पटना: बिहार में राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 2, राष्ट्रीय जनता दल ने 2, जनता दल यूनाइटेड और कांग्रेस ने एक-एक उम्मीदवार उतारे हैं. अगर सातवें उम्मीदवार के तौर पर कोई मैदान में नहीं आया तो मतदान की जरूर नहीं पड़ेगी लेकिन अब जानकारी मिल रही है कि भारतीय जनता पार्टी ने सातवें कैंडिडेट को उतारने की तैयारी कर ली है.
कौन हैं संभावित उम्मीदवार?: बीजेपी के कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी ने मैदान में उतारने का मन बनाया है. बीजेपी के मिली जानकारी के अनुसार राकेश ने नामांकन के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में 10000 रुपये जमा कराया है. वह भारतीय जनता पार्टी के कोषाध्यक्ष और बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं.
सातवें उम्मीदवार के कारण चुनाव दिलचस्प: अगर एक और उम्मीदवार यानी सातवें प्रत्याशी मैदान में आते हैं तो वैसे स्थिति में वोटिंग की नौबत आएगी. ऐसे में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की सीट फंस सकती है.
राज्यसभा चुनाव में वोटों का समीकरण: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 128 विधायक हैं, जबकि 3 आरजेडी के बागी विधायक भी पाला बदल चुके हैं. इस तरह कुल विधायकों की संख्या 131 हो जाती है. अपने तीन उम्मीदवारों को वोट देने के बाद भी एनडीए के पास 25 विधायकों का अतिरिक्त वोट बचेगा. वहीं अगर राकेश तिवारी ने नामांकन किया तो उन्हें मात्र 10 और विधायकों का जुगाड़ करना होगा.
क्यों फंस सकता है पेंच?: उधर, महागठबंधन की बात करें उनके तीन उम्मीदवार हैं. आरजेडी 3 विधायकों के पाला बदलने के कारण विपक्षी गठबंधन के पास अब 112 विधायक हैं. उन्हें 105 विधायकों के वोटों की जरूरत है. अखिलेश सिंह आसानी से राज्यसभा के लिए चुन लिए जाएंगे लेकिन अगर महागठबंधन के विधायकों ने कोई खेल किया तो कांग्रेस कैंडिडेट का दोबारा राज्यसभा जाना मुश्किल में पड़ सकता है.
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