रांचीः झारखंड में कभी-भी विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है. चुनाव आयोग की तैयारियों को देखकर अक्टूबर में चुनाव की संभावना जतायी जा रही है. राजनीतिक पार्टियों ने भी तैयारी शुरू कर दी है और यहां नैरेटिव सेट करने का खेल चल रहा है.
फिलहाल, संथाल में बांग्लादेशियों की घुसपैठ से आदिवासियों की बदल रही डेमोग्राफी का मामला गरमाया हुआ है. इस बीच नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने यह कहकर नई बहस छेड़ दी है कि साहिबगंज में कई मुस्लिम को दलित का दर्जा दिया जा रहा है. उनके अनुसार कई मुस्लिम महिलाओं ने अनुसूचित जाति (एससी) प्रमाण पत्र बनवाकर पीडीएस दुकान आवंटित करवा ली है. उन्होंने उधवा प्रखंड के परानपुर गांव की अनाहार बीबी लाफुल बीबी, पलासगाछी दियारा की सेबी बीबी, तारफुल बेबी, सरफराजगंज की कुलसुम खातून और उधवा दियारा की सुलेखा बीबी से जुड़े कागजात साझा भी किए हैं. नेता प्रतिपक्ष की ये दलील है कि राज्य सरकार इस तरह के कदम उठाकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है.
क्या वाकई मुस्लिम ने दलित बनकर ली पीडीएस दुकान?
अब सवाल है कि आखिर साहिबगंज की अनाहार बीबी, लाफुल बीबी, सेबी बीबी, तारफुल बीबी, कुलसुम खातून और सुलेखा बीबी को एससी का दर्जा देकर जनवितरण प्रणाली की दुकानें कैसे आवंटित कर दी गईं. इस मुद्दे को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने साहिबगंज के जिला आपूर्ति पदाधिकारी जेके मिश्रा से बात की. उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं के नाम सामने आये हैं उनमें से कोई भी पीडीएस डीलर नहीं हैं.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी जेके मिश्रा के अनुसार ये सारी महिलाएं नेशनल फूड सिक्यूरिटी एक्ट के तहत प्रायोरिटी हाउसहोल्ड (PH) राशनकार्ड होल्डर हैं. इनको प्रति सदस्य 5 किलो अनाज मिलता है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने बताया कि राशन कार्डधारी के विवरण में पीडीएस डीलर का नाम और लाइसेंस नंबर भी दर्ज रहता है. हालांकि जब उनसे पूछा गया कि व्यक्तिगत विवरण वाले फॉर्म में मुस्लिम महिलाओं की जाति 'एससी' क्यों दर्ज है. इसपर उन्होंने इसको आवेदनकर्ताओं की गलती बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की.
जिला आपूर्ति पदाधिकारी जेके मिश्रा ने आगे बताया कि ऐसी सभी महिलाओं का राशनकार्ड निरस्त करवा दिया गया है. जिला आपूर्ति पदाधिकारी के अनुसार करीब आठ लाभुक चिन्हित किए गए हैं जो मुस्लिम होते हुए अपने आपको एससी कैटेगरी का बताकर लाभ लेते आ रहे थे. उन्होंने यह भी कहा कि राशन कार्ड होल्डर को किसी विशेष जाति का होने से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता है. यह फॉर्म भरने के दौरान मानवीय त्रुटि का हिस्सा है.
क्या मुस्लिम में किसी जाति को मिलता है एससी आरक्षण?
अब सवाल उठता है कि क्या मुस्लिम समाज की किसी जाति को दलित आरक्षण मिलता है या नहीं. इस बात को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा के मो. इस्लाम से बात की. उन्होंने कहा कि मुस्लिम में सैय्यद, पठान और शेख जातियां सामान्य वर्ग में आती हैं. शेष सभी जातियां ओबीसी वर्ग में हैं. उन्होंने बताया कि आर्टिकल 341 के आधार पर बैकवर्ड मुस्लिम मोर्चा सुप्रीम कोर्ट गई है. जिस तरह दलित हिन्दू को आरक्षण का लाभ मिलता है, उसी तरह दलित मुस्लिम के लिए भी आरक्षण की मांग की गई है. इस पर फैसला आना बाकी है. जब तब मुस्लिम समाज की कुछ जातियों को दलित वर्ग के लिए चिन्हित कर आरक्षण देने योग्य कानूनी मान्यता नहीं मिल जाती, तबतक उनके लिए अनुसूजित जाति प्रमाण पत्र का कोई मतलब नहीं बनता है.
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