प्रयागराज : गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्थी तक हर साल प्रयागराज के घर-घर के गणेश उत्सव की की धूम रहती है. गणेश महोत्सव के दौरान प्रयागराज में मिनी मुंबई जैसा नजारा देखने को मिलता है. गणेश महोत्सव को खास बनाने के लिए हर वर्ष की तरह ही इस बार भी मूर्ति बनाने वाले कारीगरों ने प्रतिमाओं को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है, लेकिन गंगा-यमुना का बढ़ा जल स्तर इस बार आस्था में खलल डाल रहा है. गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ने से कारीगरों को मिट्टी नहीं मिल पा रही है. इससे आवश्यकता के अनुरूप मूर्तियां नहीं बन पा रही हैं.
प्रयागराज में कटरा के भारद्वाज पार्क क्षेत्र में कई दशकों से गणेश मूर्तियों के बनाने का काम होता है. यहां बड़ी संख्या में कारीगर पहुंचते हैं. बहरहाल इस बार पूरा प्रयागराज बाढ़ की चपेट में है. यहां गंगा-जमुना का जलस्तर बढ़ने से कारीगरों को मिट्टी नहीं मिल पाई हैं. ऐसे में गणेश मूर्तियां गढ़ने में बाधा आ रही है. इससे कारीगर मनमुताबिक ऑर्डर नहीं ले पा रहे हैं.
कारीगरों का कहना है कि मिट्टी व अन्य सामग्री की उपलब्धता कम होने से सभी आर्डर नहीं ले पा रहे हैं. इस बार गिनी चुनी गणेश मूर्तियां ही बना पाए हैं. हर बार ऑर्डर से ज्यादा मूर्तियां तैयार करते थे. इस बार ऑर्डर ही पूरा करने में दिक्कतें आ रही हैं. इसके अलावा गणेश प्रतिमाओं इस्तेमाल होने वाली बांस आदि की लकड़ी और घास फूस भी आसानी से नहीं मिल रही है.
बता दें, गणेश चतुर्थी सात सितम्बर से 10 दिनों तक है. गणेश उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में गणपति बप्पा को विराजमान करते हैं और विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन होता है.
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