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अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर फिर से 'अजय', हैट्रिक लगाएंगे टम्टा! ऐसा रहा सियासी सफर

BJP Lok Sabha Candidate Ajay Tamta, Almora Pithoragarh Seat बीजेपी ने अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट एक बार फिर से अजय टम्टा पर भरोसा जताया है. ऐसे में अजय टम्टा तीसरी बार हैट्रिक लगाने की उम्मीद से मैदान में उतरेंगे. अगर अजय टम्टा के सियासी सफर की बात करें तो उन्होंने राजनीति की शुरुआत पंचायत स्तर पर की थी. राम जन्मभूमि के आंदोलन में भी हिस्सा लिया. लोकसभा चुनाव भी हारे, लेकिन जब जीते तो जीतते ही गए.

Ajay Tamta
अजय टम्टा का सियासी सफर
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 3, 2024, 4:08 PM IST

Updated : Mar 5, 2024, 5:25 PM IST

देहरादून: लोकसभा चुनाव रणभेरी कभी भी बज सकती है. ऐसे में लोकसभा के प्रत्याशियों को लेकर माथापच्ची जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी ने उत्तराखंड की 3 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. जिसमें टिहरी लोकसभा सीट, नैनीताल उधमसिंह नगर सीट और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट शामिल हैं. खास बात ये है इन तीनों सीटों पर प्रत्याशियों को रिपीट किया गया है. यानी जो पिछली बार जीतकर सांसद बने थे, उन्हीं पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए टिकट दिया है.

अगर अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट की बात करें तो अजय टम्टा को फिर से टिकट देकर लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. पिछली लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने प्रदीप टम्टा को पटखनी दी और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने. अभी अजय टम्टा 17वीं लोकसभा के सदस्य भी है. अजय टम्टा का राजनीतिक लंबा सफर रहा है. अजय टम्टा अपने बेहद सरल स्वभाव की वजह से जनता की बीच खास पहचान रखते हैं.

अजय टम्टा ने ट्रांसपोर्टर का काम भी किया: बीजेपी के अल्मोड़ा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए गए अजय टम्टा का जन्म साल 1972 में हुआ था. बागेश्वर जिले के भट्ठखोला गांव में उनका जन्म हुआ था. सामान्य परिवार में जन्मे अजय टम्टा ने अपनी पढ़ाई 12वीं कक्षा तक करने के बाद समाज सेवा और व्यवसाय की तरफ रख कर लिया. अजय टम्टा ने एक ट्रांसपोर्टर के रूप में अपनी रोजी रोटी को शुरू किया. आज भी उनकी आय का एक जरिया तेल टैंकर है.

राम जन्मभूमि के आंदोलन में लिया हिस्सा: साल 1990 के दौरान राम जन्मभूमि के आंदोलन में अजय टम्टा ने सक्रिय भूमिका अदा की थी और उस दौरान राम जन्मभूमि के लिए विभिन्न रैलियों और कार्यक्रमों में उन्होंने हिस्सा लिया था. इसके बाद व्यवसाय करते हुए ही उन्होंने राजनीति की तरफ भी कदम बढ़ा लिया. राम जन्मभूमि से जुड़े होने के कारण बीजेपी से उनकी विचारधारा हमेशा ही मिलती थी.

Ajay Tamta Political Journey
अजय टम्टा का सियासी सफर

साल 1997 में बने जिला पंचायत सदस्य: उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत पंचायत स्तर पर की और लोगों के बीच सरल स्वभाव के कारण काफी जल्दी पकड़ भी बना ली. ट्रांसपोर्टर के तौर पर अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने के साथ वो समाज सेवा से भी जुड़े रहे. इसके बाद साल 1997 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य बनने में कामयाबी हासिल की. इतना ही नहीं उन्होंने जिला पंचायत में सामान्य सीट से उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचन भी पाया.

साल 2002 में निर्दलीय लड़े चुनाव, मिली हार: वहीं, साल 1997 में जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद 2 सालों में ही वो जिला पंचायत अध्यक्ष अल्मोड़ा के पद पर भी निर्वाचित हो गए. इसके बाद उन्होंने विधायक बनने के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए और राज्य स्थापना के बाद प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ही ताल ठोक दी. साल 2002 में चुनाव निर्दलीय रूप से लड़ते हुए वो खासे चर्चाओं में तो रहे लेकिन चुनाव हार गए.

साल 2007 में बीजेपी से लड़े विधानसभा चुनाव, जीतकर बने कैबिनेट मंत्री: इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव यानी 2007 में अजय टम्टा ने विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई और वो बीजेपी की सरकार में राज्य मंत्री भी बन गए. इसके बाद इसी सरकार में साल 2008 में मंत्रियों के बदलाव के दौरान उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

साल 2009 में बीजेपी लड़े लोकसभा चुनाव, हार का करना पड़ा सामना: हालांकि, इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव के लिए भी बीजेपी ने अजय टम्टा पर भरोसा जताया और उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया इस लोकसभा चुनाव में अजय टम्टा को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 2010 में अजय टम्टा को बीजेपी अनुसूचित मोर्चा का उपाध्यक्ष नामित किया गया और उन्होंने संगठन में अपने काम को आगे बढ़ाया.

साल 2012 में विधानसभा चुनाव जीते: इसके बाद लगातार उन्हें संगठन में दूसरी जिम्मेदारियां दी जाती रही और 1 साल बाद साल 2011 में उन्हें बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य भी बना दिया गया. 1 साल बाद यानी साल 2012 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और उन्होंने फिर से विधानसभा चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़ते हुए जीत हासिल कर ली. इस बार राज्य में सरकार कांग्रेस की थी. लिहाजा, उन्हें विधायक के रूप में मुख्य सचेतक बनाया गया.

साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीते, कपड़ा राज्य मंत्री की मिली जिम्मेदारी: अजय टम्टा 2 साल बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे. इस बार उन्होंने चुनाव में जीत हासिल करते हुए पहली बार लोकसभा की दहलीज को पार कर लिया और लोकसभा के सदस्य बने. लोकसभा में पहले ही कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई.

साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीते, अब 2024 में फिर से मिला टिकट: इसके बाद साल 2019 में भी बीजेपी ने उन्हें लोकसभा के लिए अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने एक बार फिर इस सीट पर जीते भी हासिल की. फिलहाल, अजय टम्टा अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर सांसद हैं. अब पार्टी ने तीसरी बार भी उन पर भरोसा जताते हुए अल्मोड़ा लोकसभा सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

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देहरादून: लोकसभा चुनाव रणभेरी कभी भी बज सकती है. ऐसे में लोकसभा के प्रत्याशियों को लेकर माथापच्ची जारी है. इसी कड़ी में बीजेपी ने उत्तराखंड की 3 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. जिसमें टिहरी लोकसभा सीट, नैनीताल उधमसिंह नगर सीट और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट शामिल हैं. खास बात ये है इन तीनों सीटों पर प्रत्याशियों को रिपीट किया गया है. यानी जो पिछली बार जीतकर सांसद बने थे, उन्हीं पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए टिकट दिया है.

अगर अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट की बात करें तो अजय टम्टा को फिर से टिकट देकर लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है. पिछली लोकसभा चुनाव 2019 में उन्होंने प्रदीप टम्टा को पटखनी दी और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट से सांसद बने. अभी अजय टम्टा 17वीं लोकसभा के सदस्य भी है. अजय टम्टा का राजनीतिक लंबा सफर रहा है. अजय टम्टा अपने बेहद सरल स्वभाव की वजह से जनता की बीच खास पहचान रखते हैं.

अजय टम्टा ने ट्रांसपोर्टर का काम भी किया: बीजेपी के अल्मोड़ा लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाए गए अजय टम्टा का जन्म साल 1972 में हुआ था. बागेश्वर जिले के भट्ठखोला गांव में उनका जन्म हुआ था. सामान्य परिवार में जन्मे अजय टम्टा ने अपनी पढ़ाई 12वीं कक्षा तक करने के बाद समाज सेवा और व्यवसाय की तरफ रख कर लिया. अजय टम्टा ने एक ट्रांसपोर्टर के रूप में अपनी रोजी रोटी को शुरू किया. आज भी उनकी आय का एक जरिया तेल टैंकर है.

राम जन्मभूमि के आंदोलन में लिया हिस्सा: साल 1990 के दौरान राम जन्मभूमि के आंदोलन में अजय टम्टा ने सक्रिय भूमिका अदा की थी और उस दौरान राम जन्मभूमि के लिए विभिन्न रैलियों और कार्यक्रमों में उन्होंने हिस्सा लिया था. इसके बाद व्यवसाय करते हुए ही उन्होंने राजनीति की तरफ भी कदम बढ़ा लिया. राम जन्मभूमि से जुड़े होने के कारण बीजेपी से उनकी विचारधारा हमेशा ही मिलती थी.

Ajay Tamta Political Journey
अजय टम्टा का सियासी सफर

साल 1997 में बने जिला पंचायत सदस्य: उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत पंचायत स्तर पर की और लोगों के बीच सरल स्वभाव के कारण काफी जल्दी पकड़ भी बना ली. ट्रांसपोर्टर के तौर पर अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने के साथ वो समाज सेवा से भी जुड़े रहे. इसके बाद साल 1997 में उन्होंने जिला पंचायत सदस्य बनने में कामयाबी हासिल की. इतना ही नहीं उन्होंने जिला पंचायत में सामान्य सीट से उपाध्यक्ष पद पर निर्वाचन भी पाया.

साल 2002 में निर्दलीय लड़े चुनाव, मिली हार: वहीं, साल 1997 में जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद 2 सालों में ही वो जिला पंचायत अध्यक्ष अल्मोड़ा के पद पर भी निर्वाचित हो गए. इसके बाद उन्होंने विधायक बनने के लिए अपने प्रयास शुरू कर दिए और राज्य स्थापना के बाद प्रदेश के पहले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय ही ताल ठोक दी. साल 2002 में चुनाव निर्दलीय रूप से लड़ते हुए वो खासे चर्चाओं में तो रहे लेकिन चुनाव हार गए.

साल 2007 में बीजेपी से लड़े विधानसभा चुनाव, जीतकर बने कैबिनेट मंत्री: इसके बाद अगले विधानसभा चुनाव यानी 2007 में अजय टम्टा ने विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ा, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई और वो बीजेपी की सरकार में राज्य मंत्री भी बन गए. इसके बाद इसी सरकार में साल 2008 में मंत्रियों के बदलाव के दौरान उन्हें सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया.

साल 2009 में बीजेपी लड़े लोकसभा चुनाव, हार का करना पड़ा सामना: हालांकि, इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव के लिए भी बीजेपी ने अजय टम्टा पर भरोसा जताया और उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया इस लोकसभा चुनाव में अजय टम्टा को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद साल 2010 में अजय टम्टा को बीजेपी अनुसूचित मोर्चा का उपाध्यक्ष नामित किया गया और उन्होंने संगठन में अपने काम को आगे बढ़ाया.

साल 2012 में विधानसभा चुनाव जीते: इसके बाद लगातार उन्हें संगठन में दूसरी जिम्मेदारियां दी जाती रही और 1 साल बाद साल 2011 में उन्हें बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य भी बना दिया गया. 1 साल बाद यानी साल 2012 में प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए और उन्होंने फिर से विधानसभा चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़ते हुए जीत हासिल कर ली. इस बार राज्य में सरकार कांग्रेस की थी. लिहाजा, उन्हें विधायक के रूप में मुख्य सचेतक बनाया गया.

साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीते, कपड़ा राज्य मंत्री की मिली जिम्मेदारी: अजय टम्टा 2 साल बाद साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतरे. इस बार उन्होंने चुनाव में जीत हासिल करते हुए पहली बार लोकसभा की दहलीज को पार कर लिया और लोकसभा के सदस्य बने. लोकसभा में पहले ही कार्यकाल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार में उन्हें कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दे दी गई.

साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीते, अब 2024 में फिर से मिला टिकट: इसके बाद साल 2019 में भी बीजेपी ने उन्हें लोकसभा के लिए अपना प्रत्याशी बनाया और उन्होंने एक बार फिर इस सीट पर जीते भी हासिल की. फिलहाल, अजय टम्टा अल्मोड़ा पिथौरागढ़ लोकसभा सीट पर सांसद हैं. अब पार्टी ने तीसरी बार भी उन पर भरोसा जताते हुए अल्मोड़ा लोकसभा सीट से उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है.

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Last Updated : Mar 5, 2024, 5:25 PM IST
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