कुल्लू: सनातन धर्म में हर माह 2 पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत का विधान है. प्रदोष व्रत भगवान शिव, माता पार्वती को अर्पित है. ऐसे में 20 मई को त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत मनाया जाएगा. सोमवार का दिन होने के चलते इसे सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भक्तों को उनके जीवन में सभी दुखों से छुटकारा मिलता है और भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भक्तों को प्राप्त होता है.
त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई सोमवार को दोपहर 3:58 पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 21 मई को मंगलवार शाम 5:29 पर होगा. ऐसे में त्रयोदशी तिथि में प्रदोष काल 20 मई को पड़ रहा है. जिसके चलते सोम प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा.
पूजा का शुभ मुहूर्त
आचार्य दीप कुमार का कहना है कि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय फलदायी होती है. ऐसे में शाम 6:30 से 8:30 तक पूजा कर सकते हैं. इसके अलावा दोपहर की पूजा 12:00 से 3:00 बजे तक की जा सकती है. प्रदोष व्रत में भगवान भोलेनाथ की पूजा का सबसे उत्तम समय शाम को ही माना गया है. ऐसे में इस पूजा को शाम के समय ही भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए.
व्रत के दिन बन रहे 2 योग
आचार्य दीप कुमार का कहना है कि यह सोम प्रदोष व्रत इस साल का पहला व्रत है. इस व्रत के दिन सिद्धि योग और चित्रा नक्षत्र का योग भी बन रहा है. सोम प्रदोष व्रत के दिन चित्रा नक्षत्र सूर्योदय से लेकर पूरी रात तक है. वहीं, सिद्धि योग सूर्योदय से लेकर दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक है.
कब करें रुद्राभिषेक?
साल के पहले सोम प्रदोष व्रत के अवसर पर रुद्राभिषेक का भी सुंदर योग बन रहा है. इस दिन भगवान शिव का वास कैलाश पर सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 3:58 तक है. उसके बाद भगवान शिव का वास नंदी पर है. ऐसे में जो व्यक्ति अपने परिवार की खुशहाली चाहता है तो वह सोम प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक का शुभारंभ सुबह से कर सकते हैं.