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महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर भगदड़; संत बोले- अव्यवस्था से हुई दुखद घटना, केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए जांच - MAHA KUMBH STAMPEDE

1954 के कुंभ में हुई घटना से की जा रही है भगदड़ की तुलना, श्रद्धालुओं की मौत से संतों में नाराजगी

संतों ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.
संतों ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 9:51 AM IST

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का सबसे बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या का था. उसी दिन के लिए प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक में बैठे अफसरों ने तैयारी की थी. करोड़ों की भीड़ संगम में पुण्य और आस्था की डुबकी लगाने जाएगी, जिसको देखते हुए प्रयागराज मेला प्राधिकरण दो साल से योजनाएं बनाने और तैयरियां करने में जुटा हुआ था, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन संगम के पास भगदड़ हो गई, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई. जिससे अब योगी सरकार की हर तरफ किरकिरी हो रही है. यही नहीं, महाकुंभ में हुई इस भगदड़ की तुलना 70 साल पहले 1954 के कुम्भ में हुई भगदड़ से की जाने लगी है. इसी के साथ साधु-संतों की तरफ से घटना की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की गई है. भगदड़ की इस घटना में श्रद्धालुओं की मौत से अखाड़े के संतों में गम और नाराजगी है. साथ ही पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग भी संतों ने उठाई है.

संतों ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. (Video Credit; ETV Bharat)

मंगलवार को महाकुंभ के सबसे बड़े अमृत स्नान के पर्व मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ को लेकर सरकार की तरफ से की गई तैयारियां धरी की धरी रह गईं और भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई. जिसके बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान टालने की घोषणा कर दी थी. हालांकि, बाद में अखाड़ों को संगम तक ले जाकर अमृत स्नान की परंपरा को पूर्ण करवाया गया.

मौनी अमावस्या पर भगदड़ की तुलना 1954 की घटना से: 1954 के कुंभ में भगदड़ हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जान गई थी. उसके बाद 2013 के कुम्भ में प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़ हुई थी. जिसमें 42 लोगों की जान गई थी. जिसके बाद इस 2025 के महाकुंभ में भगदड़ हुई है, जिसमें 30 लोगों की जान जाने की पुष्टि हुई है. हालांकि 1954 के बाद 2025 के इसी कुंभ में संगम के पास भगदड़ होने से 30 लोगों की जान गई है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता और श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने इस घटना की निंदा करते हुए प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से पूरे मामले की जांच करवाकर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाई करने की मांग की है.

मौनी अमावस्या भगदड़ केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग : महंत दुर्गादास ने महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भोर में हुई भगदड़ के बाद की घटना पर दुख जताने के साथ ही उसकी निंदा भी की. कहा कि 70 साल पहले 1954 के कुंभ में भी इसी तरह की भगदड़ हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में जनहानि हुई थी. हालांकि, 70 साल पहले जब भगदड़ हुई थी.उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अन्य लोगों के साथ मेला में पहुंच गए थे. उसी दिन बरसात होने की वजह से मेले में कीचड़ और फिसलन थी, जिस कारण भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी. उस घटना के 70 साल बाद 29 जनवरी 2025 को हुई इस घटना की तुलना अब उसी घटना से की जाने लगी है. महंत दुर्गादास महाराज का कहना है कि मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ की घटना बेहद दुखद है. लेकिन इतनी लंबी तैयारी और बड़े बड़े दावों के बावजूद इस तरह की घटना होना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. उन्होंने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है. सीएम योगी द्वारा जांच का आदेश दिए जाने के बावजूद उन्होंने पूरी घटना की जांच केंद्र सरकार से करवाने की मांग की है. उन्होंने प्रदेश सरकार की जांच से असंतुष्टी जाहिर की है.उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के राज में हुई घटना की जांच प्रदेश सरकार खुद से न करवाकर बल्कि किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से करवायी जाए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली टीम से पूरे मामले की जांच करवाई जाए.साथ ही जांच को जल्द से पूरा करवाकर जो भी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई कर मृतकों को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान करें.इसके साथ ही महंत दुर्गादास महाराज ने यह भी बताया कि इस घटना के बाद से उनके अखाड़े के शिविर में गम भरा माहौल है.

अन्नपूर्णा भारती ने कहा-वीवीआईपी कल्चर से अव्यवस्थित हुआ महाकुंभ : मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ की वजह से श्रद्धालुओं की मौत होने से निरंजनी अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने बेहद दुखी और आहत हैं. कहना है कि महाकुंभ के महाआयोजन को वीवीआईपी कल्चर में पूरी तरह से अव्यवस्थित कर दिया है. महाकुंभ किस शुरुआत के साथ मेले में लगातार वीवीआईपी लोग आते रहे हैं. जिसके कारण पूरे मेला क्षेत्र में आम श्रद्धालुओं के आने जाने पर पाबंदियां लगी रहती थीं. मेला क्षेत्र में बनाए गए पीपा पुलों को बंद रखा जाता था, जिस कारण शुरू से लागू व्यवस्था मौनी अमावस्या तक लागू रही. शायद भगदड़ भी इसी अव्यवस्था के कारण हुई है. कहना है कि इतने दिनों से चल रही तैयारियों के बावजूद भगदड़ होना साबित करता है अफसरों की योजना और व्यवस्था में चूक हुई जिस कारण ऐसी दुखद घटना हुई है.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- भगदड़ अनहोनी थी, किसी का दोष नहीं : महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि सरकार ने व्यवस्था की थी, लेकिन उससे ज्यादा भीड़ होने के कारण अव्यवस्था फैली थी. इसके बावजूद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयास करके अखाड़ों के अमृत स्नान शाही स्नान की परंपरा को बिगड़ने नहीं दिया और उन्होंने त्रिवेणी संगम में अखाड़ों का अमृत स्नान पूरा करवाया. जबकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने के नाते श्रद्धालुओं और संतों की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने अमृत स्नान को टालने की घोषणा कर दी थी, लेकिन सीएम योगी ने खुद प्रयास करके संतों और अफसरों से बात करके सारी व्यवस्था को व्यवस्थित कर संतों-श्रद्धालुओं के सुव्यवस्थित स्नान करवाया. सभी ने स्नान किया. जिसके लिए उन्होंने शासन प्रशासन की सराहना भी की है.

यह भी पढ़ें : प्रयागराज महाकुंभ 19वां दिन; मौनी अमावस्या पर लागू रूट डायवर्जन प्लान वापस, पुलिस हटा रही बैरिकेडिंग - MAHA KUMBH MELA 2025

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 का सबसे बड़ा स्नान पर्व मौनी अमावस्या का था. उसी दिन के लिए प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक में बैठे अफसरों ने तैयारी की थी. करोड़ों की भीड़ संगम में पुण्य और आस्था की डुबकी लगाने जाएगी, जिसको देखते हुए प्रयागराज मेला प्राधिकरण दो साल से योजनाएं बनाने और तैयरियां करने में जुटा हुआ था, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन संगम के पास भगदड़ हो गई, जिसमें 30 लोगों की जान चली गई. जिससे अब योगी सरकार की हर तरफ किरकिरी हो रही है. यही नहीं, महाकुंभ में हुई इस भगदड़ की तुलना 70 साल पहले 1954 के कुम्भ में हुई भगदड़ से की जाने लगी है. इसी के साथ साधु-संतों की तरफ से घटना की जांच केंद्रीय एजेंसी से करवाने की मांग की गई है. भगदड़ की इस घटना में श्रद्धालुओं की मौत से अखाड़े के संतों में गम और नाराजगी है. साथ ही पूरे मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसी से कराए जाने की मांग भी संतों ने उठाई है.

संतों ने महाकुंभ की व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं. (Video Credit; ETV Bharat)

मंगलवार को महाकुंभ के सबसे बड़े अमृत स्नान के पर्व मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ को लेकर सरकार की तरफ से की गई तैयारियां धरी की धरी रह गईं और भगदड़ में 30 लोगों की जान चली गई. जिसके बाद अखाड़ों ने अमृत स्नान टालने की घोषणा कर दी थी. हालांकि, बाद में अखाड़ों को संगम तक ले जाकर अमृत स्नान की परंपरा को पूर्ण करवाया गया.

मौनी अमावस्या पर भगदड़ की तुलना 1954 की घटना से: 1954 के कुंभ में भगदड़ हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की जान गई थी. उसके बाद 2013 के कुम्भ में प्रयागराज जंक्शन पर भगदड़ हुई थी. जिसमें 42 लोगों की जान गई थी. जिसके बाद इस 2025 के महाकुंभ में भगदड़ हुई है, जिसमें 30 लोगों की जान जाने की पुष्टि हुई है. हालांकि 1954 के बाद 2025 के इसी कुंभ में संगम के पास भगदड़ होने से 30 लोगों की जान गई है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता और श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन मुखिया महंत दुर्गादास महाराज ने इस घटना की निंदा करते हुए प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से पूरे मामले की जांच करवाकर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाई करने की मांग की है.

मौनी अमावस्या भगदड़ केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग : महंत दुर्गादास ने महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन भोर में हुई भगदड़ के बाद की घटना पर दुख जताने के साथ ही उसकी निंदा भी की. कहा कि 70 साल पहले 1954 के कुंभ में भी इसी तरह की भगदड़ हुई थी, जिसमें बड़ी संख्या में जनहानि हुई थी. हालांकि, 70 साल पहले जब भगदड़ हुई थी.उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अन्य लोगों के साथ मेला में पहुंच गए थे. उसी दिन बरसात होने की वजह से मेले में कीचड़ और फिसलन थी, जिस कारण भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी. उस घटना के 70 साल बाद 29 जनवरी 2025 को हुई इस घटना की तुलना अब उसी घटना से की जाने लगी है. महंत दुर्गादास महाराज का कहना है कि मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ की घटना बेहद दुखद है. लेकिन इतनी लंबी तैयारी और बड़े बड़े दावों के बावजूद इस तरह की घटना होना व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. उन्होंने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग की है. सीएम योगी द्वारा जांच का आदेश दिए जाने के बावजूद उन्होंने पूरी घटना की जांच केंद्र सरकार से करवाने की मांग की है. उन्होंने प्रदेश सरकार की जांच से असंतुष्टी जाहिर की है.उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के राज में हुई घटना की जांच प्रदेश सरकार खुद से न करवाकर बल्कि किसी केंद्रीय जांच एजेंसी से करवायी जाए. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट के नेतृत्व वाली टीम से पूरे मामले की जांच करवाई जाए.साथ ही जांच को जल्द से पूरा करवाकर जो भी दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई कर मृतकों को सच्ची श्रद्धांजलि प्रदान करें.इसके साथ ही महंत दुर्गादास महाराज ने यह भी बताया कि इस घटना के बाद से उनके अखाड़े के शिविर में गम भरा माहौल है.

अन्नपूर्णा भारती ने कहा-वीवीआईपी कल्चर से अव्यवस्थित हुआ महाकुंभ : मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ की वजह से श्रद्धालुओं की मौत होने से निरंजनी अखाड़े की महिला महामंडलेश्वर अन्नपूर्णा भारती ने बेहद दुखी और आहत हैं. कहना है कि महाकुंभ के महाआयोजन को वीवीआईपी कल्चर में पूरी तरह से अव्यवस्थित कर दिया है. महाकुंभ किस शुरुआत के साथ मेले में लगातार वीवीआईपी लोग आते रहे हैं. जिसके कारण पूरे मेला क्षेत्र में आम श्रद्धालुओं के आने जाने पर पाबंदियां लगी रहती थीं. मेला क्षेत्र में बनाए गए पीपा पुलों को बंद रखा जाता था, जिस कारण शुरू से लागू व्यवस्था मौनी अमावस्या तक लागू रही. शायद भगदड़ भी इसी अव्यवस्था के कारण हुई है. कहना है कि इतने दिनों से चल रही तैयारियों के बावजूद भगदड़ होना साबित करता है अफसरों की योजना और व्यवस्था में चूक हुई जिस कारण ऐसी दुखद घटना हुई है.

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले- भगदड़ अनहोनी थी, किसी का दोष नहीं : महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी का कहना है कि सरकार ने व्यवस्था की थी, लेकिन उससे ज्यादा भीड़ होने के कारण अव्यवस्था फैली थी. इसके बावजूद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रयास करके अखाड़ों के अमृत स्नान शाही स्नान की परंपरा को बिगड़ने नहीं दिया और उन्होंने त्रिवेणी संगम में अखाड़ों का अमृत स्नान पूरा करवाया. जबकि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष होने के नाते श्रद्धालुओं और संतों की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने अमृत स्नान को टालने की घोषणा कर दी थी, लेकिन सीएम योगी ने खुद प्रयास करके संतों और अफसरों से बात करके सारी व्यवस्था को व्यवस्थित कर संतों-श्रद्धालुओं के सुव्यवस्थित स्नान करवाया. सभी ने स्नान किया. जिसके लिए उन्होंने शासन प्रशासन की सराहना भी की है.

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