रायपुर: समय-समय पर राजनीतिक दल सदस्यता अभियान चलाते हैं. इसमें सभी राजनीतिक दल ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी पार्टी से जोड़ने की कोशिश करते हैं. कभी फॉर्म भर कर, तो कभी मिस कॉल के जरिए पार्टी लोगों को सदस्य बनाते हैं. इस सदस्यता अभियान का राजनीतिक दलों की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है? क्या यह राजनीतिक दल और चुनाव के लिए फायदेमंद होते हैं? या फिर महज औपचारिकता होती है? आइये जानने की कोशिश करते हैं.
पूरे देश में शुरू हुई सदस्यता अभियान: दरअसल, इन दिनों पूरे देश में भाजपा का सदस्यता अभियान चर्चा में है. देश से लेकर प्रदेश तक अधिक से अधिक लोगों को सदस्य बनाने की कवायत में भाजपा जुटी हुई है. इस सदस्यता अभियान के तहत भाजपा ज्यादा से ज्यादा लोगों को सदस्य बनाने की कोशिश में है. इसके लिए ऑनलाइन सदस्यता अभियान भाजपा के द्वारा चलाया जा रहा है. भाजपा अपने सदस्यता अभियान को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही है. भाजपा की मानें तो इस बार पिछली बार से कहीं ज्यादा सदस्य बनाए जाएंगे.
छत्तीसगढ़ में भी शुरू हुई सदस्यता अभियान: छत्तीसगढ़ में भी 3 सितंबर को गाजे-बाजे में साथ इस अभियान की शुरुआत हुई. उस दिन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने भाजपा की ऑनलाइन सदस्य ली. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंह देव ने उन्हें सदस्यता दिलाई. सदस्यता अभियान की शुरुआत के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा था, "पिछली बार प्रदेश में हमारे 37 लाख सदस्य बने थे. इस बार हमारा टारगेट 50 लाख सदस्य बनाने का है. इसके लिए हमें ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है."
कांग्रेस का बीजेपी पर प्रहार: भाजपा की सदस्यता अभियान को कांग्रेस ने ढकोसला बताया. छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा, "जिस तरह से पूरे देश में रिजल्ट आया, उसे देखकर यह घबरा गए. छत्तीसगढ़ में सरकार की योजनाएं जमीन तक नहीं पहुंच रही है. यह सिर्फ योजना से ध्यान भटकने के लिए है. पिछले समय मिस कॉल वाली पार्टी नंबर एक की पार्टी अपने आप को बता रही थी. हमने इतने सदस्य बनाए, लेकिन जितने सदस्य बनाए उतने वोट भी इन्हें नहीं मिले. तो वह सदस्य कहां गए? इस तरह इनका सदस्यता अभियान पूरी तरह से ढकोसला है. यह सरकार की योजनाओं से ध्यान भटकने के लिए इस तरह से काम कर रहे हैं.
"इस अभियान के दौरान मिस कॉल और ऑनलाइन के जरिए ज्यादा अपराधी सदस्य बन रहे हैं. क्या भाजपा उन्हें स्वीकार करेगी? इस सदस्यता अभियान का भाजपा को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है. छत्तीसगढ़ की जनता ने 9 महीने की सरकार को देख लिया है. जमीनी हकीकत कुछ भी नहीं है. यह सरकार छत्तीसगढ़ के लिए सिर्फ कर्ज लेकर मलाई खाने और लूटने का काम कर रही है. -दीपक बैज, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
बीजेपी ने किया पलटवार: कांग्रेस के बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया. भाजपा प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कहा, "कांग्रेस सदस्यता की परिभाषा नहीं समझती है. हमारा सदस्यता अभियान चल रहा है. वे कहते हैं कि सदस्यता अभियान एक ढोंग है. इसका मतलब यही है कि कांग्रेस अपने सदस्यों का सम्मान भी नहीं करती है. सदस्यों की ताकत का भी उन्हें एहसास नहीं है. आज यदि भाजपा देश में तीसरी बार लगातार सरकार बना रही है. 17-18 राज्यों में हमारी सरकार है. वह किसी और की बदौलत नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी के सदस्य और कार्यकर्ताओं की बदौलत ही संभव हुआ है."
"पहले हम जो हाथ से फॉर्म भरकर सदस्यता अभियान चलाते थे, उसमें समय लगता था. इस नई तकनीक को लाने का श्रेय गृहमंत्री अमित शाह को जाता है. जब वे साल 2014 में राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, तब हमने डिजिटल सदस्यता अभियान प्रारंभ किया. साल 2014 में हमने 11 करोड़ सदस्य देश के अंदर बनाये थे." -संजय श्रीवास्तव, प्रदेश महामंत्री भाजपा
जानिए क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार: इस पूरे मामले में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा ने कहा, "कभी फॉर्म भर के, कभी ऑनलाइन और कभी मिस कॉल से सदस्य बनाए जा रहे हैं, लेकिन सदस्य बनना और पार्टी की विचारधारा से जुड़ना दो अलग-अलग बातें हैं. जो आपसे जुड़े हैं, वह क्या आपकी पार्टी विचारधारा से हैं? इसकी गारंटी कौन देगा? इसलिए मिस कॉल और ऑनलाइन के जरिए जितने भी सदस्य होते हैं. वह मंच से गरजने के लिए तो ठीक है कि हमारे इतने सदस्य बन गए, लेकिन हकीकत में कौन आपकी विचारधारा से कितना जुड़ा, यह बहुत मायने रखता है. ऐसे में मिस कॉल से सदस्य बनना चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो दोनों अलग-अलग बातें हैं."
"जो भी दल सत्ता पर काबिज होते है, उस दल से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ना चाहते हैं. यही कारण है कि उसके सदस्य भी ज्यादा होते हैं, लेकिन वे एक्टिव और सक्रीय नहीं होते. महज एक सदस्य या फिर कह सकते हैं संख्या के रूप में पार्टी में होते हैं." -उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
जितने सदस्य थे, उतने वोट नहीं मिले थे: आगे उचित शर्मा ने कहा, "पूर्व में जो सदस्य बनाए जाते थे, उस दौरान उस व्यक्ति की पूरी पड़ताल की जाती थी. स्कैनिंग होती थी. एक रिपोर्ट कार्ड तैयार होता था. उसके बाद उन्हें पार्टी का सदस्य बनाया जाता था. महत्वपूर्ण पदों पर उन्हें बैठाया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. जो व्यक्ति आपसे जुड़ रहा है. वह किस मानसिकता और विचारधारा का है, वह फिल्टर होना चाहिए. वह फिलहाल खत्म होता नजर आ रहा है. यह सदस्यता अभियान आत्ममुग्ध होने के लिए अच्छा है. हकीकत में आप गारंटी भी नहीं ले सकते हैं. जो सदस्य हैं, वह आपको ही वोट देंगे. जो मिस कॉल से बना रहे हैं, वह कितना आपके प्रति वफादार होगा? वह कितना आपके प्रति समर्पित होंगे? यह देखना होगा. पूर्व के चुनाव में भी देखने को मिला है कि जितने सदस्य बनाए गए थे उतने तो वोट भी उस पार्टी को नहीं मिले थे."
जहां एक ओर कांग्रेस बीजेपी की सदस्यता अभियान पर तंज कसती नजर आ रही है. वहीं, बीजेपी इस अभियान के जरिए लोगों के बीच बेहतर संपर्क साधने का दावा कर रहे हैं. इधर, वरिष्ठ पत्रकार इस मामले में अलग ही बात कह रहे हैं.