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उत्तराखंड में तस्वीरों की राजनीति! दिल्ली में दिग्गजों की मुलाकात और सियासी मायने, जानिए क्या कहते हैं जानकार - Uttarakhand Political Scenario

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 30, 2024, 5:18 PM IST

Updated : Jul 30, 2024, 11:01 PM IST

Cabinet Minister Dhan Singh Rawat Delhi Visit उत्तराखंड में इन दिनों दिग्गजों की तस्वीरों को लेकर कई तरह के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. खासकर कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की दिल्ली दौरे की तस्वीरें और सीएम धामी की सांसदों से मुलाकात को लेकर अलग ही चर्चाएं हो रही हैं. ऐसे में जानते हैं सियासत के जानकार इस पर क्या कहते हैं और क्यों विपक्ष उपेक्षा का आरोप लगा रहा है....

UTTARAKHAND POLITICAL SCENARIO
उत्तराखंड में तस्वीरों की राजनीति (फोटो- ETV Bharat GFX)
दिग्गजों की मुलाकात और सियासी मायने (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में आए दिन कोई न कोई नेता चर्चाओं में आ जाता है. मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी और उनके कार्यों की प्रशंसा केंद्रीय नेतृत्व बार-बार करता रहा है, लेकिन सूबे की राजनीति की समझ रखने वाले कुछ लोग और सोशल मीडिया पर सरकार से लेकर संगठन की कुछ तस्वीरें व वीडियो चर्चा का विषय बन रहे हैं. अब चर्चाओं के केंद्र बिंदु में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत हैं.

चर्चाओं में धन सिंह रावत का पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह से मिलना: कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का अचानक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न केवल मिलना बल्कि, 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगलों से फोटो का आना भी खूब चर्चा का विषय बन रहा है. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उसी दिन धन सिंह रावत ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की, जो बताता है कि धन सिंह रावत भी दिल्ली में अपना दबदबा अच्छा खासा रखते हैं. वहीं, धन सिंह रावत के गृह मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो भी खूब चर्चाओं में हैं.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी के अंदर दो गुट काम कर रहे हैं. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब शपथ लेकर पदभार संभाला, उसके बाद से लेकर अब तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार दिल्ली दौरा कर चुके हैं. नवनिर्वाचित सांसद बने उत्तराखंड के तीन सांसदों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की तस्वीर भी आई. यह तस्वीरें तक सार्वजनिक हुई, जब उन्होंने दिल्ली में अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की.

इन तस्वीरों के बीच दो सांसदों की तस्वीर गायब थी. न तो त्रिवेंद्र और न ही बलूनी ने पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. न ही सीएम धामी ने अन्य तीन सांसदों की तरह ही इन दो सांसदों से मुलाकात कर उन्हें बधाई दी. हालांकि, ऐसा हो सकता है कि जब दिल्ली में पुष्कर सिंह धामी अन्य सांसदों से मिल रहे हों, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से उनकी मुलाकात ना हो पाई हो, लेकिन उस दिन के बाद से ही राजनीतिक गुणा भाग लगाने वाले लोग इस घटना को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं.

तीरथ सिंह रावत ने भाषण में किए थे प्रहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ तमाम केंद्रीय नेतृत्व मौजूदा सरकार की तारीफों के कई बार पुल बांध चुके हैं, लेकिन बीते दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह से तीरथ सिंह रावत ने सरकार और संगठन को लेकर तीखे प्रहार किया, हंसते-हंसते अपने राज्य की राजनीति और बीजेपी की अंदरूनी बातचीत को सार्वजनिक किया, उसके बाद से ये साफ हो गया कि बीजेपी में कुछ न कुछ अंदर खाने गड़बड़ चल रही है.

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की पीएम मोदी से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल: यह चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत एकाएक दिल्ली में रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हैं. उनकी यह मुलाकात शायद इतनी चर्चा में ना रहती, लेकिन यह चर्चा इसलिए भी हुई क्योंकि 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगल से आई फोटो सोशल मीडिया पर अलग-अलग कैप्शन के साथ पोस्ट की जाने लगी. कुछ लोग इसे धन सिंह रावत की मजबूती से जोड़ने लगे, तो कुछ लोग राज्य की सत्ता में किसी बड़े उथल-पुथल से इसे जोड़ने लगे.

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद जब धन सिंह रावत उत्तराखंड पहुंचे तो उन्होंने इस मुलाकात के बारे में सिलसिलेवार पत्रकारों को बता दिया, लेकिन दिल्ली में पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद की एक और तस्वीर तब चर्चा का विषय बन गई, जब धन सिंह रावत संसद भवन के बाहर से सांसद अनिल बलूनी और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़े हुए दिखाई दिए. संसद भवन के बाहर से धन सिंह रावत की दो अलग-अलग तस्वीरें जैसे ही सामने आईं, वैसे ही राजनीति में रुचि रखने वाले लोग कहने लगे कि कुछ ना कुछ अंदर जरूर पक रहा है.

प्रदेश में बन रहे माहौल को लेकर भी चर्चाएं हैं, जिसके तहत लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के तीन सांसदों अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की थी. इन तीन सांसदों से मुलाकात के बीच सीएम धामी की त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से मुलाकात का पता ही नहीं चला. जिसके चलते राज्य की राजनीति में ये चर्चाएं हैं कि इन नेताओं की आपसी नाराजगी वजह बनी है.

इसी बीच सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जो कि उत्तराखंड के सीएम भी रह चुके हैं, उनको पर्याप्त सुरक्षा न मिलने के चलते सांसद त्रिवेंद्र ने खुद न सिर्फ गृह विभाग को पत्र लिखा बल्कि, सीएम पुष्कर धामी को भी पत्र लिखकर वाई प्लस (Y+) सुरक्षा की मांग की. हालांकि अभी तक इस दिशा में कोई भी निर्णय नहीं हो पाया. पार्टी की सरकार और सांसद होने के बावजूद सुरक्षा के लिए पत्र लिखा जाना, किसी को भी हजम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस भी इसे आधार बनाकर नेताओं की नाराजगी को जगजाहिर होने की बात कह रही है.

कांग्रेस ने सीएम धामी पर लगाया ये आरोप: कांग्रेस के नेता इस तमाम घटनाक्रम के बीच गढ़वाल और कुमाऊं का भी मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि सीएम धामी कुमाऊं पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. जिससे गढ़वाल की उपेक्षा सी प्रतीत हो रही है. क्योंकि, दूसरे टर्म में राज्य का मुखिया बनने के बाद उन्होंने कुमाऊं क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया. साथ ही कुमाऊं के लिए तमाम विकास योजनाओं को स्वीकृत किया.

हीरा सिंह बिष्ट का कहना कुमाऊं क्षेत्र में खासकर चंपावत जिले पर ज्यादा फोकस किया गया है. साथ प्रदेश के अन्य 12 जिलों को छोड़ चंपावत जिले को आदर्श जिला बनाने पर फोकस किया जा रहा है. इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में जब धामों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ उमड़ी थी, उस दौरान सीएम धामी ने आदि कैलाश को प्रमोट किया था. ताकि, चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालु आदि कैलाश के दर्शन को भी जाएं. इतना ही नहीं चारधाम यात्रा को रामनगर से शुरू करने को लेकर भी सीएम धामी ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि रामनगर से यात्रा संचालित किए जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए, लेकिन उस दौरान उठे विरोध के चलते धामी सरकार इस मामले पर शांत हो गई. इसको लेकर ही कांग्रेस सरकार पर गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप लगा रही है.

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बोले- कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही: वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि बिना आग के धुआं नहीं निकलता है. बीसी खंडूड़ी की सरकार के दौरान 28 विधायक दिल्ली चले गए थे. लिहाजा, राजनीतिक इतिहास अपने आप को दोहराता है. अभी तो कुछ लोग दिल्ली जा रहे हैं. ऐसे में ये भी हो सकता है कि सभी लोग दिल्ली चले जाएं. ऐसी भी स्थितियां हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कुछ न कुछ खिचड़ी दिल्ली के साथ ही प्रदेश में भी सत्ताधारी दल के अंदर पक रही है.

प्रदेश में ये चर्चाएं ऐसे ही नहीं उठ रही हैं बल्कि, कुछ न कुछ खतरा है, तभी ऐसा हो रहा है. साथ ही कहा कि सीएम धामी अगर मजबूत होते तो किसी की क्या मजाल कि वो गुटबाजी कर सके. साथ ही कहा कि बदरीनाथ उपचुनाव में मिली हार के चलते शायद सीएम धामी कमजोर हो गए हैं. साथ ही उनके पार्टी के ही प्रतिद्वंदी ये चला रहे हैं कि कुमाऊं मजबूत और गढ़वाल कमजोर हो रहा है.

हीरा सिंह बिष्ट बोले- नेता खुश नहीं, इसलिए दिल्ली में डाला डेरा: वहीं, कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि धामी सरकार को विकास की कोई चिंता नहीं है. बीजेपी के तमाम मंत्री दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. नेता क्यों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं? उसकी एक मात्र वजह है कि कोई नेता खुश नहीं है. बीजेपी के विधायक चाहते हैं कि उनको मंत्रिमंडल में जगह दी जाए. मंत्री अधिकार मांग रहे हैं, मंत्रियों को अधिकार नहीं मिल रहा है. इसलिए मंत्री भी दिल्ली जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश को माफियाओं के हाथों में सौंप दिया, ये बात बीजेपी के विधायक और मंत्री भी समझ रहे हैं, जिसके चलते मंत्री और विधायक नाराज हैं. साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं और गढ़वाल को लेकर स्थितियां काफी गंभीर कर रखी हैं. क्योंकि, सीएम ने गढ़वाल को बिल्कुल ही इग्नोर कर दिया है, जैसे गढ़वाल उत्तराखंड का हिस्सा ही न हो.

भले ही कुमाऊं क्षेत्र बड़ा है, लेकिन दोनों रीजन में विकास समान होना चाहिए. जिसके चलते लोगों में हताशा और निराशा व्याप्त है. साथ ही कहा कि उनकी कई मंत्रियों से भी बात हुई है. बात से ऐसा लगा रहा है कि मंत्री भी नाराज हैं. क्योंकि शासन उनकी बात नहीं सुन रहा है, जिसके चलते मंत्री विधायक परेशान हैं. ऐसे में कुछ नेताओं के दिल्ली जाने के बाद राजनीतिक गर्माहट और हलचल शुरू हो गई है.

बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने विपक्ष पर लगाया आरोप: वहीं, पूरे मामले पर बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, जिसके चलते विपक्षी सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में जुटे हुए हैं. इसके पीछे ना तो कोई आधार है और न ही कोई सोच है. मंत्री राज्य के विकास के मुद्दों को लेकर दिल्ली जाते हैं. ऐसे में मंत्री दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों से राज्य के विकास के लिए मिलते हैं.

ऐसे में इस तरह के दौरे को अगर गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है तो इसके पीछे का कोई आधार नहीं है. साथ ही कहा कि कांग्रेस में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं. इसलिए कांग्रेस को लग रहा है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. कोठारी ने कहा कि बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का जो निर्देश होता है, उसका सामान्य कार्यकर्ता से लेकर विधायक, मंत्री और सांसद सभी पालन करते हैं. किसी भी रीजन की उपेक्षा नहीं की जा रही है.

जिस जिले में जिसकी आवश्यकता है, उसके अनुसार विकास कार्य किए जा रहे हैं. लिहाजा, सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं कि गुटबाजी हो रही है. साथ ही कहा जा रहा है कि गढ़वाल या कुमाऊं की उपेक्षा हो रही है. जबकि इस छोटे से राज्य में गढ़वाल या कुमाऊं की उपेक्षा का कोई विषय ही नहीं है. राजनीति में कई लोगों को इस तरह के कयास लगाने की छूट है, लेकिन पार्टी में किसी भी तरह की नाराजगी और गुटबाजी की कोई बात नहीं है.

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की इन तस्वीरों के सार्वजनिक होने के बाद अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति आयोग की बैठक थी. लिहाजा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी उस बैठक में जिस तरह से दिखाई, उसके बाद एक बार फिर से लोग कहने वालों की धामी की धमक दिल्ली में बरकरार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ठीक पीछे खड़े धामी को देखकर एक पक्ष धामी के समर्थन में खड़ा हुआ तो दूसरा पक्ष त्रिवेंद्र, बलूनी और धन सिंह रावत की तस्वीरों के जरिए अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हुए दिखाई दिया.

हालांकि, बीजेपी नेताओं के साथ ही विपक्षी नेताओं को भी मुख्यमंत्री से संबंधित सपने खूब आ रहे हैं. कुछ समय पहले ही पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक पोस्ट डाला था, जिसमे उन्होंने अपने सपने का जिक्र करते हुए कहा था कि एक महिला राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं, जिसके चलते प्रदेश में चल रही चर्चाओं को और ज्यादा बल मिल रहा है.

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दिग्गजों की मुलाकात और सियासी मायने (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में आए दिन कोई न कोई नेता चर्चाओं में आ जाता है. मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नजदीकी और उनके कार्यों की प्रशंसा केंद्रीय नेतृत्व बार-बार करता रहा है, लेकिन सूबे की राजनीति की समझ रखने वाले कुछ लोग और सोशल मीडिया पर सरकार से लेकर संगठन की कुछ तस्वीरें व वीडियो चर्चा का विषय बन रहे हैं. अब चर्चाओं के केंद्र बिंदु में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत हैं.

चर्चाओं में धन सिंह रावत का पीएम मोदी और गृहमंत्री शाह से मिलना: कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत का अचानक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न केवल मिलना बल्कि, 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगलों से फोटो का आना भी खूब चर्चा का विषय बन रहा है. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उसी दिन धन सिंह रावत ने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की, जो बताता है कि धन सिंह रावत भी दिल्ली में अपना दबदबा अच्छा खासा रखते हैं. वहीं, धन सिंह रावत के गृह मंत्री और प्रधानमंत्री मोदी के साथ फोटो भी खूब चर्चाओं में हैं.

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी के अंदर दो गुट काम कर रहे हैं. केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब शपथ लेकर पदभार संभाला, उसके बाद से लेकर अब तक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कई बार दिल्ली दौरा कर चुके हैं. नवनिर्वाचित सांसद बने उत्तराखंड के तीन सांसदों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात की तस्वीर भी आई. यह तस्वीरें तक सार्वजनिक हुई, जब उन्होंने दिल्ली में अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की.

इन तस्वीरों के बीच दो सांसदों की तस्वीर गायब थी. न तो त्रिवेंद्र और न ही बलूनी ने पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. न ही सीएम धामी ने अन्य तीन सांसदों की तरह ही इन दो सांसदों से मुलाकात कर उन्हें बधाई दी. हालांकि, ऐसा हो सकता है कि जब दिल्ली में पुष्कर सिंह धामी अन्य सांसदों से मिल रहे हों, तब त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से उनकी मुलाकात ना हो पाई हो, लेकिन उस दिन के बाद से ही राजनीतिक गुणा भाग लगाने वाले लोग इस घटना को बड़ी बारीकी से देख रहे हैं.

तीरथ सिंह रावत ने भाषण में किए थे प्रहार: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ तमाम केंद्रीय नेतृत्व मौजूदा सरकार की तारीफों के कई बार पुल बांध चुके हैं, लेकिन बीते दिनों राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह से तीरथ सिंह रावत ने सरकार और संगठन को लेकर तीखे प्रहार किया, हंसते-हंसते अपने राज्य की राजनीति और बीजेपी की अंदरूनी बातचीत को सार्वजनिक किया, उसके बाद से ये साफ हो गया कि बीजेपी में कुछ न कुछ अंदर खाने गड़बड़ चल रही है.

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की पीएम मोदी से मुलाकात ने बढ़ाई सियासी हलचल: यह चर्चा अभी थमी भी नहीं थी कि उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत एकाएक दिल्ली में रहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करते हैं. उनकी यह मुलाकात शायद इतनी चर्चा में ना रहती, लेकिन यह चर्चा इसलिए भी हुई क्योंकि 30 मिनट की मुलाकात में तीन अलग-अलग एंगल से आई फोटो सोशल मीडिया पर अलग-अलग कैप्शन के साथ पोस्ट की जाने लगी. कुछ लोग इसे धन सिंह रावत की मजबूती से जोड़ने लगे, तो कुछ लोग राज्य की सत्ता में किसी बड़े उथल-पुथल से इसे जोड़ने लगे.

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात के बाद जब धन सिंह रावत उत्तराखंड पहुंचे तो उन्होंने इस मुलाकात के बारे में सिलसिलेवार पत्रकारों को बता दिया, लेकिन दिल्ली में पीएम मोदी और अमित शाह से मुलाकात के बाद की एक और तस्वीर तब चर्चा का विषय बन गई, जब धन सिंह रावत संसद भवन के बाहर से सांसद अनिल बलूनी और हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ खड़े हुए दिखाई दिए. संसद भवन के बाहर से धन सिंह रावत की दो अलग-अलग तस्वीरें जैसे ही सामने आईं, वैसे ही राजनीति में रुचि रखने वाले लोग कहने लगे कि कुछ ना कुछ अंदर जरूर पक रहा है.

प्रदेश में बन रहे माहौल को लेकर भी चर्चाएं हैं, जिसके तहत लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के तीन सांसदों अजय भट्ट, अजय टम्टा और माला राज्य लक्ष्मी शाह से मुलाकात की थी. इन तीन सांसदों से मुलाकात के बीच सीएम धामी की त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी से मुलाकात का पता ही नहीं चला. जिसके चलते राज्य की राजनीति में ये चर्चाएं हैं कि इन नेताओं की आपसी नाराजगी वजह बनी है.

इसी बीच सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत जो कि उत्तराखंड के सीएम भी रह चुके हैं, उनको पर्याप्त सुरक्षा न मिलने के चलते सांसद त्रिवेंद्र ने खुद न सिर्फ गृह विभाग को पत्र लिखा बल्कि, सीएम पुष्कर धामी को भी पत्र लिखकर वाई प्लस (Y+) सुरक्षा की मांग की. हालांकि अभी तक इस दिशा में कोई भी निर्णय नहीं हो पाया. पार्टी की सरकार और सांसद होने के बावजूद सुरक्षा के लिए पत्र लिखा जाना, किसी को भी हजम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि कांग्रेस भी इसे आधार बनाकर नेताओं की नाराजगी को जगजाहिर होने की बात कह रही है.

कांग्रेस ने सीएम धामी पर लगाया ये आरोप: कांग्रेस के नेता इस तमाम घटनाक्रम के बीच गढ़वाल और कुमाऊं का भी मुद्दा उठा रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हीरा सिंह बिष्ट का कहना है कि सीएम धामी कुमाऊं पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. जिससे गढ़वाल की उपेक्षा सी प्रतीत हो रही है. क्योंकि, दूसरे टर्म में राज्य का मुखिया बनने के बाद उन्होंने कुमाऊं क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस किया. साथ ही कुमाऊं के लिए तमाम विकास योजनाओं को स्वीकृत किया.

हीरा सिंह बिष्ट का कहना कुमाऊं क्षेत्र में खासकर चंपावत जिले पर ज्यादा फोकस किया गया है. साथ प्रदेश के अन्य 12 जिलों को छोड़ चंपावत जिले को आदर्श जिला बनाने पर फोकस किया जा रहा है. इसके साथ ही चारधाम यात्रा के शुरुआती दौर में जब धामों में श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ उमड़ी थी, उस दौरान सीएम धामी ने आदि कैलाश को प्रमोट किया था. ताकि, चारधाम यात्रा पर बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालु आदि कैलाश के दर्शन को भी जाएं. इतना ही नहीं चारधाम यात्रा को रामनगर से शुरू करने को लेकर भी सीएम धामी ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए कि रामनगर से यात्रा संचालित किए जाने की संभावनाओं को तलाशा जाए, लेकिन उस दौरान उठे विरोध के चलते धामी सरकार इस मामले पर शांत हो गई. इसको लेकर ही कांग्रेस सरकार पर गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप लगा रही है.

वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत बोले- कुछ न कुछ खिचड़ी पक रही: वहीं, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि बिना आग के धुआं नहीं निकलता है. बीसी खंडूड़ी की सरकार के दौरान 28 विधायक दिल्ली चले गए थे. लिहाजा, राजनीतिक इतिहास अपने आप को दोहराता है. अभी तो कुछ लोग दिल्ली जा रहे हैं. ऐसे में ये भी हो सकता है कि सभी लोग दिल्ली चले जाएं. ऐसी भी स्थितियां हैं, लेकिन ऐसा लग रहा है कुछ न कुछ खिचड़ी दिल्ली के साथ ही प्रदेश में भी सत्ताधारी दल के अंदर पक रही है.

प्रदेश में ये चर्चाएं ऐसे ही नहीं उठ रही हैं बल्कि, कुछ न कुछ खतरा है, तभी ऐसा हो रहा है. साथ ही कहा कि सीएम धामी अगर मजबूत होते तो किसी की क्या मजाल कि वो गुटबाजी कर सके. साथ ही कहा कि बदरीनाथ उपचुनाव में मिली हार के चलते शायद सीएम धामी कमजोर हो गए हैं. साथ ही उनके पार्टी के ही प्रतिद्वंदी ये चला रहे हैं कि कुमाऊं मजबूत और गढ़वाल कमजोर हो रहा है.

हीरा सिंह बिष्ट बोले- नेता खुश नहीं, इसलिए दिल्ली में डाला डेरा: वहीं, कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ नेता हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि धामी सरकार को विकास की कोई चिंता नहीं है. बीजेपी के तमाम मंत्री दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. नेता क्यों दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं? उसकी एक मात्र वजह है कि कोई नेता खुश नहीं है. बीजेपी के विधायक चाहते हैं कि उनको मंत्रिमंडल में जगह दी जाए. मंत्री अधिकार मांग रहे हैं, मंत्रियों को अधिकार नहीं मिल रहा है. इसलिए मंत्री भी दिल्ली जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रदेश को माफियाओं के हाथों में सौंप दिया, ये बात बीजेपी के विधायक और मंत्री भी समझ रहे हैं, जिसके चलते मंत्री और विधायक नाराज हैं. साथ ही कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं और गढ़वाल को लेकर स्थितियां काफी गंभीर कर रखी हैं. क्योंकि, सीएम ने गढ़वाल को बिल्कुल ही इग्नोर कर दिया है, जैसे गढ़वाल उत्तराखंड का हिस्सा ही न हो.

भले ही कुमाऊं क्षेत्र बड़ा है, लेकिन दोनों रीजन में विकास समान होना चाहिए. जिसके चलते लोगों में हताशा और निराशा व्याप्त है. साथ ही कहा कि उनकी कई मंत्रियों से भी बात हुई है. बात से ऐसा लगा रहा है कि मंत्री भी नाराज हैं. क्योंकि शासन उनकी बात नहीं सुन रहा है, जिसके चलते मंत्री विधायक परेशान हैं. ऐसे में कुछ नेताओं के दिल्ली जाने के बाद राजनीतिक गर्माहट और हलचल शुरू हो गई है.

बीजेपी प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने विपक्ष पर लगाया आरोप: वहीं, पूरे मामले पर बीजेपी के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी ने कहा कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है, जिसके चलते विपक्षी सरकार को अस्थिर करने के प्रयास में जुटे हुए हैं. इसके पीछे ना तो कोई आधार है और न ही कोई सोच है. मंत्री राज्य के विकास के मुद्दों को लेकर दिल्ली जाते हैं. ऐसे में मंत्री दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्री और अधिकारियों से राज्य के विकास के लिए मिलते हैं.

ऐसे में इस तरह के दौरे को अगर गुटबाजी से जोड़कर देखा जा रहा है तो इसके पीछे का कोई आधार नहीं है. साथ ही कहा कि कांग्रेस में इस तरह की घटनाएं होती रही हैं. इसलिए कांग्रेस को लग रहा है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं. कोठारी ने कहा कि बीजेपी एक अनुशासित पार्टी है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का जो निर्देश होता है, उसका सामान्य कार्यकर्ता से लेकर विधायक, मंत्री और सांसद सभी पालन करते हैं. किसी भी रीजन की उपेक्षा नहीं की जा रही है.

जिस जिले में जिसकी आवश्यकता है, उसके अनुसार विकास कार्य किए जा रहे हैं. लिहाजा, सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं कि गुटबाजी हो रही है. साथ ही कहा जा रहा है कि गढ़वाल या कुमाऊं की उपेक्षा हो रही है. जबकि इस छोटे से राज्य में गढ़वाल या कुमाऊं की उपेक्षा का कोई विषय ही नहीं है. राजनीति में कई लोगों को इस तरह के कयास लगाने की छूट है, लेकिन पार्टी में किसी भी तरह की नाराजगी और गुटबाजी की कोई बात नहीं है.

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत की इन तस्वीरों के सार्वजनिक होने के बाद अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति आयोग की बैठक थी. लिहाजा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी उस बैठक में जिस तरह से दिखाई, उसके बाद एक बार फिर से लोग कहने वालों की धामी की धमक दिल्ली में बरकरार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ठीक पीछे खड़े धामी को देखकर एक पक्ष धामी के समर्थन में खड़ा हुआ तो दूसरा पक्ष त्रिवेंद्र, बलूनी और धन सिंह रावत की तस्वीरों के जरिए अलग-अलग प्रतिक्रिया देते हुए दिखाई दिया.

हालांकि, बीजेपी नेताओं के साथ ही विपक्षी नेताओं को भी मुख्यमंत्री से संबंधित सपने खूब आ रहे हैं. कुछ समय पहले ही पूर्व सीएम हरीश रावत ने एक पोस्ट डाला था, जिसमे उन्होंने अपने सपने का जिक्र करते हुए कहा था कि एक महिला राज्य की मुख्यमंत्री बन सकती हैं, जिसके चलते प्रदेश में चल रही चर्चाओं को और ज्यादा बल मिल रहा है.

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Last Updated : Jul 30, 2024, 11:01 PM IST
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