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खूंटी विधायक राम सूर्य मुंडा किसे मानते हैं अपना गुरु, जानिए कैसे आए राजनीति में

खूंटी विधायक राम सूर्य मुंडा ने कुछ साल पहले ही राजनीति में प्रवेश किया था, लेकिन उन्हें दूसरे प्रयास में सफलता मिल गई.

RAM SURYA MUNDA
विधायक राम सूर्य मुंडा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

खूंटीः संयुक्त बिहार के हजारीबाग में डीसी रहे महेंद्र सिंह मुंडा ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेने के बाद 1989 में जेएमएम से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे. उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की सलाह पर वीआरएस लिया था. कुछ साल बाद उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन महेंद्र सिंह की राजनीति को उनके भतीजे राम सूर्य मुंडा ने जिंदा रखा.

जेएमएम ने राम सूर्य मुंडा को कभी मौका नहीं दिया. लेकिन 2024 में जब जेएमएम ने राम सूर्य मुंडा को मौका दिया तो उन्होंने 25 साल से बीजेपी के दिग्गज विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को हराकर खूंटी में अपनी पैठ जमा ली. अपने चाचा महेंद्र सिंह मुंडा के सपनों को पूरा करने वाले भतीजे राम सूर्य मुंडा ने बताया कि आज वे कैसे विधायक बने.

अपने बारे में बताते विधायक राम सूर्य मुंडा (Etv Bharat)

खूंटी के नवनिर्वाचित विधायक राम सूर्य मुंडा खिजरी प्रखंड के निवासी हैं और पेशे से किसान हैं. राम सूर्य मुंडा को शुरू से ही राजनीति में आने का शौक था. इसकी शुरुआत उन्होंने छात्र जीवन से ही कर दी थी. वे रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ते थे. उस समय वे छोटानागपुर मुंडा छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं.

राम सूर्य कहते हैं कि उनके परिवार में राजनीति कोई नई बात नहीं है. राम सूर्य मुंडा ने बताया कि उनके चाचा स्वर्गीय महेंद्र सिंह मुंडा ने 1989 में जेएमएम के टिकट पर खूंटी लोकसभा का चुनाव लड़ा था. तब उन्होंने अपने चाचा के चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. वहीं, 2019 में झारखंड पार्टी के टिकट पर खूंटी विधानसभा सीट से किस्मत आजमा चुके हैं. यह अलग बात है कि उस समय उन्हें सफलता नहीं मिली थी. अब दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली है.

नवनिर्वाचित विधायक ने कहा कि झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन उनके गुरु हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन की बदौलत आज वे विधायक बने हैं. राम सूर्य मुंडा ने कहा कि इसके अलावा जिला अध्यक्ष जुबेर अहमद के नेतृत्व ने उन्हें खूंटी का विधायक बनाया है. उन्होंने कहा कि खूंटी विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान करना और क्षेत्र का विकास करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है.

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खूंटीः संयुक्त बिहार के हजारीबाग में डीसी रहे महेंद्र सिंह मुंडा ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) लेने के बाद 1989 में जेएमएम से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे. उन्होंने दिशोम गुरु शिबू सोरेन की सलाह पर वीआरएस लिया था. कुछ साल बाद उनकी मृत्यु हो गई, लेकिन महेंद्र सिंह की राजनीति को उनके भतीजे राम सूर्य मुंडा ने जिंदा रखा.

जेएमएम ने राम सूर्य मुंडा को कभी मौका नहीं दिया. लेकिन 2024 में जब जेएमएम ने राम सूर्य मुंडा को मौका दिया तो उन्होंने 25 साल से बीजेपी के दिग्गज विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को हराकर खूंटी में अपनी पैठ जमा ली. अपने चाचा महेंद्र सिंह मुंडा के सपनों को पूरा करने वाले भतीजे राम सूर्य मुंडा ने बताया कि आज वे कैसे विधायक बने.

अपने बारे में बताते विधायक राम सूर्य मुंडा (Etv Bharat)

खूंटी के नवनिर्वाचित विधायक राम सूर्य मुंडा खिजरी प्रखंड के निवासी हैं और पेशे से किसान हैं. राम सूर्य मुंडा को शुरू से ही राजनीति में आने का शौक था. इसकी शुरुआत उन्होंने छात्र जीवन से ही कर दी थी. वे रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ते थे. उस समय वे छोटानागपुर मुंडा छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं.

राम सूर्य कहते हैं कि उनके परिवार में राजनीति कोई नई बात नहीं है. राम सूर्य मुंडा ने बताया कि उनके चाचा स्वर्गीय महेंद्र सिंह मुंडा ने 1989 में जेएमएम के टिकट पर खूंटी लोकसभा का चुनाव लड़ा था. तब उन्होंने अपने चाचा के चुनाव प्रचार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. वहीं, 2019 में झारखंड पार्टी के टिकट पर खूंटी विधानसभा सीट से किस्मत आजमा चुके हैं. यह अलग बात है कि उस समय उन्हें सफलता नहीं मिली थी. अब दूसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली है.

नवनिर्वाचित विधायक ने कहा कि झामुमो सुप्रीमो दिशोम गुरु शिबू सोरेन उनके गुरु हैं और उन्हीं के मार्गदर्शन की बदौलत आज वे विधायक बने हैं. राम सूर्य मुंडा ने कहा कि इसके अलावा जिला अध्यक्ष जुबेर अहमद के नेतृत्व ने उन्हें खूंटी का विधायक बनाया है. उन्होंने कहा कि खूंटी विधानसभा क्षेत्र में कई समस्याएं हैं, जिनका समाधान करना और क्षेत्र का विकास करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है.

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