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नीति आयोग की रिपोर्ट में सबसे फिसड्डी बिहार, डबल इंजन सरकार के विकास पर उठते सवाल, फिजा में गूंजा विशेष राज्य की मांग - NITI Aayog SDG Report - NITI AAYOG SDG REPORT

NITI Aayog SDG Report: नीति आयोग ने 12 जुलाई को एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 जारी किया है. कुछ पैमानों पर स्थिति में सुधार के बावजूद बिहार सतत विकास का आकलन करने वाले एसडीजी इंडिया इंडेक्स में सबसे निचले पायदान पर रहा. ऐसे में बिहार में डबल इंजन सरकार के विकास के दावे फेल होने पर विपक्ष हमलावर है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में सबसे फिसड्डी बिहार
नीति आयोग की रिपोर्ट में सबसे फिसड्डी बिहार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 15, 2024, 7:56 PM IST

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी (ETV Bharat)

पटना: नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स 2023-24 की नवीनतम रिपोर्ट में बिहार निचले पायदान पर है. नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखंड शीर्ष पायदान पर है. नीति आयोग ने रिपोर्ट में साफ कहा है कि गरीबी दूर करने के प्रयासों में बिहार में और काम करने की जरूरत है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी: नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट को लेकर जहां सत्ता पक्ष के लोग कह रहे हैं कि इसलिए तो हम विशेष राज्य के दर्जा और विशेष मदद की मांग कर रहे हैं. वहीं विपक्ष की ओर से नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार के 18 साल के कामकाज को लेकर सवाल उठाए जा रहा है. अब इस रिपोर्ट के आने के बाद एक बार फिर से सियासत शुरू हो गयी है.

सबसे नीचले पायदान पर प्रदेश: राजद ने नीतीश सरकार को घेरा है और कहा है कि पिछले 18 सालों से बिहार में नीतीश कुमार शासन कर रहे हैं. डबल इंजन की सरकार भी रही है, लेकिन विकास के हर मामले में बिहार निचले पायदान पर है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता का नीरज कुमार ने कहा कि इसलिए हम विशेष राज्य का दर्जा या विशेष मदद मांग रहे हैं. नीरज ने कहा आधारभूत संरचना के निर्माण के क्षेत्र में विकास दर हमारा लगातार कायम है.

"शिक्षकों की नियुक्ति में देश में हम अव्वल हैं. पुलिस में महिलाओं की भागीदारी को लेकर भी हम देश में अव्वल हैं. आजीविका के मामले में भी हम देश में आवल हैं. यदि मानव विकास को बेहतर बनाना है हमको विशेष मदद चाहिए. बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्णा सिंह के बाद एक भी मेडिकल कॉलेज एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना नहीं हुई. चरवाहा विद्यालय खोला गया लेकिन आज हम कुछ रूपयों में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करवा रहे हैं पॉलिटेक्निक में पढ़ाई करवा रहे हैं."- नीरज कुमार , मुख्य प्रवक्ता, जदयू

राजद का हमला: वहीं राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि "नीति आयोग की रिपोर्ट ने साफ बता दिया है कि बिहार में नीतीश कुमार के शासन में विकास नहीं हुआ है. लोगों को भ्रमित करने की कोशिश हुई है. तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की सरकार में जो विकास का कदम बढ़ाया था वह रुक गया है."

विशेषज्ञ की राय: वही विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है "नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में बिहार कई सेक्टर में निचले पायदान पर है. बिहार के अलावे झारखंड और पूर्वी क्षेत्र के जो राज्य हैं उसकी भी स्थिति कमोवेश यही है. पूर्वी क्षेत्र के प्रदेशों के विकास के लिए कई बार चर्चा हुई है . अब जो रिपोर्ट आई है पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार बजट में इस क्षेत्र के राज्यों के लिए विशेष व्यवस्था करेगी क्योंकि राज्यों के विकास से ही देश का विकास संभव होगा."

2018 में आई थी पहली रिपोर्ट: नीति आयोग की रिपोर्ट 2018 में पहली बार आई थी. एसडीजी यानी सतत विकास लक्ष्य नाम की इस रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक , आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति पर प्रदर्शन का आकलन किया जाता है. इस बार भी सामाजिक आर्थिक स्थिति के लिहाज से देश के सभी राज्यों की रैंकिंग की गई है जिसमें बिहार निचले पायदान पर है.

करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आए: नीति आयोग योजनाओं के माध्यम से यह रिपोर्ट तैयार करती है. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना , स्वच्छ भारत जन धन, आयुष्मान भारत, पीएमजे एवाई, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, पीएम मुद्रा योजना, सौभाग्य, स्टार्टअप इंडिया इत्यादि शामिल है. 10 साल में 25 करोड़ लोग योजनाओं के माध्यम से गरीबी से बाहर आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों में सर्वोमुखी विकास का अंक प्रदर्शित किया गया है. 2018 में एसडीजी स्कोर का अंक 57 था जबकि 2020-21 में यह बढ़कर 61 पहुंच गया और वित्तीय वर्ष 2023 -24 में यह 71 रहा है.

केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा: नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद जदयू मंत्रियों का केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है. जदयू के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी कहा है कि आयोग की नवीनतम रिपोर्ट ने अधिक केंद्रीय वित्तीय सहायता को लेकर लंबे समय से की जा रही हमारी मांग को सही साबित कर दिया है. यही कारण है कि हम बिहार के लिए विशेष दर्जा या विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, जो अपने वित्त का प्रबंधन खुद कर रहा है, जबकि यह देश के उन राज्यों में से एक है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

"बिहार सबसे पात्र राज्य है, जिसे केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता की जरूरत है. बिहार की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. बिहार ने न केवल लगातार विकास किया है, बल्कि सबसे विकसित राज्यों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है."- विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री, बिहार

उठने लगी विशेष मांग मांग: ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा कि ‘‘मैं तो यही कहूंगा कि अब केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के बिहार को विशेष पैकेज या विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा कर देनी चाहिए. ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने भी कहा कि बिहार लगातार अपने संसाधनों से विकास कर रहा है लेकिन विकसित राज्यों के बराबर आने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष मदद की जरूरत है जिसकी मांग लगातार हम लोग कर रहे हैं नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद हमारी मांग पूरी तरह से जायज है.

यह भी पढ़ें- बिहार में घटे करोड़ों गरीब, 9 साल में 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से निकले, नीति आयोग के आंकड़े

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी (ETV Bharat)

पटना: नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स 2023-24 की नवीनतम रिपोर्ट में बिहार निचले पायदान पर है. नीति आयोग की रिपोर्ट में उत्तराखंड शीर्ष पायदान पर है. नीति आयोग ने रिपोर्ट में साफ कहा है कि गरीबी दूर करने के प्रयासों में बिहार में और काम करने की जरूरत है.

नीति आयोग की रिपोर्ट में बिहार फिसड्डी: नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट को लेकर जहां सत्ता पक्ष के लोग कह रहे हैं कि इसलिए तो हम विशेष राज्य के दर्जा और विशेष मदद की मांग कर रहे हैं. वहीं विपक्ष की ओर से नीति आयोग की रिपोर्ट पर नीतीश सरकार के 18 साल के कामकाज को लेकर सवाल उठाए जा रहा है. अब इस रिपोर्ट के आने के बाद एक बार फिर से सियासत शुरू हो गयी है.

सबसे नीचले पायदान पर प्रदेश: राजद ने नीतीश सरकार को घेरा है और कहा है कि पिछले 18 सालों से बिहार में नीतीश कुमार शासन कर रहे हैं. डबल इंजन की सरकार भी रही है, लेकिन विकास के हर मामले में बिहार निचले पायदान पर है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता का नीरज कुमार ने कहा कि इसलिए हम विशेष राज्य का दर्जा या विशेष मदद मांग रहे हैं. नीरज ने कहा आधारभूत संरचना के निर्माण के क्षेत्र में विकास दर हमारा लगातार कायम है.

"शिक्षकों की नियुक्ति में देश में हम अव्वल हैं. पुलिस में महिलाओं की भागीदारी को लेकर भी हम देश में अव्वल हैं. आजीविका के मामले में भी हम देश में आवल हैं. यदि मानव विकास को बेहतर बनाना है हमको विशेष मदद चाहिए. बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्णा सिंह के बाद एक भी मेडिकल कॉलेज एक भी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना नहीं हुई. चरवाहा विद्यालय खोला गया लेकिन आज हम कुछ रूपयों में मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई करवा रहे हैं पॉलिटेक्निक में पढ़ाई करवा रहे हैं."- नीरज कुमार , मुख्य प्रवक्ता, जदयू

राजद का हमला: वहीं राजद के प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि "नीति आयोग की रिपोर्ट ने साफ बता दिया है कि बिहार में नीतीश कुमार के शासन में विकास नहीं हुआ है. लोगों को भ्रमित करने की कोशिश हुई है. तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की सरकार में जो विकास का कदम बढ़ाया था वह रुक गया है."

विशेषज्ञ की राय: वही विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है "नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट में बिहार कई सेक्टर में निचले पायदान पर है. बिहार के अलावे झारखंड और पूर्वी क्षेत्र के जो राज्य हैं उसकी भी स्थिति कमोवेश यही है. पूर्वी क्षेत्र के प्रदेशों के विकास के लिए कई बार चर्चा हुई है . अब जो रिपोर्ट आई है पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार बजट में इस क्षेत्र के राज्यों के लिए विशेष व्यवस्था करेगी क्योंकि राज्यों के विकास से ही देश का विकास संभव होगा."

2018 में आई थी पहली रिपोर्ट: नीति आयोग की रिपोर्ट 2018 में पहली बार आई थी. एसडीजी यानी सतत विकास लक्ष्य नाम की इस रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक , आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति पर प्रदर्शन का आकलन किया जाता है. इस बार भी सामाजिक आर्थिक स्थिति के लिहाज से देश के सभी राज्यों की रैंकिंग की गई है जिसमें बिहार निचले पायदान पर है.

करोड़ों लोग गरीबी से बाहर आए: नीति आयोग योजनाओं के माध्यम से यह रिपोर्ट तैयार करती है. इसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना , स्वच्छ भारत जन धन, आयुष्मान भारत, पीएमजे एवाई, आयुष्मान आरोग्य मंदिर, पीएम मुद्रा योजना, सौभाग्य, स्टार्टअप इंडिया इत्यादि शामिल है. 10 साल में 25 करोड़ लोग योजनाओं के माध्यम से गरीबी से बाहर आए हैं. रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों में सर्वोमुखी विकास का अंक प्रदर्शित किया गया है. 2018 में एसडीजी स्कोर का अंक 57 था जबकि 2020-21 में यह बढ़कर 61 पहुंच गया और वित्तीय वर्ष 2023 -24 में यह 71 रहा है.

केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ा: नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद जदयू मंत्रियों का केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ गया है. जदयू के वरिष्ठ नेता एवं बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी कहा है कि आयोग की नवीनतम रिपोर्ट ने अधिक केंद्रीय वित्तीय सहायता को लेकर लंबे समय से की जा रही हमारी मांग को सही साबित कर दिया है. यही कारण है कि हम बिहार के लिए विशेष दर्जा या विशेष राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं, जो अपने वित्त का प्रबंधन खुद कर रहा है, जबकि यह देश के उन राज्यों में से एक है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं.

"बिहार सबसे पात्र राज्य है, जिसे केंद्र से विशेष वित्तीय सहायता की जरूरत है. बिहार की अर्थव्यवस्था भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. बिहार ने न केवल लगातार विकास किया है, बल्कि सबसे विकसित राज्यों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है."- विजय कुमार चौधरी, जल संसाधन मंत्री, बिहार

उठने लगी विशेष मांग मांग: ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने भी कहा कि ‘‘मैं तो यही कहूंगा कि अब केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के बिहार को विशेष पैकेज या विशेष राज्य का दर्जा देने की घोषणा कर देनी चाहिए. ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने भी कहा कि बिहार लगातार अपने संसाधनों से विकास कर रहा है लेकिन विकसित राज्यों के बराबर आने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष मदद की जरूरत है जिसकी मांग लगातार हम लोग कर रहे हैं नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद हमारी मांग पूरी तरह से जायज है.

यह भी पढ़ें- बिहार में घटे करोड़ों गरीब, 9 साल में 3.77 करोड़ लोग गरीबी रेखा से निकले, नीति आयोग के आंकड़े

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