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उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम में हमेशा मेयर बना ब्राह्मण प्रत्याशी, जानें इस बार का सियासी समीकरण - UTTARAKHAND CIVIC ELECTIONS 2025

देहरादून उत्तराखंड का सबसे बड़ा नगर निगम है, राज्य गठन के बाद से लगातार जीतते रहे ब्राह्मण प्रत्याशी

UTTARAKHAND CIVIC ELECTIONS 2025
देहरादून नगर निगम चुनाव 2025 (PHOTO- ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 24, 2024, 12:32 PM IST

Updated : Dec 24, 2024, 3:39 PM IST

देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. देहरादून नगर निगम उत्तराखंड का सबसे बड़ा नगर निगम है. देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं. यहां मेयर, डिप्टी मेयर और 99 पार्षद होते हैं. ऐसे में प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण देहरादून नगर निगम जो कि राजनीति के केंद्र बिंदु में है, यहां पर प्रत्याशी चयन और चुनाव पर किन फैक्टर का क्या असर होगा, इसे इस खास खबर में समझते हैं.

देहरादून मेयर की कुर्सी सरकार की नाक का सवाल: उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बन चुका है. 23 जनवरी 2025 को निकाय चुनाव के लिए मतदान होना है. 25 जनवरी 2025 को चुनाव के परिणाम घोषित होंगे. ऐसे में निकाय चुनाव के सियासी समीकरणों की अगर बात की जाए, तो देहरादून नगर निगम उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है.

उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम में हमेशा मेयर बना ब्राह्मण प्रत्याशी (VIDEO- ETV BHARAT)

सीएम की पसंद वाला नेता बनता है देहरादून का मेयर: देहरादून नगर निगम अध्यक्ष यानी देहरादून मेयर की सीट पर सीधे-सीधे प्रदेश सरकार का असर देखने को मिलता है. यानी देहरादून मेयर की सीट सरकार की नाक का सवाल रहता है. वहीं दूसरी तरफ मेयर की सीट पर चुनाव कौन लड़ेगा, इसका फैक्टर भी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री की पहली पसंद और जिताऊ प्रत्याशी के रूप में देखने को मिलता है. राज्य गठन से लेकर अब तक देहरादून नगर निगम पद पर प्रत्याशी चयन को लेकर मुख्यमंत्री की च्वाइस का सीधा-सीधा असर देखने को मिला है.

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उत्तराखंड निकाय चुनाव का शेड्यूल (ETV Bharat Graphics)

राज्य गठन से देहरादून मेयर पद पर ब्राह्मण प्रत्याशियों का दबदबा: उत्तराखंड नगर निगम मेयर सीट पर पिछले 24 सालों में ब्राह्मण प्रत्याशी का दबदबा देखने को मिला है. साल 2000 में यूपी से अलग हुए उत्तराखंड में तब देहरादून नगर पालिका हुआ करती थी. राज्य गठन के समय भाजपा नेता विनोद चमोली नगर पालिका अध्यक्ष हुआ करते थे. राज्य गठन के बाद पहली बार निर्वाचित कांग्रेस सरकार के समय साल 2003 में देहरादून नगर पालिका, नगर निगम में अपग्रेड हो गई.

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देहरादून मेयर सीट के लिए दावेदारों की भीड़ (PHOTO- ETV BHARAT)

मनोरमा शर्मा थीं देहरादून की पहली मेयर: पहली बार हुए नगर निगम के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने मनोरमा शर्मा को देहरादून मेयर प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरा. भाजपा ने भी महिला ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद उनियाल को मेयर पद का चुनाव लड़ाया. चुनाव का परिणाम प्रदेश में मौजूद सत्ताधारी दल के पक्ष में यानी कांग्रेस के पक्ष में गया. मनोरमा शर्मा देहरादून की पहली महिला मेयर बनीं.

Dehradun Municipal Corporation
बीजेपी के सिद्धार्थ अग्रवाल सीएम धामी की पसंद हो सकते हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

दूसरी बार विनोद चमोली बने थे मेयर: इसके बाद 2008 में हुए देहरादून नगर निगम के दूसरे चुनाव के दौरान प्रदेश में सरकार भाजपा की आ चुकी थी. एक बार फिर से भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में विनोद चमोली को मैदान में उतारा और उन्होंने चुनाव भी जीता. दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रजनी रावत रहीं. कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रही.

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बीजेपी से पुनीत मित्तल की दावेदारी मजबूत है (PHOTO- ETV BHARAT)

2013 में दोबारा मेयर बने थे विनोद चमोली: इसके बाद 2013 हुए देहरादून नगर निगम चुनाव में एक बार फिर भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद चमोली ने चुनाव जीत और दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना रहे. 2018 में हुए नगर निगम चुनाव में फिर से भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा ने चुनाव जीता. दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल रहे. इस तरह से अगर अब तक हुए देहरादून के नगर निगम चुनाव में कुल मिलाकर देखा जाए तो ब्राह्मण प्रत्याशियों का ही दबदबा देखने को मिला है.

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बीजेपी से सौरभ थपलियाल भी टिकट के दावेदार हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

देहरादून मेयर पद पर प्रत्याशी चयन की मशक्कत: देहरादून नगर निगम में अब नॉमिनेशन से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रत्याशी चयन की एक्सरसाइज बेहद चुनौती भरी है. भारतीय जनता पार्टी के देहरादून में मेयर दावेदारों को लेकर देहरादून नगर निगम के लिए बनाए गए पर्यवेक्षक टीम के मुखिया सुरेश भट्ट ने जानकारी दी. भट्ट के अनुसार भाजपा से 12 से ज्यादा दावेदार मैदान में हैं.

वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से देहरादून नगर निगम में मेयर पद पर प्रबल दावेदारों की जानकारी कांग्रेस के संगठन महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने दी है. उनके अनुसार कांग्रेस से भी 12 से ज्यादा नामी चेहरे नगर निगम चुनाव में देहरादून मेयर पद के लिए ताल ठोक रहे हैं.

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बीजेपी के सुनील उनियाल गामा मेयर रह चुके हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

बीजेपी के 12 से ज्यादा दावेदार तो कांग्रेस में भी कम नहीं: दोनों पार्टियों के सियासी समीकरणों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का कहना है कि देहरादून नगर निगम मेयर पद के लिए ज्यादातर पहाड़ी मूल के दावेदारों का दबदबा देखने को मिलता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेयर प्रत्याशी के चयन में मुख्यमंत्री का सीधा हस्तक्षेप होता है. वहीं वैश्य (बनिया) समाज ने भी पार्टी में खुद को मजबूत किया है.

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कांग्रेस से आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल ने दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

नीरज कोहली के अनुसार भाजपा से मेयर पद के लिए मैदान में उतरने की मंशा रखने वाले दावेदारों की बात की जाए, तो वैसे तो 12 से ज्यादा दावेदार हैं. लेकिन कुछ बड़े चेहरों में निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, पुनीत मित्तल, सिद्धार्थ अग्रवाल, धीरेंद्र पंवार, अनिल गोयल, कुलदीप बुटोला, सौरभ थपलियाल ऐसे नाम हैं, जो देहरादून मेयर के पद पर प्रबल दावेदार हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की बात की जाए, तो वीरेंद्र पोखरियाल, हीरा सिंह बिष्ट, आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल और नवीन जोशी प्रबल दावेदार हैं.

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कांग्रेस से नवीन जोशी ने टिकट की दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

पहाड़ से उतरी आबादी एक बड़ा फैक्टर: नीरज कोहली के अनुसार देहरादून नगर निगम चुनाव में मेयर पद पर भले ही अब तक ब्राह्मण प्रत्याशी का दबदबा रहा हो, लेकिन इस बार समीकरण बदल सकते हैं. विशेष तौर पर सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, कि यदि मुख्यमंत्री अपने चहेते को मैदान में उतारेंगे तो, सिद्धार्थ अग्रवाल उनकी पहली पसंद हो सकते हैं. वहीं अगर संगठन की चली, तो पुनीत मित्तल को मौका दिया जा सकता है.

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कांग्रेस से वीरेंद्र पोखरियाल ने भी दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

बदला है देहरादून का जातीय समीकरण: नीरज कोहली ये भी कहते हैं कि लगातार पहाड़ी इलाकों से देहरादून में आकर बस रहे लोगों के चलते देहरादून का समीकरण बदल चुका है. अब शहर के आउटर क्षेत्र में ठाकुर मतदाताओं का अच्छा खासा बोलबाला है. हालांकि कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर आला कमान का फैसला ही अंतिम होगा. इसमें प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और वरिष्ठ नेता हरीश रावत के फैसले का असर भी देखने को मिल सकता है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव: 23 जनवरी को वोटिंग, 25 को रिजल्ट, आचार संहिता लागू

देहरादून (धीरज सजवाण): उत्तराखंड में निकाय चुनाव की तारीख का ऐलान हो चुका है. देहरादून नगर निगम उत्तराखंड का सबसे बड़ा नगर निगम है. देहरादून नगर निगम में 100 वार्ड हैं. यहां मेयर, डिप्टी मेयर और 99 पार्षद होते हैं. ऐसे में प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण देहरादून नगर निगम जो कि राजनीति के केंद्र बिंदु में है, यहां पर प्रत्याशी चयन और चुनाव पर किन फैक्टर का क्या असर होगा, इसे इस खास खबर में समझते हैं.

देहरादून मेयर की कुर्सी सरकार की नाक का सवाल: उत्तराखंड में निकाय चुनाव का बिगुल बन चुका है. 23 जनवरी 2025 को निकाय चुनाव के लिए मतदान होना है. 25 जनवरी 2025 को चुनाव के परिणाम घोषित होंगे. ऐसे में निकाय चुनाव के सियासी समीकरणों की अगर बात की जाए, तो देहरादून नगर निगम उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से ही राजनीति का अहम केंद्र रहा है.

उत्तराखंड के सबसे बड़े नगर निगम में हमेशा मेयर बना ब्राह्मण प्रत्याशी (VIDEO- ETV BHARAT)

सीएम की पसंद वाला नेता बनता है देहरादून का मेयर: देहरादून नगर निगम अध्यक्ष यानी देहरादून मेयर की सीट पर सीधे-सीधे प्रदेश सरकार का असर देखने को मिलता है. यानी देहरादून मेयर की सीट सरकार की नाक का सवाल रहता है. वहीं दूसरी तरफ मेयर की सीट पर चुनाव कौन लड़ेगा, इसका फैक्टर भी सीधे-सीधे मुख्यमंत्री की पहली पसंद और जिताऊ प्रत्याशी के रूप में देखने को मिलता है. राज्य गठन से लेकर अब तक देहरादून नगर निगम पद पर प्रत्याशी चयन को लेकर मुख्यमंत्री की च्वाइस का सीधा-सीधा असर देखने को मिला है.

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उत्तराखंड निकाय चुनाव का शेड्यूल (ETV Bharat Graphics)

राज्य गठन से देहरादून मेयर पद पर ब्राह्मण प्रत्याशियों का दबदबा: उत्तराखंड नगर निगम मेयर सीट पर पिछले 24 सालों में ब्राह्मण प्रत्याशी का दबदबा देखने को मिला है. साल 2000 में यूपी से अलग हुए उत्तराखंड में तब देहरादून नगर पालिका हुआ करती थी. राज्य गठन के समय भाजपा नेता विनोद चमोली नगर पालिका अध्यक्ष हुआ करते थे. राज्य गठन के बाद पहली बार निर्वाचित कांग्रेस सरकार के समय साल 2003 में देहरादून नगर पालिका, नगर निगम में अपग्रेड हो गई.

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देहरादून मेयर सीट के लिए दावेदारों की भीड़ (PHOTO- ETV BHARAT)

मनोरमा शर्मा थीं देहरादून की पहली मेयर: पहली बार हुए नगर निगम के चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने मनोरमा शर्मा को देहरादून मेयर प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरा. भाजपा ने भी महिला ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद उनियाल को मेयर पद का चुनाव लड़ाया. चुनाव का परिणाम प्रदेश में मौजूद सत्ताधारी दल के पक्ष में यानी कांग्रेस के पक्ष में गया. मनोरमा शर्मा देहरादून की पहली महिला मेयर बनीं.

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बीजेपी के सिद्धार्थ अग्रवाल सीएम धामी की पसंद हो सकते हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

दूसरी बार विनोद चमोली बने थे मेयर: इसके बाद 2008 में हुए देहरादून नगर निगम के दूसरे चुनाव के दौरान प्रदेश में सरकार भाजपा की आ चुकी थी. एक बार फिर से भाजपा ने ब्राह्मण प्रत्याशी के रूप में विनोद चमोली को मैदान में उतारा और उन्होंने चुनाव भी जीता. दूसरे नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में रजनी रावत रहीं. कांग्रेस प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रही.

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बीजेपी से पुनीत मित्तल की दावेदारी मजबूत है (PHOTO- ETV BHARAT)

2013 में दोबारा मेयर बने थे विनोद चमोली: इसके बाद 2013 हुए देहरादून नगर निगम चुनाव में एक बार फिर भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी विनोद चमोली ने चुनाव जीत और दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना रहे. 2018 में हुए नगर निगम चुनाव में फिर से भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी सुनील उनियाल गामा ने चुनाव जीता. दूसरे नंबर पर कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल रहे. इस तरह से अगर अब तक हुए देहरादून के नगर निगम चुनाव में कुल मिलाकर देखा जाए तो ब्राह्मण प्रत्याशियों का ही दबदबा देखने को मिला है.

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बीजेपी से सौरभ थपलियाल भी टिकट के दावेदार हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

देहरादून मेयर पद पर प्रत्याशी चयन की मशक्कत: देहरादून नगर निगम में अब नॉमिनेशन से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रत्याशी चयन की एक्सरसाइज बेहद चुनौती भरी है. भारतीय जनता पार्टी के देहरादून में मेयर दावेदारों को लेकर देहरादून नगर निगम के लिए बनाए गए पर्यवेक्षक टीम के मुखिया सुरेश भट्ट ने जानकारी दी. भट्ट के अनुसार भाजपा से 12 से ज्यादा दावेदार मैदान में हैं.

वहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ से देहरादून नगर निगम में मेयर पद पर प्रबल दावेदारों की जानकारी कांग्रेस के संगठन महामंत्री मथुरा दत्त जोशी ने दी है. उनके अनुसार कांग्रेस से भी 12 से ज्यादा नामी चेहरे नगर निगम चुनाव में देहरादून मेयर पद के लिए ताल ठोक रहे हैं.

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बीजेपी के सुनील उनियाल गामा मेयर रह चुके हैं (PHOTO- ETV BHARAT)

बीजेपी के 12 से ज्यादा दावेदार तो कांग्रेस में भी कम नहीं: दोनों पार्टियों के सियासी समीकरणों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार नीरज कोहली का कहना है कि देहरादून नगर निगम मेयर पद के लिए ज्यादातर पहाड़ी मूल के दावेदारों का दबदबा देखने को मिलता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मेयर प्रत्याशी के चयन में मुख्यमंत्री का सीधा हस्तक्षेप होता है. वहीं वैश्य (बनिया) समाज ने भी पार्टी में खुद को मजबूत किया है.

Dehradun Municipal Corporation
कांग्रेस से आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल ने दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

नीरज कोहली के अनुसार भाजपा से मेयर पद के लिए मैदान में उतरने की मंशा रखने वाले दावेदारों की बात की जाए, तो वैसे तो 12 से ज्यादा दावेदार हैं. लेकिन कुछ बड़े चेहरों में निवर्तमान मेयर सुनील उनियाल गामा, पुनीत मित्तल, सिद्धार्थ अग्रवाल, धीरेंद्र पंवार, अनिल गोयल, कुलदीप बुटोला, सौरभ थपलियाल ऐसे नाम हैं, जो देहरादून मेयर के पद पर प्रबल दावेदार हैं. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस की बात की जाए, तो वीरेंद्र पोखरियाल, हीरा सिंह बिष्ट, आशा मनोरमा शर्मा डोबरियाल और नवीन जोशी प्रबल दावेदार हैं.

Dehradun Municipal Corporation
कांग्रेस से नवीन जोशी ने टिकट की दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

पहाड़ से उतरी आबादी एक बड़ा फैक्टर: नीरज कोहली के अनुसार देहरादून नगर निगम चुनाव में मेयर पद पर भले ही अब तक ब्राह्मण प्रत्याशी का दबदबा रहा हो, लेकिन इस बार समीकरण बदल सकते हैं. विशेष तौर पर सत्ताधारी दल भाजपा के प्रत्याशी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, कि यदि मुख्यमंत्री अपने चहेते को मैदान में उतारेंगे तो, सिद्धार्थ अग्रवाल उनकी पहली पसंद हो सकते हैं. वहीं अगर संगठन की चली, तो पुनीत मित्तल को मौका दिया जा सकता है.

Dehradun Municipal Corporation
कांग्रेस से वीरेंद्र पोखरियाल ने भी दावेदारी जताई है (PHOTO- ETV BHARAT)

बदला है देहरादून का जातीय समीकरण: नीरज कोहली ये भी कहते हैं कि लगातार पहाड़ी इलाकों से देहरादून में आकर बस रहे लोगों के चलते देहरादून का समीकरण बदल चुका है. अब शहर के आउटर क्षेत्र में ठाकुर मतदाताओं का अच्छा खासा बोलबाला है. हालांकि कांग्रेस में प्रत्याशी चयन को लेकर आला कमान का फैसला ही अंतिम होगा. इसमें प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और वरिष्ठ नेता हरीश रावत के फैसले का असर भी देखने को मिल सकता है.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव: 23 जनवरी को वोटिंग, 25 को रिजल्ट, आचार संहिता लागू

Last Updated : Dec 24, 2024, 3:39 PM IST
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