Prabhat Jha and Pawaiya Gurubhai: बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता प्रभात झा का शुक्रवार सुबह निधन हो गया. देश भर से राजनीति से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं तो वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत दिल्ली में मौजूद कई नेता उनके अंतिम दर्शनों के लिए मेदांता अस्पताल पहुंचे. प्रभात झा के निधन से बीजेपी में शोक की लहर है. इस दौरान स्वर्गीय प्रभात झा के गुरुभाई ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं.
प्रभात झा के गुरुभाई को लगा सदमा
यह सभी जानते हैं की जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा भाजपा के दो वरिष्ठ नेता राजनीति से ज्यादा दोस्ती के लिए जाने जाते हैं. लेकिन अब यह दोस्त एक दूसरे से नहीं मिल सकेंगे. प्रभात झा के निधन की खबर से जयभान सिंह पवैया को भी सदमा लगा है. राजनीतिक रिश्ते के अलावा उनका एक और रिश्ता प्रभात झा से है, जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. इन दोनों ने एक ही गुरू से दीक्षा ली है, दोनों गुरुभाई हैं. अब प्रभात झा इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं तो जय भान सिंह पवैया ने भी उनके जीवन में प्रभात झा के महत्व को लेकर अपने दिल की बात बताई है.
जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा थे गुरुभाई
असल में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा के निधन पर दुख जताते हुए कहा है कि "उन दोनों का रिश्ता सिर्फ राजनीतिक संबंधों तक सीमित नहीं था, वे दोनों अच्छे पारिवारिक मित्र थे. परिवार के सदस्य के जैसे थे और दोनों ही गुरुभाई थे". बता दें कि जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा ने अयोध्या में एक साथ एक ही गुरू से गुरू दीक्षा ली थी. इस नाते गुरुभाई का भी रिश्ता दोनों के बीच था.
'बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे प्रभात झा'
जय भान सिंह पवैया का कहना है कि "प्रभात झा बहुआयामी व्यक्तित्व वाली शख्सियत थे. उन्हें सिर्फ राजनीति तक समेटना अधूरापन होगा. उनका जन्म भले ही बिहार में हुआ लेकिन उनका पूरा जीवन काल मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ही गुजरा. जब वह यहां आए तो शुरुआत में उनके दिन बड़े संघर्ष पूर्ण रहे". उन्होंने कहा कि "मैं जब विद्यार्थी परिषद का महानगर अध्यक्ष था तो कार्यालय मंत्री का जिम्मा प्रभात जी ने उस समय बड़ी कुशलता से संभाला."
'प्रदेश में होती थी प्रभात जी के लिखे आर्टिकल की चर्चा'
प्रभात झा ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत भी ग्वालियर से ही की थी. वह वरिष्ठ पत्रकार रहे और उस समय के सबसे प्रचलित अखबार स्वदेश में छपने वाले उनके आर्टिकल्स की चर्चा पूरे प्रदेश में होती थी. इसलिए वह एक पत्रकार भी थे, बेहतरीन लेखक भी थे. जयभान सिंह पवैया कहते हैं कि "यह उनका व्यक्तिगत अनुभव रहा है कि प्रभात झा में बड़ी अनुभव कल्पना देना उनका बहुत बड़ा गुण था. ऐसी ऐसी कल्पनाएं वे हम लोगों को दिया करते थे जिसको हम सोचते तक नहीं थे".
'अयोध्या में देखी थी प्रभात झा की साहसी पत्रकारिता'
जयभान सिंह पवैया ने उन्हें याद करते हुए कहा कि "न जाने कितने ही संस्मरण उनसे जुड़े हुए हैं. 6 दिसंबर 1992 का एक किस्सा बताते हुए उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में विवादित ढांचा वाली घटना हो रही थी तो उस दौरान कारसेवकों में कैमरामैन और पत्रकारों के प्रति एक आक्रोश पैदा हो गया था. उस दौरान बीबीसी ने कुछ अपप्रचार किया था और उससे नाराज कारसेवक सेवक ढूंढ़-ढूंढ़कर कैमरामैन और रिपोर्टिंग वालों को उस परिसर से बाहर कर रहे थे. मैं राम कथा कुंज पर खड़ा था उस समय प्रभात झा अपनी कलम लगातार चलाए जा रहे थे. वे अखबार के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे, उस दौरान उन्हें कारसेवकों का प्रतिरोध सहने के बाद भी साहसी पत्रकारिता करते हुए हमने देखा था."
ये भी पढ़ें: |
'उम्र में छोटे होने के बाद भी पहले चले जाने का दुख'
प्रभात झा के निधन पर दुख जताते हुए जयभान सिंह पवैया ने कहा कि "आज उनके इस तरह चले जाने से पार्टी को भी क्षति हुई है और व्यक्तिगत मुझे क्षति पहुंची है. यह समाचार मिलने के बाद व्यक्तिगत रूप से सदमा लगा है. सुबह से ही मन विचलित है." उन्होंने कहा कि "मुझे इस बात का दुख है कि प्रभात जी उनसे छोटे थे लेकिन बहुत जीवट भरे हुए थे. बड़ी बीमारी से उबरने के बाद भी उनका लगातार चलना और मेहनत करना हम सब देखते थे, तो ऐसा कभी लगता नहीं था कि वह पहले चले जाएंगे लेकिन उनके अवदान को कभी भारतीय जनता पार्टी और संगठन कभी भुला नहीं पाएगा".