देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पूरे राज्य के 12 जिलों में अलग से होने और हरिद्वार में अलग से चुनाव होने के विरोध में उत्तराखंड प्रधान संगठन के लोग राजधानी के आईटी पार्क स्थित पंचायती राज निदेशालय के बाहर लगातार पिछले 5 दिनों से धरना दे रहे हैं. इसी बीच उत्तराखंड प्रधान संगठन के अध्यक्ष भास्कर ने बताया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आज गांव के जनप्रतिनिधि तमाम समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे में जब तक उनकी सुनवाई नहीं होगी, तब तक वह धरना-प्रदर्शन नहीं रोकेंगे.
उत्तराखंड प्रधान संगठन के अध्यक्ष भास्कर ने बताया कि 2019 में हुए पंचायत चुनाव में जीत के बाद 2020 में कोरोना महामारी से ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधानों ने बड़ी भूमिका निभाई और कई चुनौतियों का सामना भी किया. उन्होंने कहा कि ग्राम प्रधानों ने विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के लिए दो बार लगी आचार संहिता में भी अपने कई ग्रामीण क्रियाकलापों को स्थगित किया और अब कार्यकाल खत्म होने को आया है. ऐसे में इस बार त्रिस्तरीय पंचायत का समय बढ़कर हरिद्वार में होने वाले पंचायत चुनाव के साथ ही पूरे प्रदेश में एक साथ चुनाव करवाया जाए.
अन्य प्रधानों ने कहा कि लगातार इस मांग को लेकर वह शासन-प्रशासन और मंत्रियों-मुख्यमंत्री तक दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है. पूरे प्रदेश में एक साथ त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने चाहिए. उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी संकल्प है कि एक देश एक चुनाव हो, लेकिन पंचायत राज विभाग इसको लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. यही वजह है कि वह अब अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन के लिए पंचायती राज निदेशालय के बाहर डट गए हैं. वहीं, कार्यालय में मौजूद निदेशक पंचायती राज निधि यादव से भी बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने इस विषय को पॉलिसी मैटर बताकर बात करने से मना कर दिया.
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