गया : होली के त्योहार में होलिका दहन का भी काफी महत्व होता है. इस होलिका दहन से ताल्लुक रखने वाले विष्णु भक्त प्रह्लाद का प्राचीन नाता बिहार के गया से रहा है. कहा जाता है कि अपने पिता हिरण्यकश्यप का वध होने के बाद प्रह्लाद गया जी आए थे. गया जी आने के बाद वे सूर्यकुंड गए थे. इसका वर्णन पुराणों में भी है. होलिका दहन से ताल्लुकात रखने वाले प्रह्लाद का गया जी से पुराना नाता रहा है. कहा जाता है कि प्रह्लाद ने गया में आकर अपने पिता हिरण्यकश्यप को उत्तम लोक प्राप्त कराया था.
ऋषि मुनियों ने कहा था- पिता की अकाल मृत्यु हुई है, गया जाएं : पुराणों के अनुसार, प्रह्लाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्तों में से एक थे. यह बात उनके पिता असुर राज हिरण्यकश्यप को रास नहीं आती थी. इसे लेकर अपने पुत्र के वध के लिए हिरण्यकश्यप ने कई प्रयास किए. हिरण्यकश्यप के कहने पर बहन होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए वरदानित चादर के साथ अग्नि में बैठ गई थी.
होलिका ने प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर मारने की कोशिश की : कहा जाता है कि जब होलिका प्रह्लाद को लेकर अग्नि में बैठी, अचानक आंधी तूफान आया और प्रहलाद की जान बच गयी. वरदानित चादर छूटने से होलिका की मौत हो गई. वहीं, हिरण्यकशयप ने अपने पुत्र का वध करने का प्रयास किया, तो भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में खंभे से प्रकट हुए और हिरण्यकशयप का वध किया था.
''ऋषि मुनियों ने प्रह्लाद को कहा कि वह गया जी जाएं और अपने पिता को मोक्ष दिलाएं, क्योंकि उनकी अकाल मृत्यु हुई है. ऋषि मुनियों के कहने पर प्रह्लाद गया जी आए और सुर्यकुंड सरोवर स्थित उदीची, दक्षिण मानस और कनखल वेदियो पर पिंडदान किया था. इस तरह प्रह्लाद गया जी आए थे और सूर्यकुंड तालाब जाकर तीन वेदियो पर पिंडदान किया था. इस वर्ष लोग होली के पर्व में यहां पहुंचकर पूजा, स्नान, ध्यान लगाएं, भगवान नारायण प्रसन्न होंगे.''- राजा आचार्य, वैदिक मंत्रालय, गया
उदीची, कनखल और दक्षिण मानस में किया था पिंडदान : गया जी आने के बाद प्रह्लाद ने सूर्यकुंड सरोवर स्थित उदीची, कनखल और दक्षिण मानस में पिंडदान किया था. ब्रह्मा जी द्वारा स्थापित सूर्यकुंड में इन तीनों वेदियों की काफी मान्यता है. अपने पिता हिरण्यकशयप के मोक्ष की कामना हेतु प्रह्लाद ने यहां पिंडदान किया. उदीची वेदी सूर्यकुंड के उत्तर में, कनखल बीच में और मानस दक्षिण में स्थित है. यह गया श्राद्ध में प्रमुख वेदियो में से एक है. यहां पर त्रैपाक्षिक श्राद्ध के दौरान चौथे दिन जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त पिंडदान करते हैं, उनके पितर तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं और विष्णुलोक को चले जाते हैं.
'पितर हो जाते हैं तुरंत प्रसन्न, विष्णु लोग को चले जाते हैं' : इस संबंध में वैदिक मंत्रालय गया के राजा आचार्य ने बताया कि उदीची तीर्थ गया विष्णुपद मंदिर के निकट सूर्यकुंड सरोवर स्थित गया श्राद्ध में प्रमुख वेदियों में है. इसी प्रकार कनखल और दक्षिण मानस वेदियां हैं, जो सूर्यकुंड सरोवर के समीप स्थित है. इन वेदियो पर पिंडदान करने से पितर तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं और विष्णुलोक को प्राप्त होते हैं. इन वेदियो पर हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद जी ने पिंड प्रदान किए थे.
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