख्ती तब शिथिल हुई जब सांसद बनने के बाद 1998 से योगी आदित्यनाथ ने वनटांगियों की सुध ली.
वनटांगियों के लिए राम बने सीएम योगी : वर्ष 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गोरखपुर के सांसद बने. उनके संज्ञान में यह बात आई कि वनटांगिया बस्तियों में नक्सली अपनी गतिविधियों को रफ्तार देने की कोशिश में हैं. नक्सली गतिविधियों पर लगाम के लिए उन्होंने सबसे पहले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को इन बस्तियों तक पहुंचाने की ठानी. इस काम में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की संस्थाओं, एमपी कृषक इंटर काॅलेज व एमपीपीजी काॅलेज जंगल धूसड़ और गोरखनाथ मंदिर की तरफ से संचालित गुरु श्री गोरक्षनाथ अस्पताल की मोबाइल मेडिकल सेवा को लगाया गया.
वन विभाग ने दर्ज कराई थी एफआईआर : वनटांगिया लोगों को शिक्षा के जरिये समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योगी आदित्यनाथ ने मुकदमा तक झेला है. वनटांगिया समाज के प्रमुख रामगणेश ने बताया कि 2009 में जंगल तिकोनिया नम्बर तीन में सीएम योगी के सहयोगी वनटांगिया बच्चों के लिए एस्बेस्टस शीट डाल एक अस्थायी स्कूल का निर्माण कर रहे थे. वन विभाग ने इस कार्य को अवैध बताकर एफआईआर दर्ज कर दी. योगी ने अपने तर्कों से विभाग को निरुत्तर किया और अस्थायी स्कूल बन सका. हिन्दू विद्यापीठ नाम से यब विद्यालय आज भी सीएम योगी के संघर्षों का साक्षी है.
2009 में शुरू हुई दीपोत्सव मनाने की परंपरा : वनटांगियों को सामान्य नागरिक जैसा हक दिलाने की लड़ाई शुरू करने वाले सीएम योगी ने वर्ष 2009 से वनटांगिया समुदाय के साथ दीपोत्सव मनाने की परंपरा शुरू की तो पहली बार इस समुदाय को जंगल से इतर भी जीवन के रंगों का अहसास हुआ, फिर तो यह सिलसिला बन पड़ा. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सीएम योगी इस परंपरा का निर्वाह करना नहीं भूलते हैं. इस दौरान बच्चों को मिठाई, काॅपी-किताब और आतिशबाजी का उपहार देकर पढ़ने को प्रेरित करते हैं तो सभी बस्ती वालों को तमाम सौगात मिलती है.
मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने महज छह दीपावली में वनटांगिया समुदाय की सौ साल से अधिक की कसक मिटा दी. लोकसभा में वनटांगिया अधिकारों के लिए लड़कर 2010 में अपने स्थान पर बने रहने का अधिकार पत्र दिलाने वाले योगी आदित्यनाथ ने सीएम बनने के बाद अपने कार्यकाल के पहले ही साल वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा दे दिया. राजस्व ग्राम घोषित होते ही ये वनग्राम हर उस सुविधा के हकदार हो गए जो सामान्य नागरिक को मिलती है. अपने कार्यकाल में उन्होंने वनटांगिया गांवों को आवास, शौचालय, सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और आरओ वाटर मशीन जैसी सुविधाओं से आच्छादित कर दिया है.
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