सूरजपुर : आज हम आपको ऐसी तस्वीर दिखाने जा रहे हैं. जो हैरान करने वाली है.आपने एक ही कमरे में दो अलग-अलग कक्षाओं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाने और एक ही कमरे में दो कक्षाओं को संचालित किए जाने के तो कई मामले देखे होंगे.लेकिन भवन के अभाव में दो शासकीय महाविद्यालयों को ही एक भवन में संचालित किया जा रहा है. वहीं महाविद्यालय का निर्माणधीन भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बना हुआ है.
निर्माणाधीन भवन में शराबखोरी : सूरजपुर में पिछले आठ साल से पॉलेटेक्निक भवन का निर्माण हो रहा है.लेकिन आज तक ये पूरा नहीं हो सका है.आज इस भवन में जंगल और झाड़ियां उग आईं हैं. जिन जगहों पर छात्रों के बैठने के लिए क्लासरूम बने हैं.वहां अब असामाजिक तत्व बैठकर अपनी अय्याशी पूरी करते हैं.शाम होते ही इन अधूरे बने कमरों का इस्तेमाल दारु की बोतलों को खाली करने के लिए शराबी करते हैं.
मवेशी बांधने के काम में आ रहे क्लास रूम : कुछ कमरों का इस्तेमाल शराबी कर रहे हैं,वहीं दूसरी ओर कुछ कमरे मवेशियों को बांधने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं.इस निर्माणाधीन भवन के पास गर्ल्स हॉस्टल भी मौजूद है.लेकिन यहां पर जुटने वाले मनचले अक्सर छात्राओं के लिए खतरा बन सकते हैं. जिस भवन से देश को कई युवा इंजीनयर्स मिलते वो प्रशासनिक उदासीनता के कारण अधूरा है.वहीं पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों को वेटनरी कॉलेज की बिल्डिंग में पढ़ाई करना पड़ रहा है. पॉलिटेक्निक कॉलेज सूरजपुर के प्रभारी प्रचार्य भी मानते हैं कि दूसरे कॉलेज का भवन होने के कारण परेशानी हो रही है.
पर्याप्त संख्या में क्लासरूम के साथ वॉशरूम और लैब नहीं होने से छात्रों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. निर्माण एजेंसी से बात की गई है. उन्हें जल्द से जल्द इस प्रोजेक्ट को पूरा करके हैंड ओवर करने का आग्रह किया गया है- एन योगेश, प्रभारी प्राचार्य पॉलिटेक्निक कॉलेज
इस भवन की निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि यह भवन ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट टेक्निकल एजुकेशन के अंतर्गत बनाया जा रहा है. केंद्र से पैसा आना है इसलिए काम प्रभावित हो रहा है.
केंद्र सरकार की योजना होने के कारण फंड की समस्या रही है. फिर से 4 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति गई है.जल्द ही रिटेंडर करके काम शुरू कर दिया जाएगा- महादेव लहरे,ईई पीडब्ल्यूडी
पूर्ववर्ती सरकार में राज्य और केंद्र की आपसी खींचतान में यह भवन आज भी अधूरा पड़ा हुआ है. जिसका उपयोग आज आसामाजिक तत्व के साथ आसपास के लोग अपनी मवेशियों को बांधने वाले बाड़े के रूप में कर रहे हैं. बहरहाल अब यह देखने वाली बात होगी जितनी राशि स्वीकृत हुई है उससे भवन आकार ले पाता है या फिर से ये भवन असामाजिक तत्वों और मवेशियों को बांधने का अड्डा बनकर रह जाता है.