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राजिम कुंभ कल्प को लेकर सियासत, कांग्रेस बीजेपी के बीच बयानबाजी, लेकिन नाम को लेकर इतिहासकार की राय जुदा - त्रिवेणी संगम

Political Rhetoric Between Congress And BJP छत्तीसगढ़ में राजिम कुंभ कल्प का आयोजन हो रहा है.लेकिन इस कुंभ को लेकर कांग्रेस और बीजेपी में ठनी हुई है.कांग्रेस राजिम कुंभ कल्प के आयोजन को लेकर बीजेपी पर आरोप लगा रही है. वहीं बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस वोट बैंक के लिए धर्म को आधार बनाती है. Rajim Kumbh Kalpa

Rajim Kumbh Kalpa
राजिम कुंभ कल्प को लेकर सियासत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 28, 2024, 4:03 PM IST

राजिम कुंभ कल्प को लेकर सियासत

रायपुर : छत्तीसगढ़ का प्रयाग राजिम में कुंभ को लेकर राजनीति चरम पर पहुंच चुकी है. छत्तीसगढ़ की रमन सरकार ने प्रदेश के राजिम में अर्धकुंभ कराने का फैसला लिया था. इसे बीजेपी सरकार ने राजिम कुंभ नाम दिया.बीजेपी सरकार के आयोजन में देश के साधु, संत और महात्मा शामिल होते थे.लेकिन जब प्रदेश में 2018 में कांग्रेस सरकार आई तो राजिम कुंभ का नाम बदलने की तैयारी शुरु हुई.कांग्रेस सरकार ने राजिम कुंभ का नाम बदला और इसे राजिम पुन्नी मेला का नाम दिया.वहीं अब जब कांग्रेस सत्ता से गई तो एक बार फिर राजिम पुन्नी को नया नाम दिया गया.लेकिन बीजेपी ने फिर से राजिम कुंभ कल्प को शुरु किया है.जिसे लेकर अब कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हैं.

बीजेपी ने नहीं किया पुन्नी मेला बंद : इस बारे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ वासियों की भावनाओं को प्रकट करने का माध्यम राजिम कुंभ है.लेकिन कांग्रेस ने राजिम कुंभ का नाम बदलकर अपनी सरकार की मोहर लगाने के लिए पुन्नी मेला कर दिया. राजिम कुंभ बीजेपी सरकार ने शुरू किया था. इसलिए उसे बंद कर कांग्रेस सरकार ने पुन्नी मेला शुरु किया. हमने किसी के कार्यक्रम को समाप्त नहीं किया.लेकिन पुराने राजिम कुंभ को दोबारा शुरु किया.संजय श्रीवास्तव के मुताबिक धर्म के नाम पर कांग्रेस हमेशा से विरोध की भावना प्रकट करती है. चाहे राम मंदिर निर्माण की बात हो या कोई और बात. हम मन से आस्था के साथ धार्मिक चीजों को सामने लाते हैं.

''कांग्रेस केवल वोट बैंक के आधार पर धर्म को सामने लेकर आती है. यह मूल अंतर बीजेपी और कांग्रेस के अंदर में है. राजिम कुंभ शुरु हुआ है. लोगों में खुशी है. लाखों की संख्या में लोग राजिम पहुंचकर स्नान कर रहे हैं.पुण्य ले रहे हैं.ये बीजेपी का अच्छा कदम है.'' संजय श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को नष्ट कर रही बीजेपी : वहीं बीजेपी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पलटवार किया है. धनंजय सिंह ठाकुर के मुताबिक बीजेपी को छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा, तीज त्यौहार, बोली भाखा, रहन-सहन, खानपान पीड़ा क्यों है. जब भी बीजेपी सरकार में आती है, तो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं से छेड़छाड़ करती है. उसके मूल स्वरूप को बदल देती है. उनके नाम में परिवर्तन कर देती है. सरकार की जिम्मेदारी होती है राज्य की संस्कृति को बचाए.लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी उल्टा काम करके संस्कृति को ही नष्ट कर रही है.

''बीजेपी महाकुंभ को कर रही चैलेंज '' : राजिम के त्रिवेणी संगम में माघी पुन्नी मेला का आयोजन वर्षों से होते आ रहा है. इसकी एक अपनी मर्यादा, पहचान और श्रद्धा है. राष्ट्र में जो चार बड़े महाकुंभ होते हैं, उसकी एक पौराणिक मान्यता है, जिसके प्रति पूरे देशवासियों की श्रद्धा है. लेकिन बीजेपी उस महाकुंभ को भी चैलेंज करने का काम कर रही है.

'' बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विपरीत काम किया है. यह बहुत ही निंदनीय और दुर्भाग्यजनक हैं. राजिम कुंभ के स्थान पर यदि पुन्नी मेला का आयोजन होता है,तो इससे बीजेपी को क्या परेशानी थी.'' धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस


राजिम में मेला या कुंभ किसके मिले साक्ष्य ? राजिम में पुन्नी मेला और कुंभ के प्रमाण को लेकर इतिहासकारों का अपना पक्ष है. इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र के मुताबिक सैकड़ों साल से कलचुरी काल, मराठा काल से राजिम में मेला लगता आ रहा है. राजिम में मेले का एतिहासिक और पौराणिक प्रमाण भी मिला है. पुराणों में महानदी को चित्रोत्पला गंगा कहा गया है. राजिम कुंभ कल्प मेले का आयोजन पिछली सरकार के पहले कई वर्षों तक चला आ रहा था.

''भारतीय इतिहास में देखा जाए तो 12 वर्ष में एक बार अलग-अलग जगह पर कुंभ का आयोजन होता है. राजिम कुंभ की बात की जाए तो जिसे फिर से चालू किया गया है. वह 'राजिम कुंभ कल्प' है. इनको कुंभ ही नहीं माना जा रहा है, उसके समकक्ष माना जा रहा है. इसने किसी भी व्यक्ति और विचारधारा के लोग आपत्ति नहीं होनी चाहिए.'' रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

इतिहासकार की माने तो छत्तीसगढ़ में मेले का आयोजन पुरातनकाल से होता आ रहा है. छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने राजिम में कुंभ का आयोजन कराया था.लेकिन प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनीं तो राजिम कुंभ को पुन्नी मेला नाम दिया गया. इसका आयोजन भी भव्य तरीके से किया गया.लेकिन अब जब प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई है, एक बार फिर पुन्नी मेला का नाम बदलकर राजिम कुंभ कल्प किया गया. अब देखना ये होगा कि प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति कब तक होती है.

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राजिम कुंभ कल्प को लेकर सियासत

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बीजेपी ने नहीं किया पुन्नी मेला बंद : इस बारे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ वासियों की भावनाओं को प्रकट करने का माध्यम राजिम कुंभ है.लेकिन कांग्रेस ने राजिम कुंभ का नाम बदलकर अपनी सरकार की मोहर लगाने के लिए पुन्नी मेला कर दिया. राजिम कुंभ बीजेपी सरकार ने शुरू किया था. इसलिए उसे बंद कर कांग्रेस सरकार ने पुन्नी मेला शुरु किया. हमने किसी के कार्यक्रम को समाप्त नहीं किया.लेकिन पुराने राजिम कुंभ को दोबारा शुरु किया.संजय श्रीवास्तव के मुताबिक धर्म के नाम पर कांग्रेस हमेशा से विरोध की भावना प्रकट करती है. चाहे राम मंदिर निर्माण की बात हो या कोई और बात. हम मन से आस्था के साथ धार्मिक चीजों को सामने लाते हैं.

''कांग्रेस केवल वोट बैंक के आधार पर धर्म को सामने लेकर आती है. यह मूल अंतर बीजेपी और कांग्रेस के अंदर में है. राजिम कुंभ शुरु हुआ है. लोगों में खुशी है. लाखों की संख्या में लोग राजिम पहुंचकर स्नान कर रहे हैं.पुण्य ले रहे हैं.ये बीजेपी का अच्छा कदम है.'' संजय श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को नष्ट कर रही बीजेपी : वहीं बीजेपी के बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने पलटवार किया है. धनंजय सिंह ठाकुर के मुताबिक बीजेपी को छत्तीसगढ़ की संस्कृति, परंपरा, तीज त्यौहार, बोली भाखा, रहन-सहन, खानपान पीड़ा क्यों है. जब भी बीजेपी सरकार में आती है, तो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं से छेड़छाड़ करती है. उसके मूल स्वरूप को बदल देती है. उनके नाम में परिवर्तन कर देती है. सरकार की जिम्मेदारी होती है राज्य की संस्कृति को बचाए.लेकिन छत्तीसगढ़ में बीजेपी उल्टा काम करके संस्कृति को ही नष्ट कर रही है.

''बीजेपी महाकुंभ को कर रही चैलेंज '' : राजिम के त्रिवेणी संगम में माघी पुन्नी मेला का आयोजन वर्षों से होते आ रहा है. इसकी एक अपनी मर्यादा, पहचान और श्रद्धा है. राष्ट्र में जो चार बड़े महाकुंभ होते हैं, उसकी एक पौराणिक मान्यता है, जिसके प्रति पूरे देशवासियों की श्रद्धा है. लेकिन बीजेपी उस महाकुंभ को भी चैलेंज करने का काम कर रही है.

'' बीजेपी ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के विपरीत काम किया है. यह बहुत ही निंदनीय और दुर्भाग्यजनक हैं. राजिम कुंभ के स्थान पर यदि पुन्नी मेला का आयोजन होता है,तो इससे बीजेपी को क्या परेशानी थी.'' धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता कांग्रेस


राजिम में मेला या कुंभ किसके मिले साक्ष्य ? राजिम में पुन्नी मेला और कुंभ के प्रमाण को लेकर इतिहासकारों का अपना पक्ष है. इतिहासकार रमेंद्रनाथ मिश्र के मुताबिक सैकड़ों साल से कलचुरी काल, मराठा काल से राजिम में मेला लगता आ रहा है. राजिम में मेले का एतिहासिक और पौराणिक प्रमाण भी मिला है. पुराणों में महानदी को चित्रोत्पला गंगा कहा गया है. राजिम कुंभ कल्प मेले का आयोजन पिछली सरकार के पहले कई वर्षों तक चला आ रहा था.

''भारतीय इतिहास में देखा जाए तो 12 वर्ष में एक बार अलग-अलग जगह पर कुंभ का आयोजन होता है. राजिम कुंभ की बात की जाए तो जिसे फिर से चालू किया गया है. वह 'राजिम कुंभ कल्प' है. इनको कुंभ ही नहीं माना जा रहा है, उसके समकक्ष माना जा रहा है. इसने किसी भी व्यक्ति और विचारधारा के लोग आपत्ति नहीं होनी चाहिए.'' रमेंद्रनाथ मिश्र, इतिहासकार

इतिहासकार की माने तो छत्तीसगढ़ में मेले का आयोजन पुरातनकाल से होता आ रहा है. छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने राजिम में कुंभ का आयोजन कराया था.लेकिन प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार बनीं तो राजिम कुंभ को पुन्नी मेला नाम दिया गया. इसका आयोजन भी भव्य तरीके से किया गया.लेकिन अब जब प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई है, एक बार फिर पुन्नी मेला का नाम बदलकर राजिम कुंभ कल्प किया गया. अब देखना ये होगा कि प्रदेश में नाम बदलने की राजनीति कब तक होती है.

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