पटना : कहा जाता है, लोकतंत्र का मतलब जनता का, जनता के लिए जनता द्वारा शासन है. अर्थात लोकतंत्र में ताकत जनता के हाथों में होती है. बिहार में इसे मजबूत बनाने के लिए काफी पहले से काम किया जाता रहा है. जनता को सशक्त बनाने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने राइट टू रिकॉल की वकालत की थी.
राइट टू रिकॉल पर छिड़ी बहस : यही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी राइट टू रिकॉल के पक्ष में आवाज बुलंद किया था, लेकिन चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने राइट टू रिकॉल पर नए सिरे से बहस छेड़ दी है. प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जन सुराज अपने संविधान में यह प्रावधान जोड़ रहा है, जिससे मतदाता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कार्यकाल के आधे समय यानी ढ़ाई वर्ष के बाद हटाने का अधिकार रख सकेगी.
''हम जन सुराज के संविधान में यह बात जोड़ रहे हैं कि जो भी जनप्रतिनिधि जन सुराज से जीतता है, किसी कारणवश वह जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो जनता के पास यह विकल्प होगा कि जनता उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकती है. इसके तहत अगर एक निश्चित प्रतिशत मतदाता अपने प्रतिनिधि के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो जन सुराज उस प्रतिनिधि को इस्तीफा देने पर मजबूर कर देगा.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
'जन सुराज के प्रावधानों में जोड़ा जाएगा' : प्रशांत किशोर ने कहा कि, यह निश्चित प्रतिशत क्या होगा, इस पर जन सुराज की संविधान सभा में अभी चर्चा चल रही है. 2 अक्टूबर को जब पार्टी की घोषणा होगी, तो इसे जन सुराज के प्रावधानों में जोड़ दिया जाएगा. हालांकि यह कानून देश में लागू नहीं है, लेकिन जन सुराज अपने सभी प्रतिनिधियों पर इसे अनिवार्य रूप से लागू करेगा. इससे जनता के प्रतिनिधियों की जवाबदेही और भी अधिक सुनिश्चित की जा सकेगी.
पार्टी की रूपरेखा पर हो रही चर्चा : बता दें कि, जन सुराज अभियान 2 अक्टूबर को पार्टी का रूप लेने जा रहा है. उससे पहले प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा और विभिन्न बैठकों के माध्यम से जनता के सामने जन सुराज पार्टी की रूपरेखा पर चर्चा कर रहे हैं. साथ ही वे यह भी बता रहे हैं कि जन सुराज किस तरह से अन्य राजनीतिक दलों से अलग और बेहतर विकल्प होगा. इसी कड़ी में उन्होंने महत्वपूर्ण ऐलान किया है कि जन सुराज देश की पहली पार्टी होगी जो अपने संविधान में राइट टू रिकॉल यानी चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाने का प्रावधान जोड़ेगी.
Right to Recall बना राजनीतिक मुद्दा : कुल मिलाकर देखें तो लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने राइट टू रिकॉल की बात कही थी. नीतीश कुमार ने भी अपने दूसरे कार्यकाल में राइट टू रिकॉल के पक्ष में आवाज बुलंद किया था और बिहार में से लागू करने की बात कही थी. अब तक राइट टू रिकॉल को लागू नहीं किया जा सका है, लेकिन यह राजनीतिक मुद्दा तो बन ही गया है.
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